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दिल्ली चिड़ियाघर में मचा हड़कंप: बाड़े से भाग निकले सियार, दो सुरक्षित पकड़े गए; जंगली क्षेत्र में व्यापक तलाशी अभियान जारी

नई दिल्ली | 24 नवंबर 2025: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (National Zoological Park), जिसे आमतौर पर दिल्ली चिड़ियाघर के नाम से जाना जाता है, सोमवार को उस समय चर्चा का केंद्र बन गया जब चिड़ियाघर के सियार बाड़े से कुछ जानवर बाहर निकल गए। चिड़ियाघर प्रशासन ने पुष्टि की है कि बाड़े से भागे दो सियारों को सुरक्षित ढंग से पकड़कर उनके इन्क्लोज़र में वापस पहुँचा दिया गया है। हालांकि प्रशासन ने चेताया है कि अभी एक या दो और सियार जंगली हिस्से में छिपे हो सकते हैं, जिनकी तलाश तेजी से जारी है।

कैसे बाहर निकले सियार? जांच जारी

घटना कैसे घटी—इस पर चिड़ियाघर प्रशासन अभी जांच कर रहा है। शुरुआती आशंका है कि हाल ही में हुई बारिश के कारण बने कीचड़ और नरम मिट्टी की वजह से बाड़े के एक हिस्से में ढीलापन आया हो सकता है, जिसका फायदा उठाकर जानवर बाड़े से बाहर निकलने में सफल रहे। अधिकारियों ने इस संभावना से भी इनकार नहीं किया कि बाड़े की तारबंदी या सुरक्षा संरचना में तकनीकी कमी ने भी इसमें भूमिका निभाई हो सकती है।

चिड़ियाघर के निदेशक संजीत सिंह ने बताया,
“हमने दो सियारों को सुरक्षित वापस उनके बाड़े में पहुंचा दिया है। हमारी अलग-अलग टीमें परिसर के उस हिस्से में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं, जहाँ प्राकृतिक झाड़ियों और घने पेड़ों का इलाका है। संभावना है कि बाकी सियार वहीं कहीं छिपे हों।”

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की टीम यह भी जांच कर रही है कि बाड़े से बाहर निकलने का रास्ता कैसे बना और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए संरचनात्मक सुधारों पर क्या कदम लिए जाएं।

चिड़ियाघर में नहीं फैली घबराहट, आगंतुक सुरक्षित

दिल्ली चिड़ियाघर प्रतिदिन हजारों आगंतुकों की आवाजाही वाला स्थान है। ऐसे में किसी भी जंगली जानवर के बाड़े से बाहर निकलने की घटना में अफरा-तफरी फैलने का खतरा रहता है। लेकिन इस बार चिड़ियाघर प्रशासन की तत्परता और संयमित प्रतिक्रिया के चलते किसी तरह की अराजक स्थिति नहीं बनी।

निदेशक संजीत सिंह के अनुसार,
“परिसर को पूरी तरह नियंत्रण में रखा गया। किसी भी आगंतुक के सुरक्षा-क्षेत्र के पास जानवर नहीं पहुंच पाए और न ही किसी को कोई खतरा हुआ।”

चिड़ियाघर के सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत संवेदनशील क्षेत्रों को बंद कर दिया और वहां आगंतुकों की आवाजाही को कुछ समय के लिए सीमित कर दिया। हालांकि बाद में स्थिति नियंत्रण में आने पर संचालन सामान्य कर दिया गया।

बाड़ों के पीछे का ‘वाइल्ड ज़ोन’: खोज अभियान वहीं केंद्रित

दिल्ली चिड़ियाघर के पीछे एक बड़ा बफर ज़ोन है जिसे प्राकृतिक वन क्षेत्र के रूप में रखा गया है। यहां झाड़ियां, छोटे पेड़ और सूखे पत्तों से घिरी पगडंडियां हैं, जहाँ छोटे मांसाहारी प्राणी आसानी से छिप सकते हैं।

चिड़ियाघर अधिकारियों ने बताया कि इसी इलाके में अन्य सियारों के होने की संभावना है, क्योंकि यह इलाका उनके लिए स्वाभाविक आवास जैसा माहौल प्रदान करता है। रात होने पर सियारों की गतिविधि बढ़ जाती है, इसलिए तलाशी अभियान में थर्मल नाइट-विज़न उपकरण और ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
“हम उनकी आवाज़ और जमीन के निशानों के आधार पर लोकेशन की पहचान कर रहे हैं। हम किसी भी तरह की जल्दबाज़ी में कोई कदम नहीं उठाना चाहते, जिससे जानवरों को नुकसान पहुँचे।”

सामान्यतः डरपोक होते हैं सियार, मनुष्यों पर हमला दुर्लभ

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, सियार स्वभाव से मनुष्यों पर हमला नहीं करते जब तक कि उन्हें उकसाया न जाए या वे खुद को घिरा हुआ महसूस न करें। इसलिए, दिल्ली चिड़ियाघर के मामले में भी इन जानवरों के आक्रामक होने की संभावना बेहद कम है।

वन्यजीव जीवविज्ञानी डॉ. समीर अंसारी ने बताया,
“सियार सामान्यतः अवसरवादी भोजन खोजने वाले जानवर होते हैं और खतरा महसूस होने पर भाग जाते हैं। चिड़ियाघर परिसर में खुले इलाके में उनका आना-जाना आगंतुकों के लिए खतरा नहीं बनता जब तक कि व्यवस्थाएं नियंत्रण में रहें।”

पिछले वर्षों में ऐसे घटनाक्रम कम हुए हैं

दिल्ली चिड़ियाघर में बाड़े से जानवरों के निकलने की घटनाएं बहुत कम होती हैं। 2014 में एक सफेद बाघ के बाड़े में घुसने वाले छात्र की मृत्यु के बाद चिड़ियाघर प्रशासन ने सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। 2018 में एक हिरण के बाड़े से निकलने का एक मामूली मामला सामने आया था, लेकिन उसे भी कुछ ही घंटों में पकड़ लिया गया था।

इस बार सियारों के बाहर निकलने की घटना ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि यह घटना अधिकतर प्राकृतिक कारणों से हो सकती है, क्योंकि सियार जमीन खुरचकर सुरंग जैसी जगह बनाने में सक्षम होते हैं।

बाड़ों की मरम्मत और निगरानी प्रणाली होगी और मजबूत

चिड़ियाघर प्रशासन ने कहा है कि घटना की जांच रिपोर्ट के आधार पर बाड़ों की तारबंदी और सुरक्षा संरचना को और मजबूत करने की योजना है। इसके साथ ही बाड़ों के आसपास 24×7 सीसीटीवी निगरानी, गश्त प्रणाली और नियमित संरचनात्मक ऑडिट को भी मजबूत किया जाएगा।

निदेशक ने कहा, अन्य सभी मांसाहारी बाड़ों की तुरंत सुरक्षा जांच कराई जा रही है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी घटना दोबारा न हो।”

दिल्ली चिड़ियाघर सुर्खियों में क्यों रहता है?

दिल्ली चिड़ियाघर देश के प्रमुख प्राणी उद्यानों में से एक है। यहाँ 1,300 से अधिक जानवर, पक्षी और सरीसृप हैं। पिछले वर्षों में:

  • एशियाई शेरों का सफल प्रजनन
  • हाथियों के संरक्षण कार्यक्रम
  • गिद्ध संरक्षण पहल
  • एक्स-सीटू कंजर्वेशन योजनाएं

जैसी उपलब्धियों ने इसे अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव संस्थाओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनाया है। ऐसे में सुरक्षा मानकों का उच्चतम स्तर बनाए रखना बेहद आवश्यक है, जिसे लेकर प्रशासन अब और कठोर कदम उठाने की तैयारी में है।


दिल्ली चिड़ियाघर में सियारों के बाड़े से बाहर निकलने की घटना ने भले ही शुरुआती हड़कंप मचा दिया हो, लेकिन प्रशासन की त्वरित कार्रवाई ने स्थिति को सामान्य रखा। दो सियारों का सुरक्षित पकड़ा जाना राहत की बात है, जबकि बाकी की तलाश सतर्कता के साथ जारी है। घटना ने एक बार फिर यह याद दिलाया है कि वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्थाओं को उच्च स्तर पर बनाए रखना उतना ही महत्वपूर्ण है।

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