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UP: कानपुर में SBI क्लर्क 92 लाख की साइबर ठगी का शिकार, फेसबुक दोस्ती से शुरू हुआ हनीट्रैप इन्वेस्टमेंट स्कैम

उत्तर प्रदेश के कानपुर से साइबर अपराध का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में कार्यरत एक क्लर्क को सोशल मीडिया के जरिए हनीट्रैप में फंसाकर करीब 92 लाख रुपये की साइबर ठगी कर ली गई। यह पूरा खेल फेसबुक से शुरू हुई दोस्ती, भावनात्मक नजदीकियों और फर्जी निवेश प्लेटफॉर्म के जरिए अंजाम दिया गया।

पीड़ित ने जब अपने निवेश की रकम निकालने की कोशिश की, तब जाकर उसे ठगी का एहसास हुआ। इसके बाद उसने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिस पर पुलिस ने आईटी एक्ट और धोखाधड़ी की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।


फेसबुक फ्रेंड रिक्वेस्ट से शुरू हुआ साइबर जाल

पीड़ित अनिल कुमार सिंह यादव मूल रूप से उन्नाव जिले के निवासी हैं और वर्तमान में कानपुर के चकेरी क्षेत्र के सनिगवां में अपने परिवार के साथ रहते हैं। वह फतेहपुर स्थित SBI शाखा में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं।

अनिल कुमार के मुताबिक, जून 2025 में फेसबुक पर उन्हें ‘अनन्या वर्मा’ नाम की एक युवती की फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली। रिक्वेस्ट स्वीकार करने के बाद दोनों के बीच नियमित चैटिंग शुरू हो गई। शुरुआती बातचीत सामान्य थी, लेकिन कुछ ही समय में युवती ने खुद को एक सफल और हाई-प्रोफाइल बिजनेसवुमन बताना शुरू कर दिया।


भावनात्मक नजदीकी और भरोसा जीतने की रणनीति

कुछ दिनों की बातचीत के बाद युवती ने अनिल से व्हाट्सएप नंबर लिया और बातचीत को निजी स्तर पर ले गई। लगातार मैसेज, हालचाल पूछना और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा ने अनिल का भरोसा जीत लिया।

विश्वास को और पुख्ता करने के लिए 6 सितंबर 2025 को युवती ने अनिल के घर के पते पर एक फूलों का खूबसूरत बुके भिजवाया। यह छोटा-सा लेकिन भावनात्मक जेस्चर अनिल के लिए भरोसे की मुहर बन गया।


80 लाख महीने की कमाई का दावा, निवेश का लालच

व्हाट्सएप चैट के दौरान युवती ने दावा किया कि वह ट्रेडिंग और निवेश के जरिए हर महीने 80 लाख रुपये तक की कमाई कर रही है। उसने अनिल को भी इसी प्लेटफॉर्म पर निवेश करने की सलाह दी और बड़े मुनाफे का लालच दिया।

अनिल के अनुसार, युवती ने कहा कि शुरुआत में थोड़ा निवेश करके सिस्टम समझा जा सकता है और बाद में रकम बढ़ाई जा सकती है।


फर्जी ट्रेडिंग वेबसाइट और गारंटी कोड का खेल

22 सितंबर 2025 को युवती ने अनिल को एक लिंक भेजा। लिंक खोलने पर एक बेहद प्रोफेशनल दिखने वाली ट्रेडिंग कंपनी की वेबसाइट सामने आई। वेबसाइट पर लॉगिन करने के लिए एक तथाकथित “गारंटी कोड” डलवाया गया।

शुरुआती निवेश के बाद वेबसाइट पर मुनाफा दिखने लगा। अकाउंट बैलेंस बढ़ता देख अनिल का भरोसा और मजबूत हो गया। इसके बाद ठगों ने टैक्स, प्रोसेसिंग फीस, सर्विस चार्ज जैसे अलग-अलग नामों पर लगातार पैसे ट्रांसफर करवाए।


कई किस्तों में 92 लाख रुपये किए ट्रांसफर

लालच और भरोसे के इस जाल में फंसकर अनिल ने अलग-अलग बैंक खातों में कई बार पैसे ट्रांसफर किए। कुछ ही हफ्तों में कुल रकम 92 लाख रुपये तक पहुंच गई।

हर बार युवती आश्वासन देती रही कि पैसा सुरक्षित है और जल्द ही बड़ा मुनाफा मिलेगा।


पैसे निकालने पर खुली सच्चाई

जब अनिल ने वेबसाइट से अपनी रकम निकालने की कोशिश की, तो न तो कोई रिस्पॉन्स मिला और न ही विड्रॉल प्रोसेस हुआ। इसी दौरान युवती का मोबाइल नंबर भी बंद हो गया और सोशल मीडिया अकाउंट निष्क्रिय हो गया।

तब जाकर अनिल को एहसास हुआ कि वह एक हनीट्रैप इन्वेस्टमेंट स्कैम का शिकार हो चुके हैं।


साइबर थाना पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

पीड़ित की शिकायत पर साइबर थाना पुलिस ने अज्ञात साइबर ठगों के खिलाफ आईटी एक्ट और धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ट्रांजेक्शन डिटेल्स, बैंक अकाउंट्स, मोबाइल नंबर और IP एड्रेस की जांच कर रही है।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामलों में ठग अक्सर म्यूल अकाउंट्स और विदेशी सर्वर का इस्तेमाल करते हैं, जिससे जांच जटिल हो जाती है।


साइबर एक्सपर्ट की चेतावनी

साइबर अपराध विशेषज्ञों के अनुसार, यह मामला क्लासिक हनीट्रैप और फर्जी इन्वेस्टमेंट स्कैम का उदाहरण है, जिसमें भावनात्मक जुड़ाव, सोशल मीडिया विश्वास और हाई-रिटर्न का लालच प्रमुख हथियार होते हैं।


कैसे बचें ऐसे साइबर स्कैम से

  • सोशल मीडिया पर अनजान लोगों की बातों पर भरोसा न करें
  • हाई रिटर्न का दावा करने वाले निवेश प्लेटफॉर्म से बचें
  • किसी लिंक या ऐप में पैसे डालने से पहले उसकी वैधता जांचें
  • निजी जानकारी और बैंक डिटेल कभी साझा न करें

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