
नई दिल्ली: भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच से सकारात्मक संकेत मिला है। विश्व बैंक (World Bank) ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर का अनुमान 6.3% से बढ़ाकर 6.5% कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, मजबूत घरेलू उपभोग (Consumption Growth), ग्रामीण आय में सुधार, और जीएसटी (GST) सुधारों के असर से भारत आने वाले वर्षों में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था (Fastest Growing Major Economy) बना रहेगा।
भारत की अर्थव्यवस्था पर बढ़ा भरोसा
विश्व बैंक की ताज़ा रिपोर्ट ‘South Asia Development Update (October 2025)’ में कहा गया है कि भारत की आर्थिक बुनियाद लगातार मजबूत हो रही है। घरेलू मांग, निवेश और उपभोग में तेजी के चलते भारत का विकास अनुमान अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन दिखा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है—
“उपभोग वृद्धि में निरंतर मजबूती के चलते भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखेगा। कृषि उत्पादन, ग्रामीण वेतन वृद्धि और सेवाओं के क्षेत्र में स्थिरता ने इस रफ्तार को बनाए रखा है।”
क्यों बरकरार है भारत की विकास गति
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में भारत की विकास दर को सहारा देने वाले कुछ प्रमुख कारणों का विस्तार से उल्लेख किया है—
- कृषि उत्पादन में सुधार: मानसूनी वर्ष बेहतर रहने से कृषि उत्पादन में उछाल देखने को मिला है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह बढ़ा है।
- ग्रामीण वेतन वृद्धि: ग्रामीण मजदूरी दरों में लगातार सुधार से उपभोग खर्च (Consumption Expenditure) बढ़ा है।
- जीएसटी सुधारों का असर: माल एवं सेवा कर प्रणाली के सुधारों से आर्थिक गतिविधियां सुगम हुई हैं और कर संग्रह में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है।
- सरकारी निवेश और ढांचागत परियोजनाएं: केंद्र और राज्यों द्वारा पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) में वृद्धि से निर्माण और औद्योगिक क्षेत्रों को बल मिला है।
- सेवाओं का निरंतर विस्तार: आईटी, ई-कॉमर्स, और वित्तीय सेवाओं के तेजी से विस्तार ने भी आर्थिक गतिविधियों को मजबूती दी है।
विश्व बैंक की चेतावनी: अगले साल पड़ेगा टैरिफ का असर
हालांकि रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए 50% शुल्क का असर आने वाले वित्त वर्ष में दिख सकता है।
विश्व बैंक ने कहा—
“वित्त वर्ष 2026-27 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.5% से घटाकर 6.3% किया गया है, क्योंकि अमेरिका को भारत से निर्यात किए जाने वाले लगभग तीन-चौथाई माल पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है।”
इसका मतलब यह है कि निर्यात-आधारित क्षेत्रों— जैसे वस्त्र, फार्मास्युटिकल्स, और ऑटो कंपोनेंट्स— पर असर पड़ सकता है, जिससे आगामी वर्ष में बाहरी व्यापार (External Trade) की गति थोड़ी सुस्त हो सकती है।
दक्षिण एशिया पर समग्र असर
रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया क्षेत्र की समग्र वृद्धि दर भी कुछ हद तक घट सकती है।
2024-25 में जहां यह 6.6% थी, वहीं 2025-26 में 5.8% रहने का अनुमान जताया गया है।
इसके बावजूद, विश्व बैंक का मानना है कि दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारत, अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं (Emerging Markets) की तुलना में बेहतर स्थिति में रहेगा। रिपोर्ट कहती है कि
“दक्षिण एशिया की वृद्धि दर, मंदी के बावजूद, अन्य उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक मजबूत बनी रहेगी।”
मुद्रास्फीति और मौद्रिक स्थिरता पर नजर
विश्व बैंक ने यह भी उल्लेख किया कि भारत में मुद्रास्फीति (Inflation) अब भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के लक्षित दायरे में है और निकट भविष्य में स्थिर रहने की उम्मीद है।
खाद्य मूल्यों में अस्थायी उतार-चढ़ाव के बावजूद, कोर इंफ्लेशन नियंत्रित है। यह केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों में स्थिरता बनाए रखने का अवसर देता है, जिससे निवेश और उपभोग को निरंतर समर्थन मिल सकता है।
भारत के लिए वैश्विक साख में सुधार
विश्व बैंक की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और रेटिंग एजेंसियां भी भारत की विकास दर को लेकर सकारात्मक हैं। IMF ने हाल ही में भारत के लिए 6.8% की वृद्धि दर का अनुमान जताया था।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत का जनसांख्यिकीय लाभ (Demographic Dividend), तकनीकी नवाचार और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर देश की अर्थव्यवस्था को अगले दशक में नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखते हैं।
भारत की बढ़त के मायने
भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल 4 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुँच रही है और अगले कुछ वर्षों में इसे 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है।
यह वृद्धि केवल जीडीपी आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रोज़गार सृजन, बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में भी व्यापक सुधार ला सकती है।
भारत की विकास कहानी जारी रहेगी
विश्व बैंक की रिपोर्ट भारत की आर्थिक नीतियों, उपभोग-आधारित विकास और वित्तीय अनुशासन में वैश्विक भरोसे का प्रमाण है। भले ही आने वाले वर्ष में वैश्विक व्यापारिक दबाव और निर्यात पर अमेरिकी शुल्क जैसी चुनौतियां सामने हों, लेकिन घरेलू मांग, सेवाक्षेत्र की मजबूती और सरकारी निवेश भारत की विकास यात्रा को गति देते रहेंगे।
भारत एक बार फिर यह साबित कर रहा है कि—
“दुनिया में जब अर्थव्यवस्थाएं धीमी पड़ रही हैं, तब भारत स्थिरता और संभावनाओं का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है।”