
टोक्यो/नई दिल्ली : भारत और जापान के बीच वैज्ञानिक और रणनीतिक साझेदारी ने एक नई ऊंचाई छू ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐतिहासिक MoU पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत भारत का महत्वाकांक्षी चंद्रयान-5 मिशन जापान के H3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को नई दिशा देगा बल्कि दोनों देशों की वैज्ञानिक साझेदारी को भी और मजबूत करेगा।
टोक्यो में 15वां भारत-जापान समिट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को टोक्यो में आयोजित 15वें भारत-जापान समिट और इकनॉमिक फोरम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत की विकास यात्रा में जापान एक अहम पार्टनर है। मोदी ने जापानी बिजनेस लीडर्स को संबोधित करते हुए कहा,
“भारत का टैलेंट और जापान की टेक्नॉलजी, दोनों देशों के विकास की गारंटी हैं।”
इस मौके पर पीएम मोदी और जापान के प्रधानमंत्री इशिबा की मौजूदगी में कई अहम समझौते (MoUs) एक्सचेंज किए गए। इनमें ऊर्जा, टेक्नोलॉजी, व्यापार और अंतरिक्ष अनुसंधान से जुड़े करार शामिल रहे।
जापान से होगा चंद्रयान-5 का प्रक्षेपण
भारत और जापान की अंतरिक्ष एजेंसियों ISRO (Indian Space Research Organisation) और JAXA (Japan Aerospace Exploration Agency) ने संयुक्त रूप से चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन को अंजाम देने का समझौता किया है।
इस मिशन में –
- जापान का H3-24L प्रक्षेपण यान चंद्रयान-5 को अंतरिक्ष में भेजेगा।
- इसरो द्वारा निर्मित चंद्र लैंडर इस मिशन का हिस्सा होगा।
- जापान निर्मित चंद्र रोवर लैंडर के साथ जाएगा और चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा।
इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित Permanent Shadow Region (PSR) का अध्ययन करना है। यहां पानी और अन्य अस्थिर पदार्थों की मौजूदगी का पता लगाया जाएगा, जो भविष्य में चंद्रमा पर मानव बस्तियां बसाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।
पीएम मोदी बोले – “अंतरिक्ष विज्ञान की सीमाएं बढ़ाएंगे”
टोक्यो में समझौते के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और जापान की वैज्ञानिक टीम मिलकर अंतरिक्ष विज्ञान की नई सीमाओं को पार करेंगी। उन्होंने कहा,
“अंतरिक्ष में हमारी साझेदारी न केवल हमारे क्षितिज का विस्तार करेगी, बल्कि धरती पर जीवन को भी बेहतर बनाएगी। भारत की अंतरिक्ष यात्रा हमारे वैज्ञानिकों के संकल्प और नवाचार की कहानी है।”
भारत-जापान साझेदारी का नया अध्याय
विशेषज्ञों का मानना है कि चंद्रयान-5 को जापान से लॉन्च करने का फैसला दोनों देशों के बीच रणनीतिक रिश्तों की गहराई को दर्शाता है। इससे भारत को अत्याधुनिक जापानी तकनीक का लाभ मिलेगा, जबकि जापान को भारतीय अंतरिक्ष अनुभव और सॉफ्टवेयर विशेषज्ञता का फायदा होगा।
SCO सम्मेलन में भी होंगे अहम संदेश
जापान दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह मोदी का सात साल बाद चीन दौरा होगा और 2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद पहली यात्रा होगी। ऐसे में इस दौरे के भू-राजनीतिक मायने भी अहम माने जा रहे हैं।
चंद्रयान-5 मिशन केवल भारत और जापान का साझा अंतरिक्ष कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह आने वाले दशकों में दोनों देशों की साझेदारी की नई दिशा तय करेगा। यह मिशन न केवल विज्ञान और तकनीक में बल्कि रणनीतिक और राजनीतिक स्तर पर भी भारत-जापान संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।