हैदराबाद: साइबर सिटी हैदराबाद में पुलिस ने एक ऐसे संगठित ड्रग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है जिसने सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ा दिए हैं। इस हाई-प्रोफाइल रैकेट का नेतृत्व कोई पेशेवर अपराधी नहीं, बल्कि एक प्रतिष्ठित कंपनी में कार्यरत महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसका इवेंट मैनेजर बॉयफ्रेंड कर रहे थे। हैदराबाद नारकोटिक्स एन्फोर्समेंट विंग (H-NEW) और चिक्कडपल्ली पुलिस ने एक संयुक्त ऑपरेशन चलाकर चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर से ‘ड्रैग सिंडिकेट’ की मैनेजर तक का सफर
इस गिरोह की सबसे चौंकाने वाली कड़ी 21 वर्षीय चोडावरापु सुष्मिता देवी उर्फ ‘लिली’ है। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुष्मिता शहर की एक नामी आईटी कंपनी में काम करती है। पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि वह न केवल इस रैकेट का हिस्सा थी, बल्कि अपने बॉयफ्रेंड और मास्टरमाइंड उम्मिडी इम्मानुएल (25) के साथ मिलकर पूरे सिंडिकेट का संचालन कर रही थी।
गिरफ्तार आरोपियों की सूची:
-
उम्मिडी इम्मानुएल (25): इवेंट मैनेजर और गिरोह का मुख्य मास्टरमाइंड।
-
चोडावरापु सुष्मिता देवी (21): सॉफ्टवेयर इंजीनियर, जो वित्तीय लेनदेन और वितरण संभालती थी।
-
जी. साई कुमार (28): डिलीवरी राइडर, जो शहर के विभिन्न हिस्सों में सप्लाई करता था।
-
तारका लक्ष्मीकांत अयप्पा (24): ड्रग यूजर, जिसे मौके से हिरासत में लिया गया।
डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी: अपराध का ‘टेक-सैवी’ तरीका
हैदराबाद पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि यह गिरोह पारंपरिक तरीकों के बजाय तकनीक का सहारा लेकर कानून की नजरों से बच रहा था।
-
Tor ब्राउज़र का उपयोग: मास्टरमाइंड इम्मानुएल डार्क वेब के जरिए प्रतिबंधित नशीले पदार्थों का ऑर्डर देता था।
-
क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान: पुलिस की पकड़ से बचने के लिए ट्रांजैक्शन नकद या बैंक ट्रांसफर के बजाय Binance और Trust Wallet जैसे क्रिप्टो वॉलेट्स के माध्यम से किए जाते थे।
-
वित्तीय प्रबंधन: सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने के नाते सुष्मिता देवी इन डिजिटल पेमेंट्स और फंड मैनेजमेंट में माहिर थी। इम्मानुएल की अनुपस्थिति में वह खुद वितरण नेटवर्क की कमान संभालती थी।
छापेमारी में भारी मात्रा में सिंथेटिक ड्रग्स बरामद
पुलिस ने जब इनके ठिकानों पर दबिश दी, तो वहां से कई तरह के घातक नशीले पदार्थ बरामद हुए। जब्त किए गए सामान की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब ₹3.1 लाख आंकी गई है।
बरामदगी का विवरण:
-
OG (हाइड्रोपोनिक गांजा): 22 ग्राम
-
MDMA: 5 ग्राम
-
LSD ब्लॉट्स: 6 यूनिट
-
एक्स्टेसी: 5.5 ग्राम
-
नकद: ₹50,000 और 4 स्मार्टफोन
कैसे पहुंचता था ग्राहकों तक माल?
गिरोह ने डिलीवरी के लिए एक व्यवस्थित तंत्र बना रखा था। 28 वर्षीय जी. साई कुमार एक डिलीवरी राइडर के तौर पर काम करता था। वह शहर के पॉश इलाकों में ग्राहकों तक ड्रग्स पहुंचाता था ताकि किसी को शक न हो। यह नेटवर्क मुख्य रूप से युवाओं और टेक-प्रोफेशनल्स को अपना निशाना बना रहा था।
NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज
हैदराबाद पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारियों का कहना है कि वे अब इस नेटवर्क के ‘बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज’ की जांच कर रहे हैं। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि डार्क वेब पर इनका सप्लायर कौन था और शहर में इनके और कितने खरीदार सक्रिय हैं।
आईटी हब में बढ़ता ड्रग्स का जाल: चिंता का विषय
सॉफ्टवेयर इंजीनियर की गिरफ्तारी ने हैदराबाद के आईटी सेक्टर में मादक पदार्थों के बढ़ते चलन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च वेतन और काम के तनाव के बीच कुछ युवा इन शॉर्टकट और अवैध रास्तों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत ‘100’ नंबर पर दें।



