
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद आरजेडी के भीतर simmering anger अब सड़क पर खुलकर फूट चुका है। लंबे समय से चली आ रही अंदरूनी नाराज़गी, गुटबाजी और नेतृत्व पर उठते सवाल अब पार्टी की चारदीवारी से बाहर निकलकर सार्वजनिक हो गए हैं। सोमवार शाम राबड़ी देवी के सरकारी आवास के बाहर कार्यकर्ताओं का अचानक जुटना और हंगामा करना इस बात का संकेत है कि आरजेडी एक बड़े संगठनात्मक संकट के दौर से गुजर रही है।
कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन, संजय यादव को ठहराया दोषी
राबड़ी आवास के बाहर जमा बड़ी संख्या में आरजेडी समर्थकों ने राज्यसभा सांसद संजय यादव के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि चुनावी रणनीति में हुई भारी चूक और गलत फैसलों के चलते पार्टी को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा।
आंदोलन कर रहे कार्यकर्ता लगातार चिल्लाते रहे—
“संजय यादव मुर्दाबाद!”
“संजय यादव हरियाणा वापस जाओ!”
कई कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान “जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी” और “बाहरी सलाहकारों पर अत्यधिक निर्भरता” ने पार्टी को नुकसान पहुँचाया।
लालू-राबड़ी की चुप्पी ने बढ़ाई बेचैनी
ऐसे गंभीर विवाद के बीच पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, और अन्य शीर्ष नेताओं की चुप्पी ने सियासी गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
चुनाव हार के झटके के साथ-साथ परिवार के भीतर बढ़ती खींचतान ने लालू परिवार पर दोहरी चुनौती खड़ी कर दी है।
सामान्य दिनों में जहां राबड़ी निवास पर कार्यकर्ताओं और नेताओं की आवाजाही रहती थी, वहीं सोमवार को वहां का माहौल असामान्य रूप से शांत और खाली दिखाई दिया। यह स्पष्ट संकेत है कि पार्टी का कोर नेतृत्व फिलहाल किसी ठोस रणनीति पर पर्दे के पीछे विचार कर रहा है।
आंतरिक समीक्षा बैठक में उठे सवाल, ‘गड़बड़ी’ का संकेत
इसी बीच सोमवार शाम आयोजित RJD की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक में उम्मीदवारों और वरिष्ठ नेताओं ने नतीजों पर गंभीर सवाल उठाए।
कई प्रत्याशियों ने दावा किया कि चुनावी परिणाम “स्वाभाविक नहीं” लगते और इस तरह की हार “सिर्फ संगठनात्मक भूलों” का नतीजा नहीं हो सकती।
बैठक में चर्चा के दौरान कुछ नेताओं ने यह तक कहा कि—
- कई सीटों के परिणाम तार्किक नहीं लगते
- मतगणना प्रक्रिया पर संदेह है
- और पार्टी को कानूनी विकल्प तलाशने चाहिए
सूत्रों का कहना है कि पार्टी नतीजों को चुनौती देने या विशिष्ट सीटों पर कानूनी लड़ाई शुरू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
परिवार और पार्टी—दोनों में संकट?
विश्लेषकों का मानना है कि आरजेडी की हार ने सिर्फ संगठन को ही नहीं हिलाया, बल्कि परिवार के भीतर नेतृत्व की भूमिका को लेकर दबे हुए सवाल भी सतह पर ला दिए हैं।
तेजस्वी यादव को लेकर कार्यकर्ताओं का विश्वास कमजोर हुआ है या नहीं—इस पर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं है, लेकिन राबड़ी आवास के बाहर हुए प्रदर्शन ने यह संकेत जरूर दे दिया है कि पार्टी में उबलन तेज़ हो चुकी है।



