
श्रीनगर, 28 जुलाई — जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित माउंट महादेव इलाके में आतंकियों के खिलाफ चल रहे सुरक्षाबलों के ऑपरेशन के बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के साथ बातचीत को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बातचीत के लिए माहौल बनाना सिर्फ भारत की जिम्मेदारी नहीं, पाकिस्तान को भी अपनी भूमिका समझनी होगी।
तीन विदेशी आतंकियों की सूचना पर सुरक्षाबलों की बड़ी कार्रवाई
श्रीनगर के दाचीगाम क्षेत्र में माउंट महादेव के पास सुरक्षा एजेंसियों को तीन विदेशी आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिली, जिसके बाद विशेष बलों और सेना ने घेराबंदी कर मुठभेड़ शुरू की।
इस अभियान को ‘ऑपरेशन महादेव’ नाम दिया गया है। मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा:
“पहलगाम हमले के बाद से ही सेना, अर्धसैनिक बल और पुलिस सक्रिय हैं। यदि आज मुठभेड़ में कोई आतंकी मारा जाता है, तो यह एक अच्छी बात होगी।”
“बातचीत के पक्ष में हैं, लेकिन पाकिस्तान को भी निभानी होगी भूमिका”
पाकिस्तान के साथ बातचीत को लेकर उमर अब्दुल्ला ने साफ कहा:
“हम हमेशा बातचीत के पक्षधर रहे हैं। लेकिन बातचीत के लिए अनुकूल वातावरण बनाना केवल भारत की जिम्मेदारी नहीं हो सकती। अगर पहलगाम जैसे आतंकी हमले जारी रहेंगे, तो हम जैसे लोग जो शांति प्रक्रिया का समर्थन करते हैं, कमजोर हो जाएंगे।”
उनका यह बयान सुरक्षा नीति और विदेश नीति के बीच सामंजस्य की ज़रूरत को रेखांकित करता है।
“ऑपरेशन सिंदूर ठीक, लेकिन पहलगाम की विफलता पर भी हो चर्चा”
संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चल रही बहस को लेकर उमर अब्दुल्ला ने कहा:
“ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा ठीक है, लेकिन पहलगाम हमले पर भी चर्चा ज़रूरी है। उपराज्यपाल खुद कह चुके हैं कि इस मामले में लापरवाही हुई। फिर खुफिया विफलता और सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं हुई?”
उन्होंने संसद में मांग की कि पहले सुरक्षा विफलता पर जवाबदेही तय की जाए, फिर दूसरे अभियानों पर चर्चा की जाए।
जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे पर क्या बोले उमर अब्दुल्ला?
जम्मू-कश्मीर को पुनः विशेष राज्य का दर्जा मिलने की उम्मीद पर उमर अब्दुल्ला ने कहा:
“हमें उम्मीद है कि इस मानसून सत्र में हमें कुछ न कुछ मिलेगा। अगर नहीं मिला, तो हम बाद में अपनी रणनीति तय करेंगे। मैं अभी हड़ताल पर नहीं जाऊंगा, जब तक संसद सत्र चल रहा है।”
विश्लेषण: घाटी में बदलते हालात और राजनीतिक प्रतिक्रिया का समीकरण
‘ऑपरेशन महादेव’ और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों के बीच उमर अब्दुल्ला की टिप्पणियां राजनीतिक-सुरक्षा संतुलन का संकेत देती हैं। जहां वे आतंकियों पर सख्त कार्रवाई का समर्थन कर रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही की भी मांग कर रहे हैं।
साथ ही, पाकिस्तान से बातचीत और राज्य के विशेष दर्जे पर उनकी बातों से यह स्पष्ट है कि घाटी में राजनीतिक विमर्श अब सुरक्षा और आत्म-प्रतिनिधित्व, दोनों के इर्द-गिर्द घूम रहा है।