
नई दिल्ली/रायपुर: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरें रिजिजू ने रविवार को स्पष्ट किया कि देशभर में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (UCC) आदिवासियों पर लागू नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि पूर्वोत्तर और देश के अन्य आदिवासी क्षेत्र अपनी परंपरा और संस्कृति के अनुसार जीवन जीते रहें।
रायपुर में वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए रिजिजू ने कहा कि सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं।
रिजिजू ने क्या कहा?
मंत्री ने कहा,
“जब फौजदारी कानून सभी के लिए समान है, तो नागरिक कानून भी समान होना चाहिए। लेकिन हमने स्पष्ट कर दिया है कि आदिवासियों को इससे छूट मिलेगी। वे अपने तरीके से जीवन जीते रहेंगे। यह संहिता अनुसूची 5, अनुसूची 6, पूर्वोत्तर और आदिवासी इलाकों में लागू नहीं होगी।”
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में राज्य स्तर पर UCC लागू किया जा चुका है और अन्य राज्यों ने भी इस दिशा में पहल शुरू कर दी है। वर्तमान में विधि आयोग इस पर विचार कर रहा है।
आदिवासियों को मिली स्पष्ट छूट
- UCC लागू होने पर भी आदिवासियों को सांस्कृतिक और परंपरागत स्वतंत्रता मिलती रहेगी।
- सरकार का कहना है कि संविधान में पहले से मौजूद अनुसूची 5 और 6 के प्रावधानों के तहत आदिवासियों को संरक्षण प्राप्त है।
कांग्रेस पर परोक्ष हमला
रिजिजू ने कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद लंबे समय तक आदिवासी समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला।
- उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम कई बार सांसद रहे, लेकिन उन्हें केवल राज्य मंत्री बनाया गया।
- “एक समय ऐसा था जब केंद्र की मंत्रिपरिषद में आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व बेहद सीमित था।”
मोदी सरकार की सराहना
केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने आदिवासियों के लिए अभूतपूर्व काम किए हैं।
- वर्तमान सरकार में तीन कैबिनेट मंत्री और चार राज्य मंत्री आदिवासी समुदाय से हैं।
- सरकार ने जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना जैसे कदम उठाकर आदिवासियों के हितों को प्राथमिकता दी है।
रिजिजू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में UCC को लेकर बहस तेज है। जहां एक ओर इसे समानता और एकरूपता का कानून बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं के संरक्षण की चिंता भी जताई जा रही है।