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Delhi Pollution: ‘एयर प्यूरीफायर कोई लग्जरी नहीं’; दिल्ली हाईकोर्ट सख्त, GST काउंसिल को टैक्स घटाने पर तत्काल विचार करने का निर्देश

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में सांसों पर छाये संकट और ‘गंभीर’ श्रेणी में बने वायु प्रदूषण (Air Pollution) के बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और जीएसटी काउंसिल (GST Council) को कड़ा निर्देश दिया है। अदालत ने बुधवार को स्पष्ट किया कि मौजूदा आपातकालीन स्थितियों को देखते हुए एयर प्यूरीफायर (Air Purifiers) पर लगने वाले जीएसटी की दर को कम करने या पूरी तरह खत्म करने पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने टिप्पणी की कि स्वच्छ हवा अब एक विलासिता (Luxury) नहीं, बल्कि जीवन की अनिवार्य आवश्यकता बन चुकी है।

GST काउंसिल की बैठक पर कोर्ट का अल्टीमेटम

सुनवाई के दौरान जब केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि जीएसटी परिषद एक जटिल संस्था है और इसकी बैठक बुलाने में समय लगता है, तो कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पीठ ने कहा, “हम काउंसिल की संरचना से भली-भांति परिचित हैं, लेकिन दिल्ली की हवा की मौजूदा स्थिति सामान्य नहीं है। यदि आमने-सामने की बैठक संभव नहीं है, तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (VC) के जरिए आपात बैठक बुलाएं, लेकिन इस पर देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

अदालत ने अधिकारियों को अगली सुनवाई 26 दिसंबर तक यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि परिषद की बैठक कब आयोजित की जा सकती है।

PIL की मुख्य मांग: 18% से घटाकर 5% हो GST दर

यह निर्देश अधिवक्ता कपिल मदन द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर आया है। याचिका में निम्नलिखित प्रमुख मांगें की गई हैं:

  • मेडिकल इक्विपमेंट का दर्जा: एयर प्यूरीफायर को ‘लग्जरी आइटम’ की श्रेणी से हटाकर ‘चिकित्सा उपकरण’ (Medical Equipment) की श्रेणी में रखा जाए।

  • टैक्स में कटौती: वर्तमान में एयर प्यूरीफायर पर 18% GST लगता है, जिसे घटाकर 5% या शून्य करने की मांग की गई है।

  • समान अधिकार: याचिकाकर्ता का तर्क है कि प्रदूषण के कारण घरों के भीतर भी हवा जहरीली हो गई है, ऐसे में उच्च टैक्स दर आम जनता के स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन है।

‘स्वास्थ्य और जीवन रक्षा के लिए अनिवार्य’

दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार की सुस्ती पर नाराजगी जताते हुए कहा कि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है। याचिका में दलील दी गई है कि गरीब और मध्यम वर्ग के लोग उच्च कीमतों के कारण एयर प्यूरीफायर नहीं खरीद पा रहे हैं। 18% जीएसटी इस उपकरण को आम आदमी की पहुंच से बाहर बना देता है, जबकि यह अब स्वास्थ्य और जीवन रक्षा के लिए एक अनिवार्य वस्तु बन चुकी है।

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वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर और जनता पर बोझ

दिल्ली-एनसीआर में हर साल सर्दियों के दौरान प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा पार कर जाता है। फेफड़ों की बीमारियों, अस्थमा और हृदय रोगों के बढ़ते मामलों के बीच मेडिकल विशेषज्ञ भी घर के भीतर एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। अदालत ने माना कि ऐसी स्थिति में उच्च टैक्स दर लगाना जनता पर ‘मनमाना और असंगत बोझ’ है।

अगली सुनवाई और सरकार का रुख

अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब सभी की निगाहें 26 दिसंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां सरकार को यह बताना होगा कि क्या वह दिल्ली के करोड़ों निवासियों को ‘साफ हवा’ सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने के लिए जीएसटी में कटौती करने को तैयार है या नहीं।


निष्कर्ष: क्या घटेगी प्यूरीफायर की कीमत?

अगर जीएसटी काउंसिल कोर्ट के निर्देशानुसार टैक्स में कटौती करती है, तो एयर प्यूरीफायर की कीमतों में 10% से 13% तक की भारी गिरावट आ सकती है। यह दिल्ली-एनसीआर के उन लाखों परिवारों के लिए बड़ी राहत होगी जो प्रदूषण से बचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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