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शीतकालीन सत्र 2025 का आखिरी दिन: हंगामे, बहसें और बिलों के बीच खत्म होगा संसद सत्र, जानिए क्या रहा खास

नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र आज अपने अंतिम दिन पर पहुंच गया। 1 दिसंबर से शुरू हुआ यह सत्र शुरुआत से लेकर अंत तक हंगामों, तीखी बहसों और राजनीतिक टकरावों के कारण चर्चा में रहा। लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच लगातार टकराव देखने को मिला। वंदे मातरम्, चुनाव सुधार, वायु प्रदूषण, मणिपुर की स्थिति और महात्मा गांधी के नाम से जुड़े विधेयकों जैसे मुद्दों पर संसद का माहौल कई बार बेहद गर्म हो गया।

सत्र के आखिरी दौर में गुरुवार देर रात राज्यसभा में VB-G RAM G बिल के पारित होने के बाद विवाद और तेज हो गया। विपक्षी दलों, खासकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इसे महात्मा गांधी का अपमान बताते हुए संसद परिसर में करीब 12 घंटे तक धरना दिया। इस घटनाक्रम ने पूरे सत्र को और अधिक राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना दिया।

हंगामेदार रहा शीतकालीन सत्र

इस बार का शीतकालीन सत्र अपेक्षाकृत कम अवधि का था, लेकिन राजनीतिक तापमान काफी ऊंचा रहा। कई दिन ऐसे रहे जब दोनों सदनों की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई। विपक्ष का आरोप था कि सरकार अहम मुद्दों पर चर्चा से बच रही है, जबकि सरकार ने विपक्ष पर संसद की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाया।

सत्र के दौरान बार-बार स्थगन, नारेबाजी और वॉकआउट देखने को मिले। वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली-एनसीआर की स्थिति, चुनाव प्रक्रिया में सुधार, संघीय ढांचे का सवाल और केंद्र-राज्य संबंध जैसे मुद्दे बहस के केंद्र में रहे।

1 दिसंबर: सत्र की शुरुआत और अहम विधेयक

शीतकालीन सत्र के पहले दिन, यानी 1 दिसंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए। इनमें मणिपुर GST (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025 को सदन ने पारित कर दिया। यह विधेयक मणिपुर राज्य में वस्तु एवं सेवा कर से जुड़े प्रावधानों को लेकर लाया गया था।

इसके अलावा, दो अन्य अहम विधेयक भी पेश किए गए—

  • केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025
  • स्वास्थ्य सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा सेस विधेयक, 2025

सरकार का कहना था कि ये विधेयक राजस्व सुधार और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े वित्तीय ढांचे को मजबूत करने के लिए जरूरी हैं, जबकि विपक्ष ने इन पर पर्याप्त चर्चा न होने का आरोप लगाया।

वंदे मातरम् और चुनाव सुधार पर टकराव

सत्र के दौरान वंदे मातरम् के प्रयोग और उसकी व्याख्या को लेकर भी विवाद सामने आया। कुछ विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाया, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे राष्ट्रीय भावना से जोड़ते हुए विपक्ष की आलोचना की।

वहीं, चुनाव सुधारों को लेकर भी दोनों पक्ष आमने-सामने रहे। सरकार ने पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने की बात कही, जबकि विपक्ष ने आशंका जताई कि प्रस्तावित सुधार लोकतांत्रिक संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं।

वायु प्रदूषण बना बड़ा मुद्दा

दिल्ली और आसपास के इलाकों में बढ़ते वायु प्रदूषण का मुद्दा भी संसद में जोर-शोर से उठा। विपक्ष ने सरकार से ठोस और तत्काल कदम उठाने की मांग की। कई सांसदों ने कहा कि प्रदूषण अब सिर्फ पर्यावरण का नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य का गंभीर संकट बन चुका है।

सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस दिशा में काम कर रही हैं, लेकिन विपक्ष ने इसे अपर्याप्त बताया।

VB-G RAM G बिल और आधी रात का विवाद

शीतकालीन सत्र के सबसे विवादास्पद क्षणों में से एक गुरुवार देर रात देखने को मिला, जब करीब रात 12:30 बजे राज्यसभा में VB-G RAM G बिल पास किया गया। इस बिल के पारित होते ही विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया।

तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसदों ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के जरिए महात्मा गांधी के नाम और विरासत का अपमान किया गया है। विरोध में TMC सांसदों ने संसद परिसर में करीब 12 घंटे तक धरना दिया, जिससे सियासी माहौल और गरमा गया।

विपक्ष का कहना था कि इस तरह के संवेदनशील विधेयकों को आधी रात में पारित करना लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है। वहीं सरकार ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक पूरी संवैधानिक प्रक्रिया के तहत पारित किया गया।

कामकाज बनाम हंगामा

इस सत्र में सरकार ने कई विधेयकों को पारित कराने में सफलता हासिल की, लेकिन हंगामों के कारण संसद का कामकाज कई बार बाधित हुआ। संसदीय कार्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, दोनों सदनों की कार्यवाही का एक बड़ा हिस्सा व्यवधानों की भेंट चढ़ गया।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र आने वाले चुनावी माहौल का संकेत भी देता है, जहां सरकार और विपक्ष दोनों अपनी-अपनी रणनीति को आक्रामक रूप से आगे बढ़ा रहे हैं।

आगे क्या?

शीतकालीन सत्र की समाप्ति के साथ ही अब सभी की नजरें बजट सत्र पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि बजट सत्र में आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ कई विवादित प्रस्ताव फिर से बहस के केंद्र में होंगे।

शीतकालीन सत्र 2025 ने एक बार फिर यह साफ कर दिया कि संसद सिर्फ कानून बनाने का मंच नहीं, बल्कि देश की राजनीति का सबसे बड़ा रणक्षेत्र भी है, जहां हर मुद्दा सत्ता और विपक्ष के बीच सीधी टक्कर का कारण बन जाता है।

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