
नैनीताल/हरिद्वार: गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन को लेकर मातृ सदन हरिद्वार की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने हरिद्वार में अवैध रूप से संचालित 48 स्टोन क्रशरों को तुरंत बंद करने और उनकी बिजली व पानी की आपूर्ति काटने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने साथ ही हरिद्वार डीएम और एसएसपी को आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
पूर्व आदेशों की अवहेलना पर कोर्ट सख्त
न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने 3 मई को भी इन्हीं क्रशरों को बंद करने का निर्देश दिया था। लेकिन उसके बावजूद स्टोन क्रशर संचालित होते रहे, जिसे अदालत ने कानून की अवहेलना और अदालती आदेश की अनदेखी करार दिया। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “पूर्व आदेशों का पालन न करना गंभीर उल्लंघन है और ऐसे संचालन पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए।”
अब 12 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
अदालत ने राज्य प्रशासन को निर्देश दिया कि सभी 48 स्टोन क्रशर के संचालन को तत्काल प्रभाव से बंद कर बिजली-पानी की आपूर्ति रोकी जाए और अगली सुनवाई 12 सितंबर को की जाएगी जिसमें अनुपालन रिपोर्ट पेश की जानी है।
गंगा को बचाने की लड़ाई: याचिकाकर्ता की अपील
याचिकाकर्ता मातृ सदन हरिद्वार की ओर से अदालत में कहा गया कि रायवाला से भोगपुर और कुंभ मेला क्षेत्र तक गंगा नदी के किनारे बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है, जिससे गंगा नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। याचिकाकर्ता स्वामी दयानंद ने अदालत से मांग की कि खनन पर तत्काल रोक लगाई जाए क्योंकि यह ‘नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा’ (NMCG) के उद्देश्यों के खिलाफ है।
स्वामी दयानंद ने कहा, “गंगा नदी में हो रहा अवैध खनन न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरनाक है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को भी नुकसान पहुंचा रहा है। हमने बार-बार प्रशासन और सरकार को चेताया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।”
NMCG और यूएन की भी चेतावनी की अनदेखी
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि केंद्र सरकार द्वारा गठित नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा बोर्ड ने राज्य सरकार को कई बार निर्देश दिए कि गंगा में खनन न किया जाए। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने भी भारत सरकार से गंगा को बचाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी थी। बावजूद इसके, राज्य में खनन कार्य जारी हैं, जिससे गंगा के अस्तित्व को सीधा खतरा उत्पन्न हो गया है।