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Deharadun: सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर जिला प्रशासन की बड़ी कार्रवाई

देहरादून जिला प्रशासन ने गुरुवार को सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर बड़ी कार्रवाई की

देहरादून:देहरादून जिला प्रशासन ने गुरुवार को सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर बड़ी कार्रवाई की। जिले की पांचों तहसीलों—सदर, चकराता, विकासनगर, मसूरी और ऋषिकेश—में एक साथ छापेमारी करते हुए प्रशासनिक टीमों ने कुल 19 दुकानों से नमक के नमूने एकत्र किए और उन्हें जांच के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग को भेजा।


शिकायतों के आधार पर कार्रवाई

जिला प्रशासन को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि सरकारी राशन दुकानों पर खराब गुणवत्ता का नमक वितरित किया जा रहा है। इन शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी सविन बंसल ने अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) को जांच के निर्देश दिए।

निर्देशों का पालन करते हुए उप जिलाधिकारी और तहसीलदारों ने अपने-अपने क्षेत्रों में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान दुकानों से नमक के नमूने एकत्र किए गए, जिन्हें आगे की जांच हेतु खाद्य सुरक्षा अधिकारी को सौंपा गया।


किन-किन जगहों पर हुई छापेमारी?

जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने जिन क्षेत्रों में छापेमारी की, उनमें शामिल हैं:

  • तहसील सदर
  • चकराता
  • विकासनगर
  • मसूरी
  • ऋषिकेश

इन सभी क्षेत्रों की दुकानों से नमक के सैंपल लिए गए ताकि यह जांचा जा सके कि वितरण में उपयोग किया जा रहा नमक गुणवत्ता मानकों पर खरा उतरता है या नहीं


खाद्य सुरक्षा अधिकारी को रिपोर्ट सौंपने के निर्देश

जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सभी एकत्रित नमूनों को जांच के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारी को भेजा गया है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी को जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

रिपोर्ट आने के बाद यदि नमक की गुणवत्ता में कोई कमी पाई जाती है, तो संबंधित दुकानदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


प्रशासन की सख्त निगरानी

जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि जनता के स्वास्थ्य और अधिकारों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि भविष्य में भी राशन वितरण प्रणाली की नियमित निगरानी की जाए और किसी भी प्रकार की शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित हो।

डीएम ने यह भी कहा कि खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने वाले राशन डीलरों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाएगी और दोषी पाए जाने पर उनकी दुकानों के लाइसेंस तक रद्द किए जा सकते हैं।


क्यों ज़रूरी है नमक की गुणवत्ता की जांच?

नमक आम जनमानस की रोजमर्रा की जरूरत है और सरकारी राशन दुकानों के माध्यम से बड़ी संख्या में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार इसे प्राप्त करते हैं।

यदि नमक की गुणवत्ता खराब होती है तो इससे न केवल स्वास्थ्य संबंधी खतरे उत्पन्न हो सकते हैं, बल्कि यह सरकारी वितरण प्रणाली पर लोगों का भरोसा भी कमजोर करता है। यही वजह है कि प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल कार्रवाई की।


लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रिया

छापेमारी की खबर सामने आने के बाद स्थानीय लोगों में संतोष भी है और चिंता भी।
कुछ लोगों का कहना है कि प्रशासन की यह कार्रवाई सही समय पर हुई, क्योंकि खराब गुणवत्ता का नमक परिवारों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता था। वहीं कुछ लोग चाहते हैं कि केवल जांच तक ही सीमित न रहकर दोषी पाए जाने वालों को सख्त सज़ा दी जाए ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों की पुनरावृत्ति न हो।


निष्कर्ष

देहरादून में जिला प्रशासन की यह संयुक्त कार्रवाई दर्शाती है कि सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी। नमक जैसे बुनियादी खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता पर सवाल उठना गंभीर विषय है और प्रशासन ने इसे तत्काल जांच के लिए भेजकर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाया है।

रिपोर्ट आने के बाद साफ हो जाएगा कि क्या वास्तव में राशन दुकानों पर गुणवत्ता विहीन नमक वितरित किया जा रहा था। लेकिन इतना तय है कि अब जिला प्रशासन सख्त निगरानी मोड में है और भविष्य में राशन वितरण व्यवस्था में किसी भी तरह की लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई तय है।

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