
देहरादून: उत्तराखंड सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) कानून में महत्वपूर्ण संशोधन की दिशा में कदम बढ़ा रही है। जानकारी के अनुसार, अब विवाह पंजीकरण के लिए तय छह माह की समयसीमा को बढ़ाकर एक वर्ष किए जाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। यह संशोधन व्यावहारिक दिक्कतों और लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित किया गया है।
गृह विभाग द्वारा तैयार किए गए इस मसौदे को जल्द ही विधि विभाग की संस्तुति मिलने के बाद कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। इसके बाद यह संशोधन अगस्त में प्रस्तावित मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में पेश किया जा सकता है।
अब तक 2.5 लाख से अधिक विवाह पंजीकृत
उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने 27 जनवरी 2024 को UCC कानून लागू किया था। तब से लेकर अब तक यूसीसी पोर्टल पर 2,55,443 विवाह पंजीकरण हो चुके हैं।
UCC के तहत 26 मार्च 2010 के बाद और अधिनियम लागू होने तक के विवाहों के लिए पंजीकरण की अधिकतम समयसीमा छह माह निर्धारित की गई थी। वहीं, अधिनियम लागू होने के बाद होने वाले नए विवाहों के लिए 60 दिन के भीतर पंजीकरण अनिवार्य है।
पंजीकरण अनिवार्य, लेकिन विवाह अमान्य नहीं होगा
गृह विभाग ने स्पष्ट किया है कि विवाह का पंजीकरण अनिवार्य तो है, लेकिन अगर किसी कारणवश समयसीमा में पंजीकरण नहीं हो पाता है, तो विवाह अवैध नहीं माना जाएगा। ऐसे मामलों में निर्धारित जुर्माना भरकर पंजीकरण किया जा सकता है।
संशोधनों का दायरा और भी बढ़ेगा
सरकार अब तक यूसीसी एक्ट में 15 से 20 छोटे-बड़े संशोधन कर चुकी है। लेकिन इस बार ध्यान विवाह पंजीकरण की समयसीमा पर केंद्रित है।
सूत्रों के मुताबिक, ट्रांसजेंडर या समलैंगिक विवाह जैसे मामलों को भी UCC के दायरे में लाने पर मंथन चल रहा है। इसके अलावा विदेशी नागरिक से विवाह की स्थिति में आधार कार्ड अनिवार्यता और एससी-एसटी के अंतर-राज्यीय विवाहों को लेकर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश लाने की योजना है।
क्या है समान नागरिक संहिता (UCC)?
UCC एक समान कानून व्यवस्था है, जो धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर भेदभाव किए बिना सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने आदि मामलों में एक समान कानून लागू करती है। यह संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत एक निर्देशात्मक सिद्धांत है, जिसे लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर होती है।
UCC कानून को लागू करना उत्तराखंड सरकार के लिए एक ऐतिहासिक कदम था। अब इस कानून को व्यवहारिक और जन-सुलभ बनाने की दिशा में यह संशोधन भी एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। यदि विधानसभा से यह प्रस्ताव पारित होता है तो हजारों लोगों को विवाह पंजीकरण कराने में राहत मिलेगी।