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नई दिल्ली : रबी क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में 24.13 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है -केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

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वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रबी फसलों की स्थिति की समीक्षा की; मंत्री महोदय ने आने वाले दिनों में रबी फसलों के क्षेत्रफल में तेजी से और वृद्धि होने की उम्मीद जताई

पिछले वर्ष की इसी अवधि के 138.35 लाख हेक्टेयर की तुलना में 152.88 लाख हेक्टेयर में गेहूं क्षेत्रफल में वृद्धि दर्ज की गई

मिट्टी की नमी की अनुकूल स्थिति, बेहतर जल भंडारण और देश भर में उर्वरकों की सहज उपलब्धता के कारण रबी की अच्छी फसल होने की आशा: तोमर

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर ने जानकारी देते हुए बताया है कि पिछले वर्ष की तुलना में रबी की फसल के क्षेत्रफल में 24.13 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रबी फसलों की स्थिति की समीक्षा करते हुए, श्री तोमर ने संतोष व्यक्त किया कि पिछले वर्ष की इसी अवधि के 138.35 लाख हेक्टेयर की तुलना में अभी तक गेहूं की 152.88 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की गई है, क्योंकि प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में पिछले वर्ष की तुलना में गेहूं की क्षेत्रीय कवरेज में भी वृद्धि दर्ज की है। गेहूं के लिए, पिछले वर्ष की तुलना में क्षेत्रफल में 14.53 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है और यह पिछले चार वर्षों से अब तक सबसे अधिक है।

25 नवम्बर, 2022 तक, रबी फसलों के तहत बुवाई का कुल क्षेत्रफल 358.59 लाख हेक्टेयर (जो सामान्य रबी क्षेत्र का 57 प्रतिशत है) था, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 334.46 लाख हेक्टेयर था। इस प्रकार रबी क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में 24.13 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। (इसका ब्यौरा अनुबंध में दिया गया है)

तोमर ने आशा जताई कि मिट्टी की नमी की अनुकूल स्थिति, बेहतर जल भंडारण और देश भर में उर्वरकों की सहज उपलब्धता के साथ आने वाले दिनों में रबी फसलों की क्षेत्रीय कवरेज में और तेजी आने और इससे अच्छी रबी फसल होने की उम्मीद की जा सकती है।

देश भर के 143 महत्वपूर्ण जलाशयों में वर्तमान जल संग्रहण 149.49 बिलियन क्यूबिक मीटर (24 नवंबर, 2022 को समाप्त सप्ताह) है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि का 106 प्रतिशत है और पिछले 10 वर्षों की इसी अवधि के औसत संग्रहण का 119 प्रतिशत है। अधिकांश जिलों में 15-21 नवंबर, 2022 के दौरान मिट्टी में नमी की स्थिति इसी अवधि के पिछले 7 वर्षों के औसत से अधिक है। रबी सीजन के लिए आवश्यकतानुरूप पूरे देश में खाद की भी सहज रूप से उपलब्धता है।

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