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पाकिस्तान को बेनकाब करने विदेश जाएंगे भारतीय सांसद, विदेश सचिव दो चरणों में करेंगे ब्रीफिंग

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नई दिल्ली : भारत ने एक बड़ा कूटनीतिक अभियान शुरू किया है ताकि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को संरक्षण देने की हकीकत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर किया जा सके। इस अभियान के तहत सात अलग-अलग सांसदों के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल (All Party Delegation) को दुनिया के 32 देशों में भेजा जाएगा। इन सांसदों को विदेश सचिव विक्रम मिसरी दो चरणों में विशेष ब्रीफिंग देंगे।

इन यात्राओं का मकसद है अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझाना कि पाकिस्तान कैसे आतंकवादी संगठनों को समर्थन देता रहा है, और हाल ही में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों के जरिए भारत कैसे लगातार आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है।

दो चरणों में होगी ब्रीफिंग:

  • पहला चरण: 20 मई को संजय झा, कनिमोझी और श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व वाले तीन प्रतिनिधिमंडलों को जानकारी दी जाएगी।

  • दूसरा चरण: 23 मई को शेष चार दलों को विदेश सचिव विक्रम मिसरी ब्रीफ करेंगे।

  • यात्रा कार्यक्रम:

    • पहले समूह की यात्राएं 21 से 23 मई के बीच होंगी।

    • दूसरे समूह की यात्राएं 23 से 25 मई के बीच निर्धारित हैं।

सात प्रतिनिधिमंडल, अलग-अलग देश

ग्रुप नेता गंतव्य देश
1 बैजयंत पांडा सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, अल्जीरिया
2 रविशंकर प्रसाद यूके, फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय संघ, इटली, डेनमार्क
3 संजय झा इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, सिंगापुर
4 श्रीकांत शिंदे यूएई, लाइबेरिया, कांगो (डेमोक्रेटिक रिपब्लिक), सिएरा लियोन
5 शशि थरूर अमेरिका, पनामा, कनाडा, ब्राजील, कोलंबिया
6 कनिमोझी स्लोवेनिया, ग्रीस, लातविया, रूस
7 सुप्रिया सुले मिस्र, कतर, अफ्रीकी राष्ट्र, दक्षिण अफ्रीका

इन प्रतिनिधिमंडलों में शामिल हैं बीजेपी, कांग्रेस, डीएमके, एनसीपी, शिवसेना, एआईएमआईएम, आरजेडी, टीएमसी सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद। इसके अलावा, कुछ दलों में पूर्व राजदूत और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है ताकि वे पॉलिसी स्तर पर प्रभावशाली संवाद कर सकें।

विदेश मंत्रालय का यह कदम यह दर्शाता है कि भारत अब केवल आंतरिक सुरक्षा तक सीमित न रहकर, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के संरक्षक पाकिस्तान को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है।

यह अभियान सिर्फ एक कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक आक्रामक वैश्विक संवाद की शुरुआत है, जिसमें भारत दुनिया को यह बताना चाहता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अब चुप्पी नहीं, बल्कि खुला संवाद होगा।

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