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विकसित भारत के लिए विकसित कृषि जरूरी’: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का बेंगलुरु में किसानों से संवाद

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बेंगलुरु : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने आज बेंगलुरु स्थित भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान में किसानों के साथ संवाद किया। यह कार्यक्रम ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत आयोजित हुआ, जिसकी शुरुआत 29 मई को ओडिशा से हुई थी और यह 12 जून तक जारी रहेगा। मंत्री ने अब तक ओडिशा, जम्मू, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों का दौरा कर लाखों किसानों से सीधा संवाद किया है।

चौहान ने बेंगलुरु में किसानों द्वारा अपनाई जा रही उन्नत खेती विधियों की सराहना करते हुए कहा कि “कमलम (ड्रैगन फ्रूट) की खेती में तीसरे साल से 6-7 लाख रुपये की आमदनी संभव है।” उन्होंने टमाटर उत्पादन से किसानों द्वारा 3-4 लाख रुपये प्रति एकड़ कमाने के अनुभवों को भी साझा किया।

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक शोध का सीधा लाभ किसानों तक पहुंचना चाहिए। “लैब से लैंड तक” की अवधारणा को साकार करते हुए वैज्ञानिकों द्वारा गांवों में जाकर स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुसार फसलों की जानकारी दी जा रही है।

यह अभियान किसानों को क्षेत्रीय विशेषताओं के आधार पर खेती की उचित विधियां और किस्में चुनने में मदद करता है।

मंत्री ने कहा कि भारत को विकसित बनाने के लिए चार कृषि लक्ष्यों की पूर्ति अनिवार्य है:

  1. 145 करोड़ जनसंख्या के लिए खाद्य सुरक्षा

  2. पोषणयुक्त आहार की उपलब्धता

  3. कृषि को किसानों के लिए लाभकारी बनाना

  4. मिट्टी की उर्वरकता का संरक्षण

उन्होंने नकली बीज, उर्वरकों और कीटनाशकों के खतरे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार इस पर सख्त कानून बना रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

किसानों को बिचौलियों से मुक्त करने और फसलों के उचित दाम दिलाने के लिए सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) शुरू की है। इसके तहत टमाटर, आलू और प्याज जैसी फसलों को दूसरे राज्यों में ले जाने पर परिवहन लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी। यदि भंडारण की आवश्यकता हुई तो उसमें भी मदद दी जाएगी।

चौहान ने कहा कि “इतिहास में पहली बार 16,000 वैज्ञानिक सीधे खेतों में जाकर किसानों को शोध की जानकारी दे रहे हैं। हम सभी को ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ के विजन के साथ आगे बढ़ना होगा।”

कार्यक्रम के समापन पर उन्होंने किसानों से अपील की कि पारंपरिक खेती के साथ-साथ कृषि विविधीकरण, प्रोसेसिंग और निर्यात की दिशा में भी आगे बढ़ें। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार हर परिस्थिति में किसानों के साथ है और उनकी समृद्धि ही हमारा लक्ष्य है।

इस अवसर पर सांसद एवं पूर्व मंत्री एम सी सुधाकर, विधायक एस आर विश्वनाथ, आईसीएआर व बागवानी व पशु विज्ञान संस्थानों के महानिदेशक और निदेशक सहित कई वैज्ञानिक, छात्र एवं किसान मौजूद रहे।

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