
टिहरी गढ़वाल, 27 अक्टूबर: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को टिहरी गढ़वाल जनपद के नरेन्द्रनगर क्षेत्र में आयोजित 49वें श्री कुंजापुरी पर्यटन एवं विकास मेले का ध्वजारोहण कर औपचारिक शुभारंभ किया। नौ दिवसीय इस मेले की शुरुआत भव्य सांस्कृतिक झांकियों, पारंपरिक नृत्यों और क्षेत्रीय कलाकारों की प्रस्तुतियों के साथ हुई।
मेले के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री ने कई महत्वपूर्ण विकास कार्यों की घोषणाएँ कीं, जिनमें नहरों, सड़कों, सामुदायिक भवनों, मंदिरों के सौंदर्यीकरण और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार से जुड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं।
मेले में विकास की झलक — कई योजनाओं को मिली मंजूरी
मुख्यमंत्री धामी ने ढालवाला, मुनिकीरेती और नरेंद्रनगर क्षेत्र के लिए कई विकास परियोजनाओं की घोषणा की।
इनमें शामिल हैं –
- ढालवाला में अवशेष बाढ़-सुरक्षा कार्यों का निर्माण (लगभग 400 मीटर)
- कुंभ मेला 2027 के तहत मुनिकीरेती में सतह पार्किंग और एप्रोच रोड
- नरेन्द्रनगर में दैवीय आपदा से क्षतिग्रस्त नहरों का पुनर्निर्माण
- नगर पंचायत तपोवन में सामुदायिक भवन का निर्माण
- सब-रजिस्ट्रार कार्यालय की स्थापना
- बाल्मीकि बस्ती में 6 आवासों का पुनर्निर्माण
- पावकी देवी (दोगी) और भुवनेश्वरी देवी मंदिर (हार्डीसेरा) के सौंदर्यीकरण कार्यों के लिए धनराशि स्वीकृत
- गुल्लरबोगी में पार्किंग निर्माण
- ह्वेल नदी में मानसेरा, भगोड़ी और भैंतोला तोक में चेक डैम निर्माण
- नरेंद्रनगर में ANM ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना
- श्रीदेव सुमन उप जिला अस्पताल के लिए ऑटोमेटिक वेंटिलेटर मशीन की स्वीकृति
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं से न केवल स्थानीय निवासियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि कुंजापुरी क्षेत्र के धार्मिक पर्यटन, व्यापार और रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।
“कुंजापुरी मेला – आस्था, परंपरा और विकास का संगम”
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि श्री कुंजापुरी मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि लोक आस्था, सांस्कृतिक विरासत और विकास की त्रिवेणी है।
उन्होंने कहा,
“यह मेला हमारी गौरवशाली परंपराओं, लोक संस्कृति और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। 1974 से निरंतर आयोजित यह आयोजन अब क्षेत्रीय विकास और पर्यटन को नई गति देने वाला उत्सव बन गया है।”
मुख्यमंत्री ने उपस्थित जनसमूह से मां कुंजापुरी का आशीर्वाद लेने की अपील की और कहा कि इस मेले को राज्य सरकार ‘विकास और सांस्कृतिक पुनर्जागरण’ का माध्यम मानती है।
“हाउस ऑफ हिमालय” बना स्थानीय उत्पादों की नई पहचान
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए “हाउस ऑफ हिमालय” ब्रांड के माध्यम से काम कर रही है।
“हमारे गाँवों के उत्पाद — हस्तशिल्प, शहद, ऊन, जड़ी-बूटियाँ और ऑर्गेनिक सामान — अब देश और विदेश में पहचान बना रहे हैं,”
उन्होंने कहा।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में होमस्टे नीति, एप्पल मिशन, फार्म मशीनरी बैंक, फिल्म नीति जैसी योजनाएँ ग्रामीण रोजगार और रिवर्स माइग्रेशन को प्रोत्साहित करने में कारगर साबित हो रही हैं।
“समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य – उत्तराखंड”
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जिसने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लागू किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पारदर्शी प्रशासन और सुशासन के क्षेत्र में अनेक ऐतिहासिक कदम उठाए हैं।
“हमने सशक्त नकल विरोधी कानून लागू किया, भर्ती प्रक्रियाओं को पूरी तरह पारदर्शी बनाया और पिछले चार वर्षों में 26,000 से अधिक युवाओं को नौकरियाँ दी हैं,”
मुख्यमंत्री ने कहा।
उन्होंने धर्मांतरण निवारण कानून और अवैध अतिक्रमण हटाने जैसे कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन फैसलों ने उत्तराखंड को नए आत्मविश्वास और पहचान से जोड़ा है।
“पलायन रोकना और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत करना सरकार की प्राथमिकता”
मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन राज्य की सबसे बड़ी चुनौती रही है, जिसे रोकने के लिए सरकार ग्राम्य पर्यटन, पारंपरिक उत्पादों और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा दे रही है।
“हमारी नीति है – रोजगार गाँव में, सम्मान अपनी मातृभूमि में। हर गांव को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाना हमारी प्राथमिकता है,”
उन्होंने कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन के साथ-साथ धार्मिक आस्था के केंद्रों के विकास से स्थानीय युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
सांस्कृतिक धरोहर को संवारने की दिशा में ठोस प्रयास
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में धार्मिक और सांस्कृतिक विरासतों के पुनरुद्धार का अभूतपूर्व कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार भी इसी भावना के साथ धार्मिक स्थलों के संरक्षण, मंदिरों के सौंदर्यीकरण और देवस्थलों के कनेक्टिविटी सुधार पर कार्य कर रही है।
“हमारी संस्कृति केवल परंपरा नहीं, बल्कि जीवन की सकारात्मक दिशा देने वाली विचारधारा है,”
मुख्यमंत्री ने कहा।
“कुंजापुरी मेला – आत्मनिर्भर उत्तराखंड का प्रतीक”
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मेला राज्य की सामाजिक-सांस्कृतिक एकता और आर्थिक विकास का प्रतीक बनेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में इस मेले को राष्ट्रीय स्तर का आयोजन बनाने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन, योग, संस्कृति और प्रकृति की अनोखी धरोहर के रूप में उत्तराखंड आने वाले समय में “स्पिरिचुअल इकोनॉमी” का केंद्र बनेगा।
मंत्री सुबोध उनियाल बोले – “मेला हमारी सांस्कृतिक आत्मा का उत्सव है”
राज्य के वन, तकनीकी शिक्षा, भाषा, निर्वाचन एवं संसदीय कार्य मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि मां कुंजापुरी का यह मेला प्रदेश की संस्कृति, आस्था और एकता का उत्सव है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से नई पीढ़ी न केवल अपनी जड़ों से जुड़ती है, बल्कि देश की विविध संस्कृति से परिचय भी प्राप्त करती है।
“मां कुंजापुरी का आशीर्वाद ही इस क्षेत्र की समृद्धि और एकता का सूत्रधार है,”
उन्होंने कहा।
भव्य आयोजन में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उपस्थिति
मेले के उद्घाटन समारोह में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, नगर पंचायत अध्यक्ष तपोवन विनीता बिष्ट, ब्लॉक प्रमुख नरेंद्रनगर दीक्षा राणा, मेयर ऋषिकेश शंभू पासवान, भाजपा जिलाध्यक्ष उदय रावत, डीएम टिहरी नितिका खंडेलवाल, एसएसपी आयुष अग्रवाल, तथा अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने विकास प्रदर्शनी का निरीक्षण किया, विभिन्न विभागों के स्टॉल देखे और अमर शहीद स्मारक पर माल्यार्पण कर शहीदों को नमन किया।
संस्कृति और विकास का संगम बनता उत्तराखंड
कुंजापुरी मेला केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि ‘विकसित उत्तराखंड’ की दिशा में जनता और सरकार के साझा संकल्प का प्रतीक बन गया है। मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड न केवल पर्यटन और संस्कृति के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ छू रहा है, बल्कि पारदर्शी शासन और रोजगार सृजन के क्षेत्र में भी देश के लिए मिसाल पेश कर रहा है। “मां कुंजापुरी के आशीर्वाद से उत्तराखंड का हर कोना विकास और समृद्धि की नई रोशनी से जगमगाएगा,” मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा।



