
नई दिल्ली/कोलकाता, 27 सितंबर 2025। देश में निवेशकों को झांसा देकर किए गए बड़े घोटालों में से एक LFS ब्रोकिंग ठगी मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 155 करोड़ रुपये मूल्य की 212 संपत्तियां अटैच की हैं। यह संपत्तियां न सिर्फ पश्चिम बंगाल बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी फैली हुई हैं।
ईडी ने बताया कि अब तक इस मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें मास्टरमाइंड सैयद जियाजुर रहमान भी शामिल है। एजेंसी का कहना है कि जांच अभी जारी है और जल्द ही कई और नामों का खुलासा हो सकता है।
क्या है पूरा मामला?
यह घोटाला LFS Broking Pvt. Ltd. नामक कंपनी और उससे मिलते-जुलते नाम वाली फर्जी कंपनियों से जुड़ा है। असली LFS ब्रोकिंग एक SEBI-रजिस्टर्ड कंपनी है, लेकिन आरोपी रहमान और उसके साथियों ने मिलते-जुलते नाम की कई शेल कंपनियां बनाकर आम लोगों को भ्रमित किया।
आरोप है कि इन कंपनियों के जरिए फर्जी निवेश स्कीमें चलाई गईं।
- निवेशकों से कहा गया कि उन्हें 2-3% का मासिक गारंटीड रिटर्न मिलेगा।
- SEBI के सर्टिफिकेट्स और दस्तावेजों में छेड़छाड़ करके भरोसा दिलाया गया कि निवेश पूरी तरह सुरक्षित है।
- आरोपियों ने हजारों निवेशकों से 1600 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की।
ईडी की अब तक की कार्रवाई
- ईडी ने इस मामले में पश्चिम बंगाल पुलिस की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।
- अब तक 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
- मुख्य आरोपी सैयद जियाजुर रहमान को “मास्टरमाइंड” माना जा रहा है।
- ईडी ने कोर्ट में 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है।
शनिवार को ईडी ने जिन संपत्तियों को अटैच किया है, उनमें शामिल हैं:
- कोलकाता, हावड़ा, हुगली, मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों में जमीन और अपार्टमेंट
- होटल और रिसॉर्ट
- अन्य राज्यों में फैले फैक्ट्री प्लॉट्स और व्यावसायिक परिसंपत्तियां
ईडी का कहना है कि यह सारी संपत्तियां ठगी के पैसों से खरीदी गई थीं।
निवेशकों को कैसे फंसाया गया?
ईडी की जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि रहमान और उसके सहयोगियों ने खासतौर पर छोटे निवेशकों और मध्यम वर्गीय परिवारों को टारगेट किया।
- स्थानीय एजेंटों और कोचिंग संस्थानों के जरिए लोगों तक पहुंच बनाई गई।
- “जल्दी अमीर बनने” का लालच दिया गया।
- निवेश की रकम शुरू में समय पर लौटाकर विश्वास पैदा किया गया, लेकिन जैसे-जैसे रकम बढ़ती गई, पैसे हड़प लिए गए।
जांच में यह भी सामने आया है कि कई राजनीतिक संपर्कों और स्थानीय प्रभावशाली लोगों का उपयोग करके कंपनी ने निवेशकों का भरोसा जीता।
आगे क्या?
ईडी के अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है।
“हमारे पास कई और लोगों के खिलाफ साक्ष्य हैं। यह घोटाला बहुस्तरीय है और इसमें राज्यों के पार नेटवर्क काम कर रहा था। आगे की जांच में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।”
— ईडी अधिकारी
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला देश में बार-बार सामने आने वाले पोंजी स्कीम और चिटफंड घोटालों जैसा है। 2013 के शारदा घोटाले और 2019 के रोज वैली घोटाले की तरह इसमें भी हजारों परिवार प्रभावित हुए हैं।
निवेशकों की दुहाई
इस घोटाले से पीड़ित कई निवेशक अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं। पश्चिम बंगाल और आसपास के राज्यों के लोगों ने आरोप लगाया कि उनकी पूरी जीवनभर की बचत इसमें डूब गई है।
कोलकाता के एक पीड़ित निवेशक ने मीडिया से कहा:
“हमें लगा कि यह एक असली कंपनी है। रिटर्न भी मिल रहा था, लेकिन अचानक सब बंद हो गया। अब हमारी जमा पूंजी चली गई है।”
राजनीतिक हलचल
मामले ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हलचल भी तेज कर दी है।
- विपक्षी दलों का कहना है कि इतनी बड़ी ठगी बिना स्थानीय राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं थी।
- सत्ताधारी दल ने जवाब दिया कि जांच एजेंसियों को पूरी स्वतंत्रता है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
नतीजा और संदेश
ईडी की कार्रवाई से एक बार फिर संदेश गया है कि फर्जी निवेश कंपनियों पर शिकंजा कसना सरकार की प्राथमिकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में सख्त कदम न केवल निवेशकों का भरोसा बहाल करेंगे बल्कि वित्तीय बाजार की पारदर्शिता भी बढ़ाएंगे।
LFS ब्रोकिंग घोटाले में ईडी का यह बड़ा एक्शन पीड़ित निवेशकों के लिए राहत की खबर है। 155 करोड़ की संपत्तियों की जब्ती और आरोपियों की गिरफ्तारी से यह साफ है कि एजेंसी इस घोटाले की तह तक जाने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, 1600 करोड़ से ज्यादा की ठगी के शिकार हजारों परिवारों को अब भी इंतजार है कि कब उन्हें न्याय मिलेगा और उनकी मेहनत की कमाई वापस होगी।