
देहरादून : उत्तराखंड के वरिष्ठ भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी मनोज चंद्रन की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) अब नए विवादों में उलझती दिख रही है। शासन द्वारा नई जांच के आदेश जारी होने के बाद उनके VRS आवेदन पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं।
IFS अधिकारी मनोज चंद्रन पर कर्मचारियों के तय कोटे से अधिक प्रमोशन देने और संविदा कर्मियों को नियमविरुद्ध नियमित करने के गंभीर आरोप हैं। पहले इस मामले की जांच रिटायर्ड IFS विजय कुमार द्वारा की जा चुकी है और रिपोर्ट शासन को सौंपी जा चुकी है। लेकिन अब शासन ने उसी प्रकरण में PCCF समीर सिन्हा को नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया है।
जानकारी के अनुसार समीर सिन्हा ने मनोज चंद्रन को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पक्ष रखने के लिए कहा, लेकिन चंद्रन जांच में शामिल नहीं हुए। हालांकि दोनों के बीच ईमेल के माध्यम से संवाद हुआ है और समीर सिन्हा अब पहले दिए गए बयानों के आधार पर जांच पूरी करने की तैयारी में हैं।
उधर, मनोज चंद्रन द्वारा दिया गया VRS आवेदन अब केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग (DoPT) के पाले में है। राज्य सरकार ने चंद्रन से जुड़ी पूरी फाइल और जांच से संबंधित दस्तावेज DoPT को भेज दिए हैं। अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मंजूरी केंद्र के निर्णय पर टिकी हुई है।
गौरतलब है कि मनोज चंद्रन ने फरवरी में ही दफ्तर आना बंद कर दिया था, लेकिन शासन ने अभी तक VRS को औपचारिक मंजूरी नहीं दी है। इसी बीच जांच दोबारा शुरू हो जाने से पूरा मामला पेचीदा हो गया है।
प्रमुख सचिव वन आर.के. सुधांशु ने इस विषय पर कहा—
“प्रकरण में सभी कार्यवाही नियमानुसार की जा रही है। जांच निष्पक्ष और तथ्यों के आधार पर होगी।”
अब सबकी नजरें समीर सिन्हा की रिपोर्ट और DoPT के फैसले पर टिकी हैं, जो तय करेगा कि मनोज चंद्रन को समय से पहले सेवानिवृत्ति मिलती है या नहीं।