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गुजरात में बड़ा हादसा: वडोदरा-आणंद को जोड़ने वाला 45 साल पुराना गंभीरा पुल ढहा, अब तक 10 की मौत

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वडोदरा | 9 जुलाई 2025: वडोदरा जिले के पादरा और आणंद को जोड़ने वाला गंभीरा पुल बुधवार सुबह अचानक ढह गया, जिससे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। हादसे के समय पुल पर गुजर रहे दो ट्रक, एक बोलेरो और एक जीप सहित कुल चार वाहन नीचे बह रही माही नदी में समा गए।

अब तक 10 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई लोगों को स्थानीय ग्रामीणों और आपदा राहत दल की मदद से बचा लिया गया है। मौके पर पुलिस, एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।


45 साल पुराना पुल, वर्षों से था जर्जर

जानकारी के मुताबिक यह पुल 1985 में बनाया गया था और लंबे समय से जर्जर स्थिति में था। स्थानीय लोग लगातार प्रशासन से इसकी मरम्मत या बंद करने की मांग कर रहे थे।

  • हादसे के समय पुल पर सामान्य रूप से ट्रैफिक चालू था।
  • पुल दो हिस्सों में टूट गया, जिससे कई वाहन सीधे नदी में जा गिरे।
  • चश्मदीदों के अनुसार, हादसा सुबह करीब 7:30 बजे हुआ।

मृतकों में छह की हुई पहचान

अब तक जिन 10 मृतकों की पुष्टि हुई है, उनमें से छह की पहचान हो गई है:

  • वैदिक पडियार (45)
  • नैतिक पडियार (45)
  • हसमुख परमार (32)
  • रमेश पडियार (32)
  • वखासिंह जाधव (26)
  • प्रवीण जाधव (26)

स्थानीय लोगों ने दिखाई बहादुरी

हादसे के तुरंत बाद मुजपुर और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव कार्यों में जुट गए। उन्होंने पानी में डूबते लोगों को बाहर निकालने में प्रशासन से पहले पहल की। कई लोगों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।


प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल

इस दुर्घटना ने एक बार फिर प्रशासनिक उदासीनता को उजागर कर दिया है।

  • स्थानीय निवासियों के अनुसार, पुल पर वाहन चलते समय कंपन साफ महसूस होता था।
  • स्थानीय विधायक चैतन्यसिंह जाला की सिफारिश पर सरकार ने 212 करोड़ रुपये की लागत से नए पुल के निर्माण की मंजूरी दे दी थी, और सर्वेक्षण भी पूरा हो चुका था।
  • लेकिन पुराने पुल की मरम्मत करके उसे खुला रखा गया, जिससे अब प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

प्रमुख प्रश्न जो उठाए जा रहे हैं:

  1. जब पुल की हालत जर्जर थी तो उसे यातायात के लिए क्यों खुला रखा गया?
  2. नया पुल बनना तय था, फिर पुराने पुल की सुरक्षा का कौन ज़िम्मेदार था?
  3. क्या यह हादसा नियोजित लापरवाही और देरी का नतीजा है?

राजनीतिक प्रतिक्रिया और जांच की मांग

विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस घटना को सरकार की घोर लापरवाही करार देते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से फिलहाल कोई औपचारिक बयान नहीं आया है।


मौके की स्थिति:

  • पुल के अवशेष अब भी नदी में दिखाई दे रहे हैं।
  • ट्रकों के कुछ हिस्से नदी किनारे अटके हैं।
  • भारी मशीनें राहत कार्य में लगी हैं।

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