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देशफीचर्ड

दिल्ली में आवारा कुत्ते के काटने से 6 साल की बच्ची की मौत, सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

"रेबीज से मासूम की मौत, अब जागी व्यवस्था"

नई दिल्ली | ब्यूरो रिपोर्ट: देश की राजधानी एक बार फिर अव्यवस्था की शिकार हुई है — इस बार कीमत चुकाई है एक मासूम बच्ची ने। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी के पूठ कलां इलाके में एक आवारा कुत्ते के काटने के बाद छह वर्षीय छवि शर्मा की रेबीज संक्रमण से मौत हो गई। यह मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे ‘जनहित का गंभीर मसला’ करार दिया है

घटना की पूरी पड़ताल

छवि, जिसे परिजन प्यार से ‘बिट्टू’ बुलाते थे, 30 जून को अपनी बुआ के घर जा रही थी जब एक आवारा कुत्ते ने उसे बुरी तरह काट लिया। खून से लथपथ बच्ची को तत्काल डॉ. बी.आर. आंबेडकर अस्पताल ले जाया गया, जहां रेबीज रोधी टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू की गई।

डॉक्टरों ने 0, 3, 7 और 28 दिन की चार खुराक का कार्यक्रम तय किया। लेकिन 21 जुलाई को स्कूल से लौटने के बाद छवि की तबीयत बिगड़ने लगी। उल्टियों और कमजोरी के बाद उसकी हालत लगातार खराब होती गई, और 25 जुलाई को उसकी मौत हो गई।

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए मामले की गंभीरता और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए। जस्टिस जे. पारडीवाला ने ‘City Hounded by Strays and Kids Pay Price’ शीर्षक से छपी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा —

“बच्चों और बुजुर्गों की जान पर बन आई है। यह स्थिति डरावनी और अस्वीकार्य है।”

अदालत ने दिल्ली नगर निगम (MCD) से इस मामले में तत्काल रिपोर्ट तलब की है और संपूर्ण व्यवस्था की जवाबदेही तय करने को कहा है।

स्थानीय लोगों में आक्रोश

इलाके के लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि नगर निगम ने आवारा कुत्तों को पकड़ने की मुहिम तब शुरू की जब सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया। इससे पहले क्षेत्र में कई बार शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

राष्ट्रीय राजधानी में कुत्तों के हमले आंकड़ों में

  • दिल्ली में हर दिन औसतन 300–400 डॉग बाइट केस सामने आते हैं
  • 2023 में दर्ज मामलों की संख्या: 1.5 लाख से अधिक
  • विशेषज्ञों के मुताबिक, रेबीज से हर साल देशभर में लगभग 20,000 मौतें होती हैं — इनमें बड़ी संख्या बच्चों की होती है

क्या कहती है व्यवस्था?

दिल्ली नगर निगम की ओर से इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद निगम अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई गई है।


अब सवाल यह है—

क्या एक और मासूम की मौत के बाद सिस्टम जागेगा?
क्या शहर में घूमते खतरनाक आवारा कुत्तों पर प्रभावी नीति बनेगी? और सबसे जरूरी, क्या अब और ‘छवियों’ की जान बचेगी?

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