क्राइमदेशफीचर्ड

‘कोई भी कानून से ऊपर नहीं’: हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के ADGP की गिरफ्तारी का दिया आदेश, विधायक को लगाई कड़ी फटकार

खबर को सुने

चेन्नई/मद्रास। मद्रास हाईकोर्ट ने एक अपहरण मामले में संलिप्तता के आरोपों के चलते तमिलनाडु के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) एच.एम. जयराम को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वह कितना भी बड़ा पदाधिकारी क्यों न हो।

जस्टिस पी. वेलमुरुगन की पीठ ने यह आदेश देते हुए केवी कुप्पम के विधायक ‘पूवई’ जगन मूर्ति को भी जांच एजेंसी के साथ पूरा सहयोग करने के लिए कहा। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान विधायक और उनके समर्थकों के व्यवहार पर सख्त नाराज़गी जताई, और कहा कि लोकतंत्र में लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों से आदर्श आचरण की अपेक्षा की जाती है, न कि कानून की अवहेलना।

क्या है मामला?

मामला लक्ष्मी नामक महिला की शिकायत से जुड़ा है, जिसने आरोप लगाया कि उसके बड़े बेटे ने एक लड़की से परिवार की सहमति के बिना विवाह कर लिया, जिससे गुस्साए लड़की के परिजन कुछ बदमाशों को लेकर उसके घर आए। जब बेटा और बहू वहां से छिप गए, तो हमलावरों ने उसके 18 वर्षीय छोटे बेटे का अपहरण कर लिया। बाद में उसे घायल अवस्था में एक होटल के पास छोड़ा गया।

शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया कि लड़के को एडीजीपी के आधिकारिक वाहन में छोड़ा गया, और पूरा षड्यंत्र विधायक द्वारा रचा गया था।

कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

सुनवाई के दौरान अदालत ने कई तीखी टिप्पणियाँ कीं:

  • “कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।”

  • “आप एक विधायक हैं, आपको जनता का आदर्श बनना चाहिए।”

  • “आप अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए क्या कर रहे हैं? लोग चिलचिलाती धूप में वोट डालते हैं, और आप कंगारू कोर्ट चला रहे हैं?”

  • “अगर कोई शादी कर रहा है, तो उन्हें करने दीजिए। यह आपकी शक्ति नहीं है कि आप उस पर निर्णय लें।”

कोर्ट ने विधायक की भूमिका की आलोचना करते हुए कहा कि वह अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और जांच में बाधा डाल रहे हैं। जज ने यह भी चेतावनी दी कि यदि विधायक के समर्थकों ने पुलिस कार्य में हस्तक्षेप जारी रखा, तो उनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।

अतिरिक्त लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि ADGP की भूमिका संदिग्ध है लेकिन अभी तक उनके खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया क्योंकि पहले विधायक से पूछताछ की जानी थी। कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए ADGP जयराम की तत्काल गिरफ्तारी के निर्देश दिए, और यह भी कहा कि उन्हें कानून के अनुसार सुरक्षित रखा जाए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि ADGP को यदि जमानत लेनी हो, तो वे विधिसम्मत प्रक्रिया के तहत कोर्ट में अर्जी दे सकते हैं।

कोर्ट ने विधायक की अग्रिम जमानत याचिका पर कोई निर्णय नहीं सुनाया, और स्पष्ट रूप से कहा कि पहले उन्हें जांच में सहयोग करना होगा। यदि वे सहयोग नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

यह प्रकरण लोकतंत्र, कानून की सर्वोच्चता और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही का महत्वपूर्ण उदाहरण बनकर सामने आया है। मद्रास हाईकोर्ट का सख्त रुख यह संकेत देता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी ऊंचे पद पर क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं हो सकता।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button