
नई दिल्ली, 28 मई 2025: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान के निर्वासित नेता और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भावनात्मक अपील की है। उन्होंने कहा कि भारत से जाकर पाकिस्तान में बसने वाले मुहाजिर समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को रोका जाए और उनकी आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया जाए।
मुहाजिरों की आखिरी उम्मीद: अल्ताफ हुसैन
लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए अल्ताफ हुसैन ने कहा,
“प्रधानमंत्री मोदी, आप ही हमारी आखिरी उम्मीद हैं। कृपया मुहाजिरों को बचाइए।”
उन्होंने यह भी कहा कि बंटवारे के बाद भारत से पाकिस्तान गए उर्दू भाषी शरणार्थियों को आज तक वहां के सैन्य प्रतिष्ठान ने पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है। अल्ताफ का आरोप है कि इन लोगों के साथ योजनाबद्ध भेदभाव और दमन हो रहा है।
MQM नेता के अनुसार,
“पाकिस्तानी फौज और खुफिया एजेंसियों की कार्रवाई में अब तक 25,000 से ज्यादा मुहाजिरों की जान जा चुकी है, और हजारों लोग लापता हैं।”
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार और सेना द्वारा प्रायोजित हिंसा ने मुहाजिरों को मौलिक अधिकारों से वंचित कर रखा है।
बलोचों के समर्थन पर पीएम मोदी की प्रशंसा
अल्ताफ हुसैन ने प्रधानमंत्री मोदी की उस नीति की भी सराहना की जिसमें उन्होंने बलोच लोगों के मानवाधिकारों की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि उसी तरह मुहाजिर समुदाय के लिए भी भारत को आगे आकर आवाज उठानी चाहिए।
पाकिस्तानी दूतावास पर भी गंभीर आरोप
अल्ताफ ने बताया कि हाल ही में ह्यूस्टन स्थित पाकिस्तानी कॉन्सुल जनरल आफताब चौधरी ने एक कार्यक्रम में MQM को भारत का एजेंट बताने वाला वीडियो दिखाया। उन्होंने इसे एक सोची-समझी साजिश बताया जिससे मुहाजिरों की आवाज को दबाया जा सके।
भारत को चाहिए मजबूत रुख
अल्ताफ हुसैन ने स्पष्ट रूप से आग्रह किया कि भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुहाजिरों की पीड़ा, मानवाधिकार उल्लंघन और पाकिस्तान की दोहरी नीतियों को उजागर करना चाहिए।
सियासी पृष्ठभूमि में बड़ा घटनाक्रम
यह बयान ऐसे वक्त आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया आतंकी घटनाओं और सैन्य जवाबी कार्रवाई के कारण तनाव चरम पर है। भारत ने हाल ही में “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत POK में आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, जिसके बाद पाकिस्तान ने ड्रोन व मिसाइल हमलों की कोशिश की थी।
MQM नेता की यह अपील भारत और पाकिस्तान के संबंधों में एक नया आयाम जोड़ती है, जो मानवाधिकार और क्षेत्रीय असमानताओं के वैश्विक विमर्श को और अधिक मुखर करने का संकेत देती है।