
नई दिल्ली: दिल्ली की सड़कों पर रविवार और सोमवार की आधी रात को गोलियों की गूंज से अफरातफरी मच गई। ईस्ट ऑफ कैलाश के आस्था कुंज पार्क के पास दिल्ली और गुरुग्राम पुलिस की संयुक्त टीम ने कुख्यात अपराधी भीम जोरा को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। नेपाल मूल का यह अपराधी हत्या, डकैती और चोरी जैसी छह से अधिक गंभीर वारदातों में वांटेड था। पुलिस के मुताबिक, भीम जोरा पर दिल्ली पुलिस की ओर से ₹50,000 का इनाम घोषित था और हाल ही में वह गुरुग्राम में एक बीजेपी नेता के घर हुई चोरी के मामले में भी वांछित था।
आधी रात शुरू हुआ ऑपरेशन, गोलियों से गूंजा इलाका
यह एनकाउंटर रविवार देर रात यानी 6 और 7 अक्टूबर की मध्यरात्रि के बीच करीब 12:20 बजे शुरू हुआ।
सूत्रों के मुताबिक, दक्षिणी पूर्वी जिला पुलिस को सूचना मिली थी कि भीम जोरा अपने गिरोह के एक साथी के साथ आस्था कुंज पार्क के आसपास छिपा हुआ है।
इस जानकारी के बाद दिल्ली पुलिस और गुरुग्राम पुलिस की एक संयुक्त टीम ने इलाके की घेराबंदी की।
जैसे ही पुलिस ने उसे रुकने का इशारा किया, भीम जोरा ने फायरिंग शुरू कर दी — उसने करीब छह राउंड गोलियां दागीं, जिनमें से कुछ पुलिस के वाहन को भी निशाना बना गईं।
जवाब में पुलिस ने पांच राउंड फायरिंग की, जिसमें भीम जोरा को सीने और पैर में गंभीर चोटें आईं।
उसे तुरंत एम्स ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने बताया कि इस एनकाउंटर में किसी पुलिसकर्मी को गंभीर चोट नहीं आई।
अपराध की लंबी फेहरिस्त — नेपाल से दिल्ली तक फैला नेटवर्क
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, भीम जोरा मूल रूप से नेपाल का रहने वाला था और कई सालों से दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर सक्रिय था।
वह जंगपुरा में डॉक्टर पॉल की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी था। इसी केस में उस पर इनाम घोषित किया गया था।
इसके अलावा, वह गुरुग्राम, बेंगलुरु और गुजरात में डकैती और चोरी के कई मामलों में भी वांछित था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, भीम जोरा का गैंग राजधानी के दक्षिणी इलाकों में सक्रिय था और अमीर घरों को निशाना बनाकर हाई-प्रोफाइल चोरी की वारदातों को अंजाम देता था।
पुलिस को मिले हथियार और सेंधमारी के औजार
घटनास्थल की तलाशी में पुलिस को एक अत्याधुनिक स्वचालित पिस्तौल, एक जिंदा कारतूस, कुछ खाली कारतूस और चोरी करने के औजारों से भरा बैग मिला है।
जांचकर्ताओं का कहना है कि भीम जोरा हाल ही में दिल्ली में कई घरों की रेकी कर रहा था और जल्द ही किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में था।
पुलिस यह भी जांच कर रही है कि उसके साथ कोई साथी मौजूद था या वह अकेला था।
संयुक्त ऑपरेशन की रणनीति — खुफिया इनपुट से मिली सफलता
दक्षिणी पूर्वी दिल्ली पुलिस और गुरुग्राम पुलिस पिछले कई हफ्तों से इस अपराधी के मूवमेंट पर नजर रखे हुए थे।
डीसीपी (साउथ-ईस्ट) की अगुवाई में गठित स्पेशल टीम ने इस ऑपरेशन को प्लान किया था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, भीम जोरा का ठिकाना बदलते रहना और पहचान छिपाने के लिए फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करना उसकी खास रणनीति थी।
लेकिन इस बार एक टेक्निकल सर्विलांस इनपुट के ज़रिए उसकी लोकेशन ट्रेस कर ली गई, जिसके बाद ट्रैप बिछाकर एनकाउंटर को अंजाम दिया गया।
लंबे समय से फरार, दिल्ली-हरियाणा पुलिस को था इंतजार
भीम जोरा की तलाश में दिल्ली और हरियाणा पुलिस की कई टीमें महीनों से जुटी थीं।
वह पहले भी कई बार गिरफ्तारी से बचने के लिए नेपाल भाग चुका था।
पुलिस के अनुसार, उसका गैंग सीमावर्ती इलाकों में गोल्ड चोरी, नकली दस्तावेज़ बनवाने और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराधों में भी संलिप्त था।
पुलिस अब उसके अन्य साथियों की तलाश में दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद में छापेमारी कर रही है।
आम लोगों के लिए राहत की खबर
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से इलाके में रात के वक्त चोरी और स्नैचिंग की घटनाएं बढ़ गई थीं।
पुलिस की इस कार्रवाई के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है।
इलाके के एक निवासी ने बताया, “हम कई दिनों से सुन रहे थे कि आसपास कुछ संदिग्ध घूम रहे हैं। रात में फायरिंग की आवाज आई तो लगा कुछ बड़ा हुआ है। सुबह पता चला कि पुलिस ने बदमाश को पकड़ लिया है।”
पुलिस की ओर से बयान
दक्षिणी पूर्वी जिला पुलिस उपायुक्त ने कहा —
“यह एक प्लान्ड जॉइंट ऑपरेशन था। भीम जोरा पर कई राज्यों में केस दर्ज थे और वह दिल्ली-हरियाणा पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था।
उसने पुलिस टीम पर फायरिंग की, जिसके जवाब में की गई कार्रवाई में वह घायल हुआ और बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई।”
उन्होंने आगे बताया कि घटनास्थल से बरामद हथियारों और औजारों की फोरेंसिक जांच कराई जा रही है और केस की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है।
कानूनी प्रक्रिया शुरू — शव पोस्टमार्टम के बाद नेपाल दूतावास को सूचना
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और नेपाल दूतावास को सूचित किया गया है ताकि परिवार को इसकी जानकारी दी जा सके।
एनकाउंटर की पूरी कार्रवाई की मैगिस्ट्रेट जांच कराई जाएगी, जैसा कि नियमों के तहत अनिवार्य है।
भीम जोरा का अंत — लेकिन सवाल बाकी
भीम जोरा के मारे जाने से दिल्ली-हरियाणा पुलिस ने एक लंबे समय से चल रहे सिरदर्द से राहत पा ली है,
लेकिन यह एनकाउंटर एक बार फिर सवाल खड़ा करता है —
कैसे नेपाल से आए अपराधी दिल्ली और NCR तक अपने गैंग फैलाकर वर्षों तक सक्रिय रहते हैं?
क्या सीमावर्ती इलाकों में अपराधियों के लिए अब भी कानूनी खामियां और स्थानीय नेटवर्क सुरक्षा कवच का काम कर रहे हैं?
पुलिस की यह बड़ी सफलता निश्चित रूप से राजधानी में अपराध पर नकेल कसने की दिशा में एक अहम कदम है,
मगर असली जीत तब होगी जब ऐसे गैंग जड़ से खत्म होंगे — न कि एक एनकाउंटर से ही कहानी खत्म मानी जाएगी।