वैसे तो उत्तराखंड अपने नैसर्गिक सुंदरता और संस्कृति के लिए जाना जाता है. यहाँ की संस्कृति को देखा जाय तो बहुत सारे लोक कलाकारों ने अपने कला के माध्यम से इसे बहुत आगे तक पहुँचाया है. मगर यहाँ की लोक संस्कृति को विश्व पटल तक ले जाने का श्रेय विश्व प्रसिद्ध जागर सम्राट पद्मश्री डॉ० प्रीतम भरतवाण को जाता है. आज हम भरतवाण के बारे में इसलिए भी लिख रहे है कि कुछ ही दिन पहले उनका एक गीत ‘जड़वान’ उनके ऑफिसियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज हुआ है. जो देखते-देखते कुछ दिनों में ही खूब वायरल हो गया.
‘जड़वान’ शब्द का मतलब है चूड़ाकर्म. जिसमे बच्चे की उम्र 5 साल होने पर उसका मुंडन करवाया जाता है. भरतवाण ने ‘जड़वान’ गीत के बोलों का तालमेल कुछ इस हिसाब से किया है कि सारा गीत लोक बन पड़ा है. उन्होंने अपने इस गीत में ‘समधी-समधन’ के रिश्ते को दर्शाया है. वैसे तो यह रिश्ता हंसी-मजाक वाला होता है लेकिन उन्होंने इस गीत के जरिये इस रिश्ते को बहुत ही पवित्रता से उकेरा है . और रिश्तों के मानवीय सवेंदनाओं को बखूबी से वर्णन किया है.
इस गाने की कम्पोजिशन को बहुत सहजता और निपूर्णता से बनाया गया है. जोकि इस गाने की एक महत्वपूर्ण खाशियत है. इस गाने की साज़ और आवाज़ का तालमेल तो सटीक है ही साथ में इस गाने को जहाँ फिल्माया गया है वो लोकेशन भी मन को लुभाने वाली है. ग्रामीण परिवेश, हरे-भरे पहाड़ों की श्रंखलाएं, पहाड़ के पुराने घर, आँगन में बंधे मवेशी, मिटटी से लिपि हुयी घर की फर्श न जाने और क्या-क्या अद्भुत चीजें वीडियो में सम्मिलित किये गए है. इस गाने में जहा तक अभिनय की बात आती है तो वह भी लाजवाब है. सभी का अभिनय ह्रदय को एक सुखद अहसास कराता है.
जहाँ तक बात आवाज़ की आती है. तो जागर सम्राट तो सुरीली आवाज़ के धनी है. उनकी आवाज़ में पूरे पहाड़ों के सुर गूंजते है. वैसे तो उनके हर गीतों में उनकी खनकती गायकी सारे युवाओं से लेकर उम्रदराजों के बीच काफी लोकप्रिय है. लेकिन इस गीत में उनकी शानदार गायकी बेमिशाल बन चुकी है. उनके साथ गायिका अंजली खरे ने भी उनका साथ बहुत शानदार तरीके से निभाया है. कुल मिलाकर भरतवाण ने ‘जड़वान, गीत के जरिये, इस गीत को सुनने के बाद लगता है की बार बार इस गीत को ही सुनते रहो . उत्तराखंड संगीत की दुनिया को एक बेहद ही नायब गीत दिया है.