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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा कि आरक्षण का आधार धर्म नहीं हो सकता है..

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण का आधार धर्म नहीं हो सकता है.अदालत ने यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल सरकार की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की. आपको बता दें पश्चिम बंगाल सरकार ने यह याचिका कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने के लिए दायर की थी, जिसमें 2010 से पश्चिम बंगाल में कई जातियों को दिए गए ओबीसी दर्जे को रद्द कर दिया गया था. सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल ने दलील दी कि यह आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं बल्कि पिछड़ेपन के आधार पर दिया गया. कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपना फैसला इस साल 22 मई को सुनाया था.पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच सुनवाई कर रही है.अदालत ने पांच अगस्त को हुई सुनवाई में पश्चिम बंगाल सरकार से ओबीसी लिस्ट में शामिल की गई नई जातियों के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन और पब्लिक सेक्टर की नौकरियों में उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व पर आंकड़े उपलब्ध मांगे थे.इस मामले की अगली सुनवाई सात जनवरी को होगी.   

 कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से मार्च 2010 से मई 2012 के बीच ओबीसी आरक्षण के लिए पारित सभी आदेश रद्द कर दिए थे.पश्चिम बंगाल सरकार ने इन आदेशों के जरिए मुसलमानों की 75 जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण दिया था.अदालत ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2012 के तहत ओबीसी में 37 जातियों को शामिल करने वाले आदेश को भी खारिज कर दिया था. हाई कोर्ट के जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और राजशेखर मंथा की डिवीजन बेंच ने कहा था कि पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग और राज्य सरकार ने आरक्षण देने के लिए धर्म को एकमात्र आधार बनाया.अदालत ने इसे संविधान और अदालत के आदेशों के खिलाफ बताया था. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यकीनन इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए धर्म ही आधार नजर आ रहा है. अदालत ने कहा था कि जिन लोगों को इस आरक्षण से अब तक लाभ मिल चुका है, उनकी सेवाएं इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी. 

ममता बनर्जी की सरकार से पहले वाम मोर्चे की सरकार ने 2010 में ओबीसी कोटा में आरक्षण के लिए 42 जातियों की पहचान की थी. इसमें 41 जातियां मुसलमानों की थीं. साल 2011 में जब ममता बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस की सरकार आई तो उसने 2012 में 35 और जातियों को ओबीसी कोटे में रिजर्वेशन दिया. इनमें से 34 जातियां मुसलमानों की थीं. इस समय पश्चिम बंगाल की OBC की सूची में 180 जातियां शामिल हैं. 

ममता सरकार ने मार्च 2013 में पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम, 2012 की अधिसूचना जारी की. इसमें सभी 77 जातियों को ओबीसी अधिनियम की अनुसूची I में शामिल किया गया. सरकार के इस कदम को चुनौती देने वाली दो याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गईं.याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि 42 नई जातियों को ओबीसी में शामिल करने का फैसला पूरी तरह धर्म आधारित है. 

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