
देहरादून, 20 दिसंबर 2025। उत्तराखंड में लगातार सामने आ रहे मानव–वन्यजीव संघर्ष के मामलों को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने नियंत्रण और रोकथाम के लिए हाईटेक और त्वरित कार्रवाई आधारित रणनीति अपनाने का फैसला किया है। सविन बंसल, जिलाधिकारी देहरादून ने शनिवार को ऋषिपर्णा सभागार में संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक विस्तृत समीक्षा बैठक कर अब तक किए गए प्रयासों, जमीनी चुनौतियों और आगे की कार्ययोजना पर गहन चर्चा की।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि मानव–वन्यजीव संघर्ष एक बहुआयामी और संवेदनशील समस्या है, जिसे केवल एक विभाग के प्रयासों से नहीं, बल्कि समन्वित प्रशासनिक कार्रवाई से ही प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
संवेदनशील क्षेत्रों में बढ़ेगी निगरानी, चेतावनी संकेतक और रात्रि गश्त
बैठक में डीएम ने निर्देश दिए कि वन्यजीवों की आवाजाही वाले सभी संवेदनशील क्षेत्रों में
- चेतावनी संकेतक (Warning Signages)
- रात्रि गश्त में वृद्धि
- निरंतर निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि समय रहते सतर्कता और सूचना मिलने से कई घटनाओं को पहले ही रोका जा सकता है। इसके लिए स्थानीय लोगों को भी जागरूक और सतर्क करना आवश्यक है।
हाईटेक उपकरणों के लिए बजट मंजूर
मानव–वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने आधुनिक तकनीक आधारित समाधान अपनाने का निर्णय लिया है। जिलाधिकारी ने मौके पर ही वन विभाग को
- सेंसर बेस्ड तेज आवाज करने वाले उपकरण (एनाइडर)
- सोलर लाइट्स
- सीसीटीवी व ट्रैप कैमरे
- फोकस लाइट्स और अन्य आधुनिक उपकरण
की खरीद के लिए बजट स्वीकृत किया।
डीएम ने कहा कि इन उपकरणों के माध्यम से रिहायशी इलाकों और संवेदनशील क्षेत्रों से जंगली जानवरों को दूर रखने में काफी मदद मिलेगी।
गश्त के लिए अतिरिक्त मैनपावर और वाहन
बैठक में यह भी सामने आया कि कई संवेदनशील क्षेत्रों में वन विभाग के पास मैनपावर और वाहनों की कमी है। इस पर जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि-
- अतिरिक्त मैनपावर
- गश्त के लिए आवश्यक वाहन
- शीघ्र उपलब्ध कराए जाएं, ताकि सतत और प्रभावी निगरानी सुनिश्चित की जा सके।
उन्होंने कहा कि नियमित गश्त मानव–वन्यजीव संघर्ष रोकने का सबसे कारगर उपाय है।
त्वरित रिस्पॉन्स ग्रुप (QRT) का गठन
मानव–वन्यजीव संघर्ष की किसी भी सूचना पर तुरंत कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी ने त्वरित रिस्पॉन्स ग्रुप (Quick Response Team) गठित करने के निर्देश दिए।
इस समूह में
- मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO)
- पुलिस विभाग
- राजस्व विभाग
- आपदा प्रबंधन विभाग
के अधिकारी शामिल होंगे।
डीएम ने निर्देश दिए कि घटना की सूचना मिलते ही रिस्पॉन्स टीम तत्काल मौके पर पहुंचे, स्थिति को नियंत्रित करे और
- जनहानि को रोके
- वन्यजीवों को नुकसान से बचाए
पीड़ितों को तुरंत उपचार और राहत उपलब्ध कराए।
राईका होरावाला में गुलदार का भय, स्कूल का बदलेगा समय
बैठक में सहसपुर ब्लॉक के राईका होरावाला क्षेत्र में गुलदार की गतिविधियों पर विशेष चिंता जताई गई। जिलाधिकारी ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
उन्होंने निर्देश दिए कि गुलदार के भय को देखते हुए स्कूलों के समय में आवश्यक बदलाव किया जाए, ताकि बच्चों को आने-जाने के दौरान किसी प्रकार का खतरा न हो।
अधिकारियों की व्यापक भागीदारी
बैठक में डीएफओ अमित कंवर, मयंक गर्ग, वैभव कुमार सिंह, एसएलएओ स्मृता परमार, एसडीएम अपर्णा ढौडियाल, सीओ मनोज असवाल, तहसीलदार रूपसिंह, एसीएफ अभिषेक मैठाणी, सरिता भट्ट, डीडीएमओ ऋषभ कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी प्रत्यक्ष और वर्चुअल माध्यम से मौजूद रहे।
निष्कर्ष
देहरादून जिला प्रशासन द्वारा मानव–वन्यजीव संघर्ष पर अपनाई गई यह रणनीति तकनीक, त्वरित प्रतिक्रिया और प्रशासनिक समन्वय का समन्वित मॉडल प्रस्तुत करती है। हाईटेक उपकरण, त्वरित रिस्पॉन्स ग्रुप, अतिरिक्त गश्त और स्थानीय स्तर पर सतर्कता जैसे कदम यदि प्रभावी ढंग से लागू होते हैं, तो आने वाले समय में जनहानि और फसल क्षति को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
जिलाधिकारी सविन बंसल का स्पष्ट संदेश है—मानव जीवन की सुरक्षा सर्वोपरि है, और इसके लिए प्रशासन हर स्तर पर पूरी तत्परता से काम करेगा।



