
📍 नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया है। इस हमले में मारे गए 26 निर्दोष हिंदू तीर्थयात्रियों की हत्या ने एक बार फिर भारत में आतंकवाद को लेकर गहरी चिंता पैदा कर दी है। हमले के बाद देश भर में शोक और गुस्से की लहर दौड़ गई है।
देश की कई जानी-मानी हस्तियों ने इस दर्दनाक घटना पर अपनी आवाज बुलंद की है। इन्हीं में से एक हैं मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर, जिन्होंने पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ खुले शब्दों में गुस्सा जाहिर किया है।
जावेद अख्तर ने कहा,
“अब बहुत हो चुका है। वक्त आ गया है कि इस बर्बरता का निर्णायक जवाब दिया जाए। क्या वे (हमलावर) भी भागकर जर्मनी चले गए थे?”
उनकी टिप्पणी उन बहानों और चुप्पियों के खिलाफ थी जो अक्सर ऐसे हमलों के बाद देखी जाती हैं। उन्होंने कहा कि अब केवल बयानबाजी नहीं, ठोस कार्रवाई की ज़रूरत है।
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22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में एक तीर्थयात्रियों के काफिले पर आतंकी हमला हुआ।
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अब तक 26 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल हैं।
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कई परिवारों ने एक से अधिक सदस्य खोए हैं, जिससे त्रासदी और भी गहरी हो गई है।
भारत सरकार ने हमले के तुरंत बाद:
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राजनयिक स्तर पर कड़े कदम उठाए हैं।
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सीमा पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई है।
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और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद का मुद्दा फिर से उठाने की रणनीति बनाई गई है।
यह हमला न केवल सुरक्षा तंत्र की परीक्षा है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं पर भी गहरा आघात है। ऐसे में जावेद अख्तर जैसे लेखक और विचारक की मुखर प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि अब सिर्फ सरकारी या सैन्य स्तर पर नहीं, सामाजिक चेतना में भी निर्णायक बदलाव की मांग उठ रही है।
जावेद अख्तर की यह टिप्पणी केवल एक बयान नहीं, बल्कि उस बौद्धिक और सांस्कृतिक वर्ग की नाराज़गी है जो आतंकवाद पर चुप्पी को अब और सहन करने को तैयार नहीं है। पहलगाम हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब प्रतिक्रियाओं की नहीं, कार्यवाही की राजनीति की ज़रूरत है।