
नई दिल्ली, 9 दिसंबर। चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर अब जम्मू-कश्मीर के युवाओं से सीधा संवाद स्थापित करने की तैयारी में हैं। किशोर फरवरी 2025 में कश्मीर घाटी का दौरा कर वहां के छात्रों, शोधार्थियों और युवा पेशेवरों से मुलाक़ात करेंगे। इस दौरे का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के युवाओं के सामने मौजूद चुनौतियों को समझना, उनकी आकांक्षाओं को सीधे सुनना और जमीनी स्तर पर सामाजिक-राजनीतिक वातावरण का आकलन करना है।
यह जानकारी मंगलवार को जम्मू-कश्मीर छात्र संघ (JKSA) की ओर से जारी आधिकारिक बयान में दी गई। संघ के राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुहामी ने दिल्ली में प्रशांत किशोर से मुलाकात कर उनसे अनुरोध किया कि वे स्वयं जम्मू-कश्मीर जाकर युवाओं के साथ बातचीत करें, क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश के छात्रों को रोज़गार, सुरक्षा, अकादमिक अवसरों और कैंपस वातावरण सहित कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
युवाओं पर केंद्रित होगा प्रशांत किशोर का दौरा
JKSA के बयान के अनुसार, प्रशांत किशोर ने युवाओं से मुलाकात के लिए फरवरी में जम्मू-कश्मीर जाने पर सहमति व्यक्त की है। उनका यह दौरा किसी राजनीतिक कार्यक्रम का हिस्सा नहीं होगा, बल्कि “युवा संवाद” के उद्देश्य से किया जाने वाला एक स्वतंत्र और अनौपचारिक पहल होगी।
सूत्रों के मुताबिक, किशोर वहां विश्वविद्यालय परिसरों, कोचिंग सेंटर्स, युवा संगठनों और उभरते उद्यमियों से मुलाकात कर सकते हैं। उनका मकसद है—
- रोजगार और अवसरों से जुड़ी समस्याओं को समझना
- छात्रों की सुरक्षा, कैंपस स्ट्रक्चर और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर बातचीत
- घाटी के युवाओं के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण को सुनना
- जम्मू और कश्मीर दोनों क्षेत्रों की भौगोलिक संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग समूहों से विचार-विमर्श
विशेषज्ञों के अनुसार, किशोर का यह दौरा घाटी के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में अगस्त 2019 के बाद से कई प्रशासनिक और राजनीतिक परिवर्तन हुए हैं और इन बदलावों का सबसे गहरा प्रभाव युवाओं पर पड़ा है।
JKSA ने प्रशांत किशोर को बताए छात्रों के प्रमुख मुद्दे
संघ के राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुहामी ने किशोर को विस्तृत रूप से जम्मू-कश्मीर के छात्रों की समस्याओं पर अवगत कराया। बयान में बताया गया कि बातचीत के दौरान निम्न प्रमुख मुद्दों पर विशेष चर्चा हुई—
1. छात्रों पर बढ़ता मनोवैज्ञानिक दबाव
कई कश्मीरी छात्र देशभर के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं, परन्तु कई बार उन्हें पहचान, सुरक्षा और सामुदायिक समर्थन का अभाव महसूस होता है। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है।
2. नौकरी और करियर अवसरों में असंतुलन
JKSA ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्किल डेवलपमेंट, स्टार्ट-अप इकोसिस्टम और सरकारी नियुक्तियों की गति बेहद धीमी है। इससे युवा असंतुष्ट और दबाव में हैं।
3. कैंपस में सुरक्षा और सामाजिक माहौल
कुछ घटनाओं के बाद कई कश्मीरी छात्रों को देश के विभिन्न हिस्सों में असहज परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। संघ ने किशोर को बताया कि छात्रों को एक सुरक्षित और संवेदनशील माहौल की आवश्यकता है।
4. स्कॉलरशिप और उच्च शिक्षा में बाधाएँ
कई छात्रों ने बताया कि स्कॉलरशिप संबंधित प्रक्रियाएँ समय पर पूरी नहीं होतीं और बैंकिंग/वेरिफिकेशन में देरी के कारण उनकी शिक्षा प्रभावित होती है।
प्रशांत किशोर क्यों हो रहे हैं युवाओं के बीच लोकप्रिय?
प्रशांत किशोर पिछले एक दशक में देश की कई बड़ी राजनीतिक अभियानों के रणनीतिकार रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वे सक्रिय राजनीति की बजाय समाज आधारित परिवर्तन मॉडल—जन सुराज—पर काम कर रहे हैं, जिसमें जनता से सीधा संवाद उनका मुख्य तरीका है।
बिहार में जन सुराज पदयात्रा के दौरान उन्होंने गांवों, पंचायतों और गांव के युवाओं से जोड़ा बनाकर राजनीति में “नए विमर्श” को आगे बढ़ाया।
विशेषज्ञों का कहना है कि—
“प्रशांत किशोर युवाओं को राजनीति और नीति-निर्माण के केंद्र में रखने की कोशिश कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर दौरा इसी दिशा का एक बड़ा कदम है।”
कश्मीर और जम्मू के युवाओं में संवाद की आवश्यकता
जम्मू-कश्मीर के युवा लंबे समय से अस्थिरताओं, सीमित अवसरों और बदलते राजनीतिक वातावरण की वजह से कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- शैक्षणिक ढाँचा सुधार की ज़रूरत
- नौकरियों में पारदर्शिता और अवसर बढ़ाने की मांग
- उद्यमिता के लिए बेहतर माहौल
- खेल और कला के अवसरों का विस्तार
- राजनीतिक भागीदारी के लिए खुला वातावरण
इन विषयों पर सीधी बातचीत से क्षेत्र के युवाओं की आवाज राष्ट्रीय मंच तक पहुंच सकेगी।
किशोर के दौरे का संभावित व्यापक प्रभाव
विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर का यह दौरा कई कारणों से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है—
- इससे सुरक्षा और राजनीतिक मुद्दों से परे विकास और शिक्षा की दिशा में संवाद मजबूत होगा।
- युवाओं के वास्तविक विचार और समस्याएँ मुख्यधारा में जगह पाएंगी।
- जम्मू-कश्मीर को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चल रही बहसों में युवाओं का दृष्टिकोण अधिक प्रमुखता से उभरेगा।
- यह क्षेत्र में स्थिरता और विश्वास बढ़ाने की दिशा में सकारात्मक संकेत बन सकता है।
JKSA ने स्वागत किया, युवाओं में उत्सुकता
JKSA ने किशोर के प्रस्तावित दौरे का स्वागत करते हुए कहा—
“कश्मीर के युवा एक ऐसे मंच की तलाश में हैं जहां वे बिना किसी दबाव के अपनी समस्याएं रख सकें। प्रशांत किशोर जैसे राष्ट्रीय स्तर के नीति-विशेषज्ञ का उनसे संवाद निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम देगा।”
कश्मीर और जम्मू के शिक्षण संस्थानों में भी किशोर की इस यात्रा को लेकर उत्सुकता है। कई छात्र संगठनों का मानना है कि यदि युवाओं के सुझावों को सही ढंग से समझा जाए तो यह क्षेत्र की शिक्षा, रोजगार और विकास संबंधी नीतियों को नई दिशा दे सकता है।
कुल मिलाकर, प्रशांत किशोर का आगामी जम्मू-कश्मीर दौरा केवल एक मुलाकात भर नहीं, बल्कि युवाओं की आवाज़ को राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।



