उत्तरकाशी: सिल्क्यारा में रविवार को हुए टनल हादसे में 41 मजदूरों की जान फंसी हुई है. मजदूरों को बाहर निकालने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं. पिछले 8 दिनों से रेस्क्यू चलाया जा रहा है. रेस्क्यू में कोई जरूरत पड़ी तो नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट्स की टीम को भी बुलाया जा सकता है. इसके लिए केंद्र सरकार की पूरी तैयारी है. दरअसल, थाइलैंड की एक सुरंग में अंडर-16 फुटबाल जूनियर टीम के 17 खिलाड़ी फंस गए थे. इनको थाइलैंड ओर नॉर्वे की रेस्क्यू टीम ने सन् 2018 में टनल से बाहर निकाला था. 24 मीटर ड्रिलिंग के बाद से रेस्क्यू का काम रुका है. कुछ परेशानी आने पर बीच-बीच में रेस्क्यू को रोकना भी पड़ रहा है. रेस्क्यू पर राज्य से लेकर केंद्र सरकार की नजर बनी हुई है.मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू टीम लगीं हुई हैं. आज इस हादसे को 8 दिन हो गए. इन 8 दिनों में कब क्या हुआ आइए जानें.
राहत भरी खबर ये रही की रात को तकरीबन 12 से एक बजे के बीच टनल में फंसे मजदूरों से वॉकी-टॉकी के जरिए संपर्क होता है. मजदूरों से संपर्क होने पर अधिकारी राहत की सांस लेते हैं. मजदूर बताते हैं कि वह सही सलामत हैं. अधिकारी भी उनको आश्वासन देते हैं कि जल्द आपको बाहर निकाल लिया जाएगा. पाइप के जरिए मजदूरों को खाने-पीने की चीजें भेजी जाती हैं. घटना के दूसरे दिन सीएम पुष्कर सिंह धामी घटनास्थल पहुंचे. सभी रेस्क्यू टीमें फिर से मलबा हटाने का प्रयास करती हैं, लेकिन इस बार भी टीमें मलबे को हटाने में फिर से नाकाम हो जाती हैं. घटनास्थल पर उत्तराखंड के आपदा सचिव रंजीत सिन्हा पहुंचते हैं और वहां जुटे एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और एनएचआईडीएल के अधिकारियों के साथ बैठक कर अर्थ ऑगर मशीन से मलबा साफ कर नई सुरंग बनाने को कहते हैं. अर्थ आगर मशीन से काम शुरू कर दिया जाता है. उम्मीद यही रहती है कि अब ये मशीन के जरिए ड्रिल कर माइल स्टील पाइप से मजदूरों को बाहर निकाल लिया जायेगा.