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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले दिल्ली में हाई अलर्ट, सुरक्षा एजेंसियां चौकस

नई दिल्ली, 2 दिसंबर। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुरक्षा एजेंसियों को उच्च सतर्कता में रखा गया है। केंद्र से लेकर दिल्ली पुलिस, खुफिया एजेंसियों से लेकर विशेष सुरक्षा बलों तक, सभी विभागों ने राष्ट्रपति पुतिन के संभावित मार्ग, ठहराव और द्विपक्षीय बैठकों में शामिल स्थानों के मद्देनजर व्यापक सुरक्षा तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 4 दिसंबर से होने वाला उनका यह दो दिवसीय दौरा भारत-रूस संबंधों के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

पुतिन भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए 4 दिसंबर की शाम दिल्ली पहुंचेंगे। यह दौरा ऐसे समय आ रहा है जब वैश्विक भू-राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं—चाहे वह यूक्रेन-रूस युद्ध का प्रभाव हो, पश्चिमी देशों की सामरिक नीतियां हों या बदलते एशियाई कूटनीतिक समीकरण। ऐसे में भारत-रूस साझेदारी की दिशा और भविष्य के एजेंडे को लेकर यह यात्रा अत्यंत अहम मानी जा रही है।


दिल्ली में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर

उच्च स्तरीय सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा को देखते हुए दिल्ली में मल्टी-लेयर सुरक्षा तैयार की जा रही है। इस सुरक्षा व्यवस्था में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG), रॉ, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल, सीआईएसएफ और अन्य केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय रूप से शामिल हैं।

  • पुतिन के एयरपोर्ट आगमन से लेकर होटल तक के मार्ग को सैनिक स्तर की सुरक्षा दी जाएगी।
  • कई स्थानों पर एंटी-ड्रोन सिस्टम, मोबाइल जैमर, फेशियल रिकग्निशन कैमरे और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की विशेष व्यवस्था की जा रही है।
  • राजनयिक मार्गों व वीवीआईपी मूवमेंट वाले इलाकों में यातायात नियंत्रण के विशेष प्लान तैयार किए जा रहे हैं।
  • रिहर्सल ड्रिल्स और मॉक मूवमेंट भी सुरक्षा प्रोटोकॉल का हिस्सा हैं।

दिल्ली पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने सुरक्षा बैठकें लगातार जारी रखी हैं, ताकि किसी भी प्रकार के खतरे, विरोध प्रदर्शन, साइबर अटैक या आतंकी गतिविधि को पूरी तरह निष्प्रभावी किया जा सके।


द्विपक्षीय एजेंडा—रक्षा, ऊर्जा, रणनीतिक सहयोग पर चर्चा की तैयारी

आगामी भारत-रूस शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच रक्षा, आर्थिक सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, अंतरिक्ष साझेदारी और आपसी व्यापार को और मजबूती देने के दिशा में कई बड़े फैसले लिए जाने की संभावना है।

1. रक्षा सौदे और रणनीतिक साझेदारी

भारत और रूस के बीच दशकों पुराना रक्षा सहयोग है। सूत्रों के अनुसार इस दौरे में:

  • सुखोई-30 एमकेआई उन्नयन कार्यक्रम,
  • ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट के नए चरण,
  • अपग्रेडेड एयर डिफ़ेंस सिस्टम,
  • और संयुक्त सैन्य तकनीक विकास

पर महत्वपूर्ण चर्चा होगी।

2. ऊर्जा सुरक्षा और रूसी कच्चे तेल

यूक्रेन युद्ध के बाद बदली वैश्विक ऊर्जा परिस्थिति में भारत रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीद रहा है। माना जा रहा है कि इस सहयोग को और औपचारिक व दीर्घकालिक ढांचे में बदलने पर बातचीत हो सकती है।

3. व्यापार और भुगतान व्यवस्था

पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद दोनों देशों के बीच भुगतान प्रणाली को लेकर कई चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं। इस यात्रा के दौरान रुपया-रूबल तंत्र, डिजिटल पेमेंट चैनलों और युआन-आधारित वैकल्पिक मार्गों पर भी वार्ता संभव है।

4. अंतरिक्ष और विज्ञान साझेदारी

इस वर्ष भारत की ‘गगनयान’ मानव अंतरिक्ष मिशन की तैयारियों में रूस का प्रमुख योगदान रहा है। अब सहयोग को नए स्तर पर ले जाने के प्रस्तावों पर भी बात हो सकती है।


कूटनीतिक महत्व—वैश्विक तनावों के बीच भारत-रूस समीकरण

पुतिन की यह यात्रा कई कारणों से कूटनीति की दृष्टि से विशेष मानी जा रही है।

यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि

भारत ने यूक्रेन मुद्दे पर तटस्थ और संतुलित रुख बनाए रखा है। वैश्विक मंचों पर भारत ने संवाद और कूटनीति के जरिए समाधान की अपील की है। ऐसे में पुतिन का यह दौरा इस बात को और पुष्ट करता है कि रूस भारत के साथ अपने गठजोड़ को प्राथमिकता देता है।

चीन के बढ़ते प्रभाव का परिप्रेक्ष्य

भारत और रूस दोनों एशिया में रणनीतिक संतुलन के पक्षधर हैं। हालांकि रूस-चीन के गहरे रिश्ते चर्चा में रहते हैं, लेकिन भारत रूस के साथ अपनी स्वतंत्र और बहु-स्तरीय साझेदारी बनाए रखता है।

पश्चिमी देशों की नजर

अमेरिकी और यूरोपीय गठेरों की ओर से रूस पर दबाव के बीच भारत का रूसी राष्ट्रपति की मेजबानी करना अपने-आप में दक्षिण एशियाई कूटनीति का एक अहम संकेत माना जा रहा है।


शहर में सुरक्षा और ट्रैफ़िक को लेकर एडवाइजरी जारी करने की तैयारी

दिल्ली पुलिस अगले 24 घंटों में ट्रैफ़िक एडवाइजरी जारी कर सकती है। वीवीआईपी मूवमेंट के कारण कुछ प्रमुख मार्गों पर सीमित अवधि के लिए यातायात रोका जा सकता है। जिन इलाकों में पुतिन का ठहराव और कार्यक्रम संभावित हैं, वहां सुरक्षा घेरा और मजबूत किया जाएगा।

  • लुटियंस ज़ोन
  • चाणक्यपुरी
  • एयरपोर्ट से SP मार्ग
  • साउथ ब्लॉक व आसपास के क्षेत्र

में विशेष सुरक्षा बढ़ाई गई है।


होटल और स्थल सुरक्षा—रेड जोन तैयार

जहां राष्ट्रपति पुतिन ठहरेंगे, उस क्षेत्र को रेड-जोन डिक्लेरेशन के तहत रखा जाएगा:

  • प्रत्येक प्रवेश और निकास द्वार पर 24 घंटे निगरानी
  • विस्फोटक-रोधी जांच
  • विदेशी सुरक्षा अधिकारियों के साथ संयुक्त ऑपरेशन सेंटर
  • इमरजेंसी मेडिकल और क्विक रिएक्शन टीम तैनात रहेगी

इसके अलावा, जिस स्थल पर भारत-रूस शिखर बैठक आयोजित होगी, वहां सुरक्षा एजेंसियों ने पहले से ही कई लेयरों में चेकिंग और सीलिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है।


भारत-रूस रिश्तों को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की उम्मीद

कूटनीति विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा केवल औपचारिक मुलाक़ात नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच विश्व-स्तरीय साझेदारी को भविष्य के लिए मजबूत आधार देने का अवसर है। पिछले कुछ वर्षों में भारत-रूस व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है और रक्षा-ऊर्जा सहयोग भी व्यापक हुआ है।

भारत और रूस दोनों ही बदलते वैश्विक समीकरणों में अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था का समर्थन करते रहे हैं। पुतिन की यह यात्रा इसी संदेश को पुनः रेखांकित करती है।


निष्कर्ष

राष्ट्रपति पुतिन के भारत आगमन से पहले दिल्ली में सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह अलर्ट पर हैं और सूक्ष्म स्तर तक तैयारियां की जा रही हैं। इस दौरे का महत्व केवल सुरक्षा या प्रोटोकॉल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत-रूस संबंधों को नए युग में प्रवेश कराने वाला एक प्रमुख अवसर भी है। 4–5 दिसंबर के बीच होने वाली यह उच्च-स्तरीय कूटनीतिक बैठक वैश्विक राजनयिक मानचित्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।

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