देशफीचर्ड

दिल्ली की हुई हवा टाइट: बढ़ती सर्दी के साथ बिगड़ रही राजधानी की हवा, पराली और वाहनों से बढ़ा ज़हर

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सर्दी की दस्तक के साथ एक बार फिर वायु प्रदूषण की समस्या सिर उठा रही है। गुरुवार तड़के 4 बजकर 45 मिनट पर राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 210 पर दर्ज किया गया। यह स्तर “खराब” श्रेणी में आता है। मौसम विभाग और एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम (AQEWS) ने चेतावनी दी है कि आगामी दिनों में भी हवा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार की संभावना नहीं है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, बुधवार को लगातार दूसरे दिन दिल्ली की हवा “खराब” श्रेणी में रही। शहर के कुछ इलाकों में स्थिति और भी चिंताजनक रही, जहां AQI 300 के पार पहुंचकर “बहुत खराब” श्रेणी में दर्ज किया गया।


 राजधानी के कई इलाकों में हवा हुई ‘बहुत खराब’

CPCB द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, आनंद विहार दिल्ली का सबसे प्रदूषित क्षेत्र रहा, जहां AQI 345 दर्ज किया गया। वजीरपुर (325), द्वारका सेक्टर-8 (314), दिल्ली विश्वविद्यालय नॉर्थ कैंपस (307) और सीआरआरआई मथुरा रोड (307) भी “बहुत खराब” श्रेणी में रहे।

राजधानी के 20 मॉनिटरिंग सेंटर्स में एयर क्वालिटी “खराब” श्रेणी में रही, जबकि 13 स्थानों पर यह “मध्यम” रही। कुल मिलाकर, दिल्ली का 24 घंटे का औसत AQI 233 दर्ज हुआ।
सीपीसीबी के मानकों के अनुसार:

  • 0-50 = अच्छा
  • 51-100 = संतोषजनक
  • 101-200 = मध्यम
  • 201-300 = खराब
  • 301-400 = बहुत खराब
  • 401-500 = गंभीर

इस मानक के मुताबिक दिल्ली की हवा फिलहाल ऐसी स्थिति में है जो संवेदनशील समूहों, बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक मानी जाती है।


पराली और वाहनों से बढ़ा प्रदूषण

डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (DSS) की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को दिल्ली के प्रदूषण में परिवहन क्षेत्र का योगदान लगभग 16.7 प्रतिशत रहा। वाहनों से निकलने वाला धुआं और औद्योगिक गतिविधियाँ राजधानी की हवा को सबसे ज़्यादा प्रभावित कर रही हैं।

इसके अलावा, सैटेलाइट चित्रों से पता चलता है कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आई है। बुधवार को कुल 136 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं — जिनमें उत्तर प्रदेश में 46, पंजाब में 11, हरियाणा में 7 और दिल्ली में 1 शामिल थीं। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी दिनों में पराली जलाने की संख्या बढ़ने के साथ दिल्ली-एनसीआर का वायु स्तर और भी गिर सकता है।


विशेषज्ञों की चेतावनी: “अगर स्थिति यही रही तो नवंबर में AQI 400 के पार जाएगा”

सफर (SAFAR-India) के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. वी. के. सोनी के अनुसार, “दिल्ली की हवा की गुणवत्ता आने वाले 10-12 दिनों में और खराब हो सकती है, क्योंकि तापमान गिरने के साथ हवा की गति कम होती है, जिससे प्रदूषक तत्व जमीन के करीब जमने लगते हैं।”

वहीं, पर्यावरण कार्यकर्ता सुनिता नारायण ने कहा, “हर साल यह संकट दोहराया जा रहा है। अब वक्त है कि सरकारें सिर्फ पराली को दोष देने के बजाय वाहनों, उद्योगों और निर्माण गतिविधियों पर भी ठोस कदम उठाएं। प्रदूषण नियंत्रण सिर्फ एक सीज़नल कार्रवाई नहीं, बल्कि पूरे साल चलने वाली नीति होनी चाहिए।”


बच्चों और बुजुर्गों के लिए बढ़ा खतरा

डॉक्टरों का कहना है कि लगातार बढ़ता प्रदूषण श्वसन तंत्र और हृदय रोगों के मरीजों के लिए गंभीर खतरा बन गया है।
एम्स (AIIMS) के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राजीव कुमार के मुताबिक, “AQI जब 200 से ऊपर जाता है, तो अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी के मरीजों की संख्या अचानक बढ़ जाती है। खासकर छोटे बच्चे और बुजुर्ग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।”

उन्होंने लोगों को सलाह दी कि सुबह के समय सैर या एक्सरसाइज से बचें और मास्क का इस्तेमाल करें।


सरकार की तैयारियाँ और सख्ती

राजधानी सरकार ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) को आंशिक रूप से लागू कर दिया है।
इस तहत—

  • निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव
  • पुराने डीज़ल वाहनों पर प्रतिबंध
  • और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त बसें तैनात की गई हैं।

हालांकि पर्यावरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि “अगर पराली जलाने की घटनाएँ और बढ़ीं तो स्थिति नवंबर के पहले सप्ताह में ‘गंभीर’ श्रेणी तक जा सकती है।”


 जनभागीदारी की भी जरूरत

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की कोशिशें तभी असरदार होंगी जब नागरिक भी जिम्मेदारी से व्यवहार करें —जैसे निजी वाहनों का कम उपयोग, कारपूलिंग को बढ़ावा, और धूल नियंत्रण उपायों का पालन।

पर्यावरणविद् अनुमिता रॉय चौधरी कहती हैं, “हमें अब वायु प्रदूषण को सिर्फ दिल्ली की समस्या नहीं, बल्कि पूरे उत्तरी भारत की साझा चुनौती के रूप में देखना होगा। यह स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था दोनों पर भारी पड़ रहा है।”

दिल्ली की सर्दियाँ अब सिर्फ ठंड का एहसास नहीं, बल्कि धुंध और दमघोंटू हवा का प्रतीक बन चुकी हैं।
हर साल की तरह इस साल भी हवा की सेहत बिगड़ रही है, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में कदम अब भी अधूरे हैं।
यदि ठोस नीतियाँ और नागरिक जागरूकता दोनों साथ नहीं आए, तो आने वाले हफ्तों में राजधानी की हवा फिर से “गंभीर” श्रेणी में जा सकती है — जहाँ सांस लेना ही सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button