प्रतापगढ़ में ड्रग्स माफिया पर बड़ी कार्रवाई: दो करोड़ से अधिक कैश और भारी मात्रा में नशा बरामद, पांच गिरफ्तार
प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ ज़िले में पुलिस और नारकोटिक्स विभाग की संयुक्त टीम ने शनिवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक मादक पदार्थ तस्कर के ठिकाने पर छापा मारा। छापेमारी में अधिकारियों को इतना अधिक कैश मिला कि गिनते-गिनते वे थक गए। इस कार्रवाई में दो करोड़ रुपये से अधिक नकदी, छह किलो गांजा और 577 ग्राम स्मैक (हीरोइन) बरामद की गई है।
यह छापा मानिकपुर थाना क्षेत्र के मुंदीपुर गांव में मादक पदार्थों के कुख्यात तस्कर राजेश मिश्रा के घर पर मारा गया। पुलिस ने बताया कि राजेश मिश्रा इस समय जेल में बंद है, लेकिन वहीं से पूरे ड्रग्स नेटवर्क को ऑपरेट कर रहा था। इस मामले में पुलिस ने कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।
गांव में मचा हड़कंप, छापेमारी में उड़ी नकदी की गंध
शनिवार सुबह जब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और प्रतापगढ़ पुलिस की संयुक्त टीम मुंदीपुर पहुंची, तो गांव में अफरातफरी मच गई। अधिकारियों ने मिश्रा के घर को चारों ओर से घेर लिया और लगभग चार घंटे तक तलाशी अभियान चलाया।
तलाशी के दौरान पुलिस को एक कमरे में रखे सैकड़ों नोटों के बंडल, कई किलो नशे की खेप और तस्करी में इस्तेमाल किए जाने वाले डिजिटल वज़न मशीन, पॉलिथीन पैकिंग सामग्री और मोबाइल फोन बरामद हुए।
एसपी दीपक भुकुर ने बताया कि बरामद रकम की गिनती के लिए टीम को दो इलेक्ट्रॉनिक नोट-काउंटिंग मशीनें लगानी पड़ीं।
“छापेमारी के दौरान हमें 6 किलो गांजा, 577 ग्राम स्मैक और ₹2,01,55,345 नकद मिले हैं। यह नशा नेटवर्क लंबे समय से सक्रिय था और जेल में बंद राजेश मिश्रा इसके संचालन के पीछे मास्टरमाइंड था,”
— दीपक भुकुर, एसपी प्रतापगढ़
जेल से चल रहा था नशे का साम्राज्य
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि राजेश मिश्रा प्रतापगढ़ जेल से ही गिरोह का संचालन कर रहा था। उसके बाहर के गुर्गे माल की खरीद-फरोख्त, पैकिंग और सप्लाई का काम देखते थे।
ड्रग्स की यह खेप बिहार, प्रयागराज, रायबरेली और वाराणसी तक भेजी जाती थी। मिश्रा का नेटवर्क इतना संगठित था कि हर डिलीवरी के लिए एक अलग मोबाइल नंबर और अलग वाहन का इस्तेमाल होता था ताकि पुलिस ट्रैक न कर सके।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुलिस को राजेश मिश्रा से जुड़े बैंक खातों, मोबाइल ट्रांजेक्शन और हवाला चैनलों की भी जांच करनी है। संभावना है कि यह नेटवर्क अंतरराज्यीय स्तर पर काम कर रहा था।
‘ड्रग्स माफिया’ की लग्ज़री ज़िंदगी पर भी जांच
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, राजेश मिश्रा ने पिछले पांच वर्षों में प्रतापगढ़ में कई प्लॉट, लग्ज़री गाड़ियां और महंगे मकान खरीदे। उसके घर से बरामद दस्तावेज़ों से करोड़ों की संपत्तियों के प्रमाण मिले हैं।
अधिकारियों को शक है कि इन संपत्तियों को नशे के धंधे की कमाई से खरीदा गया है। अब पुलिस इन संपत्तियों की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सौंप सकती है।
पांच गिरफ्तार, गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश जारी
छापेमारी के दौरान पुलिस ने राजेश मिश्रा के पांच सहयोगियों —
- सुशील यादव,
- प्रमोद मिश्रा,
- विकास चौधरी,
- राकेश तिवारी, और
- राजकुमार सोनकर — को गिरफ्तार किया है।
इन सभी से पूछताछ जारी है। पुलिस ने बताया कि गिरोह के कई सदस्य अब भी फरार हैं और उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।
“हम पूरे नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के लिए आर्थिक और डिजिटल ट्रेल की जांच कर रहे हैं। राजेश मिश्रा के कई बैंक खातों को फ्रीज़ किया गया है,”
— पुलिस अधीक्षक, प्रतापगढ़
ड्रग्स का फैलता जाल और प्रशासन की सख्ती
उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले कुछ महीनों में ड्रग्स तस्करी पर शिकंजा कसने के लिए कई अभियान चलाए हैं। ‘ऑपरेशन नशामुक्त प्रदेश’ के तहत राज्य भर में 400 से अधिक छापेमार कार्रवाई की जा चुकी है।
प्रतापगढ़ की यह कार्रवाई अब तक की सबसे बड़ी नकद बरामदगी में से एक मानी जा रही है।
एक अधिकारी ने बताया कि यह नेटवर्क केवल मादक पदार्थ नहीं, बल्कि किशोरों और युवाओं को लत के जाल में फंसाने का काम कर रहा था। पुलिस ने शहर के आसपास के स्कूलों और कोचिंग सेंटर्स के पास से भी संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू की है।
एसपी बोले – “नशे के कारोबारियों को बख्शा नहीं जाएगा”
एसपी दीपक भुकुर ने कहा कि प्रतापगढ़ पुलिस ने नशे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है।
“जो भी व्यक्ति युवाओं के भविष्य से खेल रहा है, उसे जेल भेजा जाएगा। हमने नशे के कारोबारियों की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।”
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जिले में संपत्ति कुर्की और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों में भय और राहत दोनों
घटना के बाद मुंदीपुर गांव और आसपास के इलाकों में मिश्रित माहौल है। जहां लोग माफिया के बढ़ते दबदबे से चिंतित थे, वहीं अब पुलिस की कार्रवाई के बाद राहत महसूस कर रहे हैं।
गांव के एक बुजुर्ग ने कहा,
“यह गिरोह सालों से युवाओं को बर्बाद कर रहा था। पुलिस की यह कार्रवाई स्वागत योग्य है। अब हमारे बच्चे सुरक्षित रहेंगे।”
प्रतापगढ़ की यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि नशे के खिलाफ जंग केवल कानूनी नहीं, सामाजिक भी है। जब एक प्रशासनिक तंत्र दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ता है, तो नशे का अंधकार भी रोशनी से हार मानता है।
राजेश मिश्रा और उसके गिरोह की गिरफ्तारी ने यह साबित कर दिया है कि चाहे अपराधी कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो — कानून के हाथ उससे कहीं लंबे हैं।



