
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान वे मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। बुधवार शाम वाराणसी पहुंचे रामगुलाम का भव्य स्वागत किया गया। लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने उनकी अगवानी की।
भारत-मॉरीशस के रिश्तों की गहराई
भारत और मॉरीशस के रिश्ते ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद प्रगाढ़ रहे हैं। वाराणसी दौरे को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने कहा,
“मॉरीशस हमारे संस्कृति और दिल के अत्यंत करीब है। वहां के प्रधानमंत्री के वाराणसी आने से दोनों देशों के रिश्ते और प्रगाढ़ होंगे।”
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मॉरीशस में बसे भारतीय मूल के लोग आज भी धर्म और अध्यात्म से गहराई से जुड़े हुए हैं। खास बात यह है कि मॉरीशस के लोगों ने भारत से गंगा जल लेकर वहां गंगा तालाब का निर्माण किया है, जो आज भी भारत के साथ उनकी आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है।
वार्ता के प्रमुख एजेंडे
पीएम मोदी और पीएम रामगुलाम के बीच वाराणसी में होने वाली बैठक सिर्फ औपचारिक मुलाकात नहीं है, बल्कि इसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार वार्ता में निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया जाएगा:
- सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सहयोग को और बढ़ावा देना
- शिक्षा और तकनीकी क्षेत्र में सहयोग
- व्यापार और निवेश को नई दिशा देना
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सामरिक साझेदारी
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते रणनीतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए अहम मानी जा रही है।
वाराणसी दौरे का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
वाराणसी सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र ही नहीं है, बल्कि इसे विश्व की सबसे प्राचीन आध्यात्मिक नगरी माना जाता है। यहां मॉरीशस के प्रधानमंत्री का आना अपने आप में एक बड़ा संदेश है।
- दोनों प्रधानमंत्री वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम में पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
- गंगा आरती में शामिल होने की भी संभावना जताई जा रही है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए दोनों देशों की साझा विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा।
भारतवंशियों के साथ भावनात्मक जुड़ाव
मॉरीशस की कुल आबादी का बड़ा हिस्सा भारतीय मूल का है। लगभग 68% जनसंख्या भारतीय मूल की है, जिनमें से अधिकतर का नाता उत्तर प्रदेश और बिहार से है। यही वजह है कि मॉरीशस के प्रधानमंत्री का वाराणसी आना भारतवंशियों के लिए गर्व और भावनात्मक जुड़ाव का क्षण है।
भारतवंशियों ने न केवल अपनी भाषा, धर्म और परंपराओं को जीवित रखा है बल्कि भारत और मॉरीशस के रिश्तों को भी मजबूत किया है। गंगा जल ले जाकर मॉरीशस में बनाए गए गंगा तालाब को इस जुड़ाव का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है।
राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व
विश्लेषकों के मुताबिक, वाराणसी में होने वाली यह मुलाकात कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
- यह भारत की सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी का एक बड़ा उदाहरण है।
- हिंद महासागर क्षेत्र में भारत और मॉरीशस की साझेदारी चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में अहम भूमिका निभा सकती है।
- व्यापार और निवेश के नए अवसर खुल सकते हैं, खासकर आईटी, स्वास्थ्य और पर्यटन के क्षेत्रों में।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम की वाराणसी में मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक घटना नहीं है, बल्कि यह भारत-मॉरीशस संबंधों में नई ऊर्जा का संचार करने वाला ऐतिहासिक क्षण है।
सांस्कृतिक जुड़ाव, आर्थिक साझेदारी और सामरिक सहयोग—इन तीनों मोर्चों पर यह बैठक आने वाले समय में दोनों देशों के रिश्तों को और गहरा करेगी।