
वॉशिंगटन/तेहरान/यरुशलम। ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध मंगलवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया है, और हालात लगातार खतरनाक होते जा रहे हैं। इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चार बड़े कदमों ने अंतरराष्ट्रीय चिंता को और गहरा कर दिया है। संकेत साफ हैं कि अमेरिका इस युद्ध में कूद सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर ईरानी नागरिकों से सीधे अपील करते हुए कहा है —
“तेहरान को तुरंत खाली कर दें! ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते — मैंने यह बार-बार कहा है!”
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तेहरान खाली करने की सीधी चेतावनी
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G7 शिखर सम्मेलन को बीच में छोड़ना
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राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) की आपात बैठक बुलाना
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मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती बढ़ाना
व्हाइट हाउस ने भी पुष्टि की है कि ट्रंप कनाडा में चल रहे G7 सम्मेलन को एक दिन पहले छोड़कर अमेरिका लौट आए हैं। वहीं पेंटागन ने जानकारी दी है कि अमेरिका मध्य-पूर्व क्षेत्र में “अतिरिक्त क्षमताएं” यानी फौजी तैनाती बढ़ा रहा है।
ग्राउंड पर हालात – दोनों ओर भारी तबाही
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ईरानी मीडिया के अनुसार, मंगलवार तड़के तेहरान में जोरदार विस्फोट हुए और एयर डिफेंस सिस्टम सक्रिय हुआ। नटांज़ जैसे संवेदनशील परमाणु शहर में हवाई सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
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इज़राइल में आधी रात के बाद तेल अवीव में सायरन बजे और मिसाइलों के हमले की खबरें आईं। अब तक इज़राइल ने 24 नागरिकों की मौत की पुष्टि की है जबकि ईरान ने 224 मौतों का आंकड़ा बताया है।
इजराइली वित्त मंत्री बेजेलेल स्मोट्रिच ने कहा कि हमलों के चलते करीब 3,000 नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।
कूटनीतिक मोर्चे पर हलचल
सूत्रों के अनुसार, ईरान ने ओमान, कतर और सऊदी अरब के जरिए अमेरिका से अपील की है कि ट्रंप, नेतन्याहू पर युद्धविराम के लिए दबाव डालें। बदले में ईरान परमाणु वार्ता में लचीलापन दिखाने को तैयार है।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“अगर ट्रंप वाकई कूटनीति में रुचि रखते हैं तो अब निर्णायक कदम उठाने होंगे।”
गौरतलब है कि ट्रंप ने पहले ही ईरान को यूरेनियम संवर्धन रोकने के लिए 60 दिन की डेडलाइन दी थी। सोमवार को नेतन्याहू ने कहा कि अगर इस मुद्दे को शांति से नहीं सुलझाया गया, तो इज़राइल सैन्य कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा।
ट्रंप के बयानों और अमेरिकी सैन्य हलचलों को देखते हुए विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अमेरिका जल्द कोई बड़ा फैसला ले सकता है।
यदि अमेरिका सीधे युद्ध में उतरता है, तो यह मध्य-पूर्व को एक और लंबे युद्ध में झोंक सकता है, जिसका असर वैश्विक स्तर पर महसूस होगा।
🛑 अब सारी निगाहें व्हाइट हाउस की सुरक्षा परिषद की बैठक और ट्रंप की अगली घोषणा पर टिकी हैं।