
लद्दाख/नई दिल्ली। पर्यावरण कार्यकर्ता और सामाजिक आंदोलनकारी सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लद्दाख और राष्ट्रीय राजनीति में उबाल आ गया है। लेह पुलिस ने उन्हें 24 सितंबर को हुई हिंसा को भड़काने का आरोपी बनाते हुए शुक्रवार को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद पूरे लेह जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।
इस घटनाक्रम के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुलकर सोनम वांगचुक के समर्थन में आ गए। उन्होंने केंद्र सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला।
केजरीवाल बोले- तानाशाही का अंत निश्चित है
वांगचुक की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा:
“रावण का भी अंत हुआ था, कंस का भी अंत हुआ था। हिटलर और मुसोलिनी का भी अंत हुआ था और आज लोग उनसे नफरत करते हैं। हमारे देश में तानाशाही चरम पर है। तानाशाही और अहंकार करने वालों का अंत हमेशा बुरा होता है।”
उनकी इस पोस्ट ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। विपक्षी दलों ने भी इसे लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
AAP नेता सौरभ भारद्वाज का तंज
दिल्ली के मंत्री और AAP प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने भी सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा:
“जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।”
उनके इस बयान को भी सीधे केंद्र सरकार पर निशाना माना जा रहा है।
केंद्र सरकार का आरोप: वांगचुक ने उकसाया
गृह मंत्रालय ने 24 सितंबर की रात एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर वांगचुक पर गंभीर आरोप लगाए थे। मंत्रालय ने कहा कि,
- वांगचुक और कुछ “राजनीति से प्रेरित” लोगों ने सरकार और लद्दाखी संगठनों के बीच हुई प्रगति से असंतुष्ट होकर माहौल बिगाड़ा।
- वांगचुक के “भड़काऊ बयानों” ने भीड़ को हिंसक बना दिया।
- उन्होंने अरब स्प्रिंग और नेपाल में हुए जन आंदोलनों का हवाला देते हुए लद्दाख के युवाओं को उकसाया।
यानी सरकार साफ तौर पर उन्हें हिंसा का जिम्मेदार ठहरा रही है।
NGO SECMOL का लाइसेंस रद्द
गिरफ्तारी से ठीक एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने सोनम वांगचुक के NGO SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसका मतलब है कि अब उनका संगठन विदेश से फंडिंग नहीं ले पाएगा।
सरकार का दावा है कि जांच में वित्तीय अनियमितताएं और मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत मिले हैं। हालांकि, वांगचुक और उनके समर्थक इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं।
लद्दाख में आंदोलन की पृष्ठभूमि
सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
- 10 सितंबर को उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की थी।
- उनके नेतृत्व में लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) साथ आए थे।
- इन संगठनों का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख की पहचान, रोजगार और संस्कृति खतरे में है।
हालांकि 24 सितंबर को हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत और 90 से ज्यादा लोग घायल होने के बाद उन्होंने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी थी।
विपक्ष के लिए नया मुद्दा
वांगचुक की गिरफ्तारी अब विपक्षी दलों के लिए केंद्र पर हमला करने का बड़ा मुद्दा बनती जा रही है।
- AAP ने इसे तानाशाही करार दिया है।
- कांग्रेस और वाम दलों की ओर से भी सहानुभूतिपूर्ण बयान आने की संभावना है।
- माना जा रहा है कि आगामी सत्र में संसद में भी यह मुद्दा गूंज सकता है।
लद्दाख में सुरक्षा सख्त
गिरफ्तारी के बाद लेह और आसपास के इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
- संवेदनशील इलाकों में CRPF की कंपनियां भी लगाई गई हैं।
- मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद हैं ताकि अफवाहें न फैलें।
- प्रशासन लगातार लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय चर्चा भी तेज
चूंकि सोनम वांगचुक एक वैश्विक स्तर पर पहचान रखने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता हैं, उनकी गिरफ्तारी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी चर्चा का विषय बन गई है। विदेशों के कई विश्वविद्यालयों और संगठनों से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर इस मामले पर चिंता जता रहे हैं।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने लद्दाख के आंदोलन को नया मोड़ दे दिया है। एक ओर सरकार उन पर हिंसा भड़काने और वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगा रही है, वहीं विपक्ष इसे “तानाशाही” और “लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला” बता रहा है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वांगचुक की गिरफ्तारी से लद्दाख का आंदोलन कमजोर होगा या फिर यह और मजबूत होकर राष्ट्रीय राजनीति का बड़ा मुद्दा बनेगा।