
देहरादून, 28 मई 2025 : हरिद्वार में सामने आए 54 करोड़ रुपये के बहुचर्चित भूमि घोटाले की जांच पूरी कर ली गई है। जांच का जिम्मा संभालने वाले IAS अधिकारी रणवीर सिंह चौहान ने 25 दिनों की विस्तृत प्रक्रिया के बाद शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कई वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं, जिससे मामले की गंभीरता और गहराई का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
हरिद्वार नगर निगम ने एक भूमि खरीद में 54 करोड़ रुपये खर्च किए थे। यह जमीन कृषि उपयोग की श्रेणी में थी, लेकिन इसे कमर्शियल उपयोग के लिए खरीदा गया। रिपोर्ट में सामने आया है कि भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन (land use conversion) बहुत तेज़ी से किया गया, जिससे संदेह की स्थिति बनी। साथ ही यह भी उजागर हुआ है कि भूमि खरीद से जुड़ी जरूरी कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं का पूरा पालन नहीं किया गया।
📋 जांच में क्या-क्या सामने आया?
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भू-उपयोग में तेजी से बदलाव: जमीन का कृषि से व्यावसायिक भू-उपयोग किया गया, जिससे उसकी कीमत कई गुना बढ़ गई।
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लैंड पूलिंग कमिटी का गठन नहीं हुआ, जो एक जरूरी प्रक्रिया थी।
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फाइलों की प्रक्रिया शुरुआत में कृषि भूमि के रूप में हुई, लेकिन अंतिम रूप से कमर्शियल उपयोग के लिए भूमि खरीदी गई।
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भूमि खरीद के लिए आवश्यक कमेटियों का गठन नहीं किया गया।
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पूरे प्रकरण में नियमों की अनदेखी और प्रक्रियागत चूक स्पष्ट रूप से सामने आई है।
रिपोर्ट में किसकी भूमिका पर सवाल?
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तत्कालीन जिलाधिकारी, पूर्व नगर आयुक्त, तत्कालीन एसडीएम,
इन सभी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त नगर निगम और जिला प्रशासन के कई छोटे-बड़े कर्मचारी भी इस जांच की जद में आ सकते हैं।
IAS रणवीर सिंह चौहान ने पुष्टि की है कि उन्होंने जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। उनके अनुसार, “अब आगे की कार्रवाई शासन स्तर पर तय की जाएगी।“
अब इस पूरे प्रकरण की जांच रिपोर्ट सरकार के पास है और मुख्यमंत्री स्तर पर निर्णय लिया जाना है। सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही जवाबदेही तय करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।