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हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में भीषण हादसा: पहाड़ से बस पर गिरा मलबा, 18 की मौत; सीएम सुक्खू ने जताया शोक

मुख्यमंत्री ने कहा — राज्य सरकार प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

शिमला: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में बुधवार को एक दर्दनाक सड़क हादसे में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। हादसा जिले के बरठी क्षेत्र के मलारी गांव के पास भल्लू पुल के निकट हुआ, जब पहाड़ से अचानक मलबा गिरने से एक चलती बस उसके नीचे दब गई। बस में करीब 30 से 35 यात्री सवार थे, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।

जानकारी के मुताबिक, बस मरोतन गांव से घुमारवीं की ओर जा रही थी। रास्ते में भारी बारिश के चलते अचानक पूरी पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा खिसक गया और बस पर आ गिरा। देखते ही देखते वाहन मलबे में पूरी तरह दब गया। स्थानीय लोगों ने तुरंत इसकी सूचना जिला प्रशासन को दी, जिसके बाद राहत और बचाव अभियान शुरू किया गया।

राहत-बचाव में युद्धस्तर पर जुटा प्रशासन

घटना की जानकारी मिलते ही उपायुक्त राहुल कुमार और एसपी संदीप धवल मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान संभाली। प्रशासन, पुलिस और राज्य आपदा प्रबंधन टीम (SDRF) मिलकर मलबा हटाने में जुटी हैं।

सूत्रों के अनुसार, अब तक 18 शव निकाले जा चुके हैं, जबकि दो बच्चियों को जीवित बचा लिया गया है। घायलों को तुरंत नजदीकी घुमारवीं और बिलासपुर अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कुछ गंभीर रूप से घायलों को शिमला के आईजीएमसी अस्पताल भेजा गया है।

बचाव कार्य में जेसीबी मशीनों और एक्सकेवेटरों की मदद ली जा रही है। पहाड़ से अब भी छोटे पत्थरों के गिरने का खतरा बना हुआ है, जिससे रेस्क्यू में कठिनाई हो रही है। स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन के साथ मिलकर मलबा हटाने में मदद की।

उपमुख्यमंत्री और विधायक मौके पर पहुंचे

हादसे की खबर मिलते ही उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री घटनास्थल के लिए रवाना हो गए। वह उस समय कुल्लू में दशहरा समारोह में शामिल थे।
वहीं झंडुता विधानसभा क्षेत्र के विधायक जीतराम कटवाल भी मौके पर पहुंचे और राहत कार्यों की निगरानी की। उन्होंने कहा कि, “यह बेहद दुखद घटना है। सरकार पूरी ताकत से प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है और रेस्क्यू में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।”

मुख्यमंत्री सुक्खू ने जताया शोक, परिवारों को हरसंभव मदद का भरोसा

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताते हुए कहा,

“मैं दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ। राज्य सरकार इस कठिन समय में प्रभावित परिवारों के साथ मजबूती से खड़ी है और उन्हें हरसंभव सहायता दी जाएगी।”

मुख्यमंत्री लगातार जिला प्रशासन से संपर्क में हैं और उन्होंने निर्देश दिए हैं कि बचाव कार्यों में तेजी लाई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि घायलों के उपचार में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए और उन्हें तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने राहत और पुनर्वास कार्यों की निगरानी के लिए आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ को भी सक्रिय कर दिया है। शिमला से स्थिति की हर पल जानकारी ली जा रही है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि अब तक 10 मृतकों की आधिकारिक पुष्टि हुई है, जबकि बाकी शवों की पहचान की प्रक्रिया चल रही है।

नेताओं ने जताया दुख, गहलोत ने भी की संवेदना प्रकट

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर लिखा —

“हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में लैंडस्लाइड से कई लोगों की मृत्यु होना बेहद दुखद है। मेरी गहरी संवेदनाएं शोकाकुल परिजनों के साथ हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें संबल प्रदान करें एवं दिवंगतों की आत्मा को शांति मिले। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।”

कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के नेताओं ने हादसे को प्राकृतिक आपदा की भयावह मिसाल बताया और रेस्क्यू टीमों के साहस की सराहना की।

मौसम और भू-क्षरण से बढ़ रहा खतरा

मौसम विभाग ने हाल ही में चेतावनी जारी की थी कि हिमाचल प्रदेश के मध्य और दक्षिणी हिस्सों में भारी बारिश से भूस्खलन और सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है।
बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों में पिछले तीन दिनों से लगातार वर्षा हो रही है, जिससे कई स्थानों पर पहाड़ों की मिट्टी ढीली पड़ गई है

विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार हो रहे भूस्खलन स्थानीय भूगर्भीय असंतुलन और निर्माण गतिविधियों के दबाव का परिणाम हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में सड़कों और सुरंग परियोजनाओं के निर्माण के दौरान भूस्खलन-रोधी उपायों को और सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।

प्रशासन ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर

जिला प्रशासन ने मृतकों और घायलों के परिजनों की सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। बिलासपुर कंट्रोल रूम के नंबरों पर लगातार सूचना दी जा रही है और दूरस्थ इलाकों से भी लोगों को मदद पहुंचाई जा रही है।

वहीं, आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा है कि रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने तक मौके पर भारी सुरक्षा बल तैनात रहेंगे और मलबे की पूरी सफाई के बाद ही मार्ग को दोबारा खोला जाएगा।

हादसों से सबक लेने की जरूरत

हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन के दौरान यह दूसरी बड़ी दुर्घटना है। इससे पहले जुलाई में कुल्लू जिले में हुए भूस्खलन में 12 लोगों की मौत हुई थी।
राज्य सरकार ने हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया था कि अब तक 300 से अधिक भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है।

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण गतिविधियों के चलते हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने मांग की है कि राज्य में जोखिम आकलन नीति को तत्काल लागू किया जाए।

बिलासपुर की यह त्रासदी एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि पर्वतीय राज्यों में सड़क सुरक्षा, निर्माण और आपदा प्रबंधन की तैयारियां कितनी कारगर हैं।
फिलहाल, प्रशासन का ध्यान राहत और बचाव पर केंद्रित है। मुख्यमंत्री सुक्खू और उपमुख्यमंत्री अग्निहोत्री ने प्रभावित परिवारों को सरकारी सहायता और पुनर्वास का भरोसा दिया है। स्थानीय लोगों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है और उम्मीद की जा रही है कि मलबे में फंसे सभी लोगों को जल्द बाहर निकाल लिया जाएगा।

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