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वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण 2024–25 और केपेक्स सर्वे 2025 पर हरिद्वार में एक दिवसीय गोलमेज सम्मेलन सम्पन्न

हरिद्वार, 13 नवम्बर। भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), क्षेत्रीय सांख्यिकी कार्यालय देहरादून द्वारा बुधवार को “वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण (Annual Survey of Industries) 2024–25” एवं “केपेक्स सर्वे 2025” विषय पर एक दिवसीय गोलमेज सम्मेलन (Round Table Conference) का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन होटल हिलटॉप, राजपुर रोड, हरिद्वार में आयोजित हुआ, जिसमें औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधियों, सांख्यिकीय अधिकारियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।


औद्योगिक विकास और नीतिगत निर्णयों में सर्वेक्षण की भूमिका अहम — महापात्र

सम्मेलन की अध्यक्षता भरत लाल महापात्र, उप महानिदेशक, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (देहरादून) ने की।
अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने कहा कि वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण (ASI) देश के औद्योगिक क्षेत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण डाटा-संग्रह प्रक्रिया है। इस सर्वेक्षण के माध्यम से उद्योगों की उत्पादन क्षमता, पूंजी निवेश, रोजगार सृजन, राजस्व योगदान और क्षेत्रीय औद्योगिक असंतुलन से संबंधित आंकड़े एकत्र किए जाते हैं।

उन्होंने कहा —

“औद्योगिक सर्वेक्षण न केवल आंकड़े जुटाने का साधन है, बल्कि यह नीति-निर्माताओं के लिए दिशा-निर्देशक उपकरण है। इससे उद्योगों की वास्तविक स्थिति, उनकी प्रगति और निवेश की प्रवृत्तियों का स्पष्ट आकलन होता है।”

महापात्र ने यह भी बताया कि वर्ष 2024–25 के लिए औद्योगिक इकाइयों को अपना वार्षिक औद्योगिक रिटर्न ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से स्वयं संकलित करना होगा, जिससे प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और समयबद्ध बनेगी।


केपेक्स सर्वे 2025 से निवेश प्रवृत्तियों की होगी पहचान

कार्यक्रम में केपेक्स सर्वे (Capital Expenditure Survey) 2025 पर भी विस्तृत चर्चा हुई।
महापात्र ने बताया कि इस सर्वे के तहत भवनों, मशीनरी, उपकरणों और स्थायी निर्माण संरचनाओं पर किए गए निवेश का डाटा संकलित किया जाएगा।
यह जानकारी औद्योगिक निवेश की दिशा, क्षेत्रीय असमानता, उत्पादकता वृद्धि और पूंजी निर्माण की प्रवृत्तियों को समझने में मददगार सिद्ध होगी।

उन्होंने कहा कि यह सर्वेक्षण भारत में औद्योगिक पुनर्गठन और आर्थिक विकास के लिए नीतिगत रणनीति तैयार करने में एक महत्वपूर्ण आधार बनेगा।


प्रशिक्षण सत्र में अधिकारियों ने दी तकनीकी जानकारी

सम्मेलन के दौरान आयोजित तकनीकी प्रशिक्षण सत्र में एन.एस.ओ. के अधिकारियों ने प्रतिभागी औद्योगिक इकाइयों को सर्वेक्षण की प्रक्रिया, रिपोर्टिंग पद्धति और डेटा-सत्यापन के मानकों की जानकारी दी।
इस सत्र का संचालन शुभम शर्मा (निदेशक, क्षेत्रीय सांख्यिकी कार्यालय, देहरादून) द्वारा किया गया।

उन्होंने बताया कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर डेटा एंट्री, डेटा वैलिडेशन और एनालिटिकल रिपोर्टिंग के नए प्रोटोकॉल से न केवल दक्षता बढ़ेगी, बल्कि डेटा की विश्वसनीयता भी सुनिश्चित होगी।

सत्र में राजीव शर्मा, मनु कुमार, शुभम शर्मा, एवं राहुल वर्मा, वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारियों ने प्रतिभागियों को सर्वेक्षण के फॉर्मेट, कोडिंग सिस्टम, त्रुटि-जांच विधि, और डेटा सबमिशन की प्रक्रिया पर विस्तार से प्रशिक्षण दिया।


औद्योगिक इकाइयों ने उत्साहपूर्वक लिया भाग

सम्मेलन में उत्तराखंड के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों — हरिद्वार, देहरादून, काशीपुर, रुद्रपुर और हल्द्वानी से आए औद्योगिक प्रतिनिधियों, उद्यमियों और सांख्यिकीविदों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
प्रतिभागियों ने एन.एस.ओ. अधिकारियों से सर्वेक्षण फॉर्म की जटिलताओं, डेटा संकलन के व्यावहारिक पहलुओं और ऑनलाइन रिपोर्टिंग में आने वाली तकनीकी चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की।

औद्योगिक प्रतिनिधियों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि पारदर्शी और डिजिटल सर्वेक्षण प्रणाली से न केवल उद्योगों की भागीदारी बढ़ेगी बल्कि राष्ट्रीय औद्योगिक नीति के निर्माण में भी अधिक सटीक और वास्तविक डाटा उपलब्ध हो सकेगा।


“डेटा पारदर्शिता और समयबद्धता हमारी प्राथमिकता” — एन.एस.ओ. अधिकारी

कार्यक्रम के समापन सत्र में एन.एस.ओ. अधिकारियों ने सभी प्रतिभागियों को औद्योगिक सर्वेक्षणों में सटीक, समयबद्ध और ईमानदार डेटा प्रस्तुत करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि विश्वसनीय सांख्यिकीय आंकड़े ही देश की आर्थिक नीतियों, रोजगार योजनाओं और औद्योगिक सुधारों की सुदृढ़ नींव हैं।

“सांख्यिकी केवल आंकड़ों का विज्ञान नहीं, बल्कि यह नीति और विकास के बीच सेतु का कार्य करती है,” — दीपक रावत, सहायक निदेशक, एन.एस.ओ.

इस एक दिवसीय गोलमेज सम्मेलन ने उत्तराखंड सहित समूचे उत्तर भारत की औद्योगिक इकाइयों को एक साझा मंच प्रदान किया, जहाँ उन्होंने डेटा साक्षरता, औद्योगिक पारदर्शिता और नीति-निर्माण में सांख्यिकी की भूमिका पर विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि वे अपने-अपने उद्योगों से संबंधित सटीक जानकारी समय पर उपलब्ध कराकर देश की औद्योगिक प्रगति और आर्थिक सुदृढ़ता में सक्रिय सहयोग करेंगे।

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