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यूएन में भारत का पाकिस्तान पर तीखा हमला: “सीजफायर हमारा निर्णय नहीं, पाक के अनुरोध पर हुआ”

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नई दिल्ली/न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान की कथित पीड़ित छवि को तार-तार करते हुए सच्चाई का आईना दिखाया। भारत ने स्पष्ट किया है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीजफायर का फैसला पाकिस्तान की सेना के औपचारिक अनुरोध पर लिया गया था — न कि किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव या भारतीय झुकाव के तहत।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने सुरक्षा परिषद में अपने संबोधन में कहा,

“ऑपरेशन सिंदूर के तहत हमने आतंकवाद के विरुद्ध जो लक्ष्य तय किए थे, वे पूरी तरह से हासिल किए जा चुके हैं। इसके बाद पाकिस्तानी पक्ष की अपील पर ही सीजफायर स्वीकार किया गया।”

भारत ने इस बयान के ज़रिए पाकिस्तान द्वारा बार-बार UN मंचों पर किए जा रहे झूठे दावों की प्रामाणिक रूप से खंडन किया है।


‘पाकिस्तान आतंकवाद में डूबा देश’ — भारत का करारा जवाब

राजदूत हरीश ने पाकिस्तान पर सीधा निशाना साधते हुए कहा:

“भारत एक परिपक्व लोकतंत्र और उभरती वैश्विक अर्थव्यवस्था है, जबकि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो कट्टरता और आतंकवाद में जकड़ा हुआ है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बार-बार कर्ज लेता रहता है।”

उन्होंने कहा कि भारत ने हालिया पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गंवाने के बाद, पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी अड्डों पर सटीक सैन्य कार्रवाई की थी, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में अंजाम दिया गया।


यूएन में भारत की मजबूत वैश्विक भूमिका की पुनः पुष्टि

अपने संबोधन में भारत ने UN के शांति अभियानों में अपनी ऐतिहासिक और वर्तमान सक्रियता को रेखांकित किया, साथ ही UNSC (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) में सुधार की मांग भी दोहराई। भारत ने कहा कि वर्तमान वैश्विक व्यवस्था बदलते संघर्षों और उभरते सुरक्षा खतरों से जूझ रही है, जहां गैर-राज्य आतंकी संगठनों की भूमिका खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है।

भारत ने अफ्रीकी यूनियन को G20 में शामिल किए जाने को वैश्विक समावेशिता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि यह “साझेदारी के सिद्धांत” पर आधारित भारतीय विदेश नीति का प्रमाण है।


भारत का संदेश साफ: आतंकवाद से कोई समझौता नहीं

भारत ने अपने वक्तव्य में यह भी दोहराया कि किसी भी प्रकार का विवाद या संघर्ष सीमाओं के पार बैठे आतंकी आकाओं को संरक्षण देने वाले देशों की भूमिका को नजरअंदाज कर हल नहीं किया जा सकता। भारत का रुख स्पष्ट है — आतंकवाद से कोई समझौता नहीं

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