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भारतीय रंगमंच के पुरोधा रतन थियम का निधन, इम्फाल के रिम्स अस्पताल में ली अंतिम सांस

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इम्फाल: भारतीय रंगमंच के ख्यातिलब्ध नाटककार और निर्देशक रतन थियम का बुधवार तड़के निधन हो गया। उन्होंने रात 1:30 बजे मणिपुर की राजधानी इम्फाल स्थित रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) अस्पताल में अंतिम सांस ली। रतन थियम की उम्र 76 वर्ष थी। उनके निधन से भारतीय सांस्कृतिक और रंगमंच जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

रतन थियम भारतीय रंगमंच में “थिएटर ऑफ रूट्स” आंदोलन के अग्रणी स्तंभ थे। उन्होंने पारंपरिक भारतीय नाट्य-परंपराओं को आधुनिक रंगमंच से जोड़ा और मंच पर भारतीय आत्मा को जीवंत किया। उनके नाटकों में संवेदनशीलता, दर्शन, संस्कृति और समकालीन मुद्दों का गहरा समावेश होता था।


मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने जताया शोक

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रतन थियम के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा:

“मैं अत्यंत दुःख के साथ भारतीय रंगमंच के एक सच्चे प्रकाशपुंज और मणिपुर के एक सम्मानित सपूत श्री रतन थियम के निधन पर अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। उनकी कला, दूरदर्शिता और मणिपुरी संस्कृति के प्रति समर्पण ने न केवल रंगमंच को, बल्कि हमारी पहचान को भी समृद्ध किया।”
“ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। वे अपनी कृतियों और प्रेरित जीवनों के माध्यम से सदैव जीवित रहेंगे।”


मणिपुर हिंसा के समय बनी थी शांति समिति का हिस्सा, लेकिन ठुकराया था प्रस्ताव

वर्ष 2023 में मणिपुर में हुई हिंसा के दौरान केंद्र सरकार द्वारा गठित 51 सदस्यीय शांति समिति में भी उनका नाम प्रस्तावित किया गया था, लेकिन रतन थियम ने व्यक्तिगत कारणों से इसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था।


सम्मान और उपलब्धियां

  • 1987 में रतन थियम को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • वे 2013 से 2017 तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के अध्यक्ष रहे।
  • इससे पहले वे संगीत नाटक अकादमी के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे।

प्रमुख कृतियाँ

रतन थियम के प्रमुख नाटकों में शामिल हैं:

  • “करणभारम्”
  • “इम्फाल इम्फाल”
  • “उत्तर प्रियदर्शी”
  • “द किंग ऑफ डार्क चैंबर”

इन नाटकों ने भारतीय रंगमंच को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाई।


भारतीय थिएटर ने एक युगपुरुष खो दिया

रतन थियम का जाना न केवल मणिपुर या पूर्वोत्तर भारत, बल्कि पूरे देश के लिए एक सांस्कृतिक क्षति है। वे अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।


ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
भारतीय रंगमंच सदा उनका ऋणी रहेगा।

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