
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने राजधानी में लागू किए जा रहे ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम को लेकर स्पष्ट किया है कि इससे आम लोगों को कुछ असुविधा हो सकती है, लेकिन बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए यह कदम आवश्यक और समय की मांग है।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कहा कि सभी वाहनों की प्रदूषण जांच (PUC) कराना और उसका वैध प्रमाणपत्र सुनिश्चित करना केवल सरकार की नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक नैतिक जिम्मेदारी है।
क्या है ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम
इस नियम के तहत जिन वाहनों के पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (Pollution Under Control – PUC) नहीं होगा, उन्हें दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं दिया जाएगा।
इसका उद्देश्य सड़कों पर चल रहे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की पहचान करना और उन्हें नियमों के दायरे में लाना है।
मुख्यमंत्री का संदेश: सुविधा से ज्यादा जरूरी स्वच्छ हवा
रेखा गुप्ता ने कहा कि
“यह सही है कि शुरुआत में लोगों को असुविधा हो सकती है, लेकिन अगर हम अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ हवा चाहते हैं, तो ऐसे फैसले जरूरी हैं।”
उन्होंने जोर दिया कि वाहन मालिकों को समय-समय पर पीयूसी सर्टिफिकेट अपडेट कराना चाहिए और इसे एक कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी के रूप में देखना चाहिए।
दिल्ली के प्रदूषण पर सरकार की चिंता
दिल्ली लंबे समय से देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल रही है। सर्दियों के मौसम में हालात और गंभीर हो जाते हैं, जब स्मॉग और जहरीली हवा से जनस्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है।
सरकार का मानना है कि
- बिना पीयूसी वाले वाहन
- पुराने और खराब रखरखाव वाले इंजन
- नियमों की अनदेखी
वायु प्रदूषण को तेजी से बढ़ाने वाले प्रमुख कारण हैं।
सरकार और जनता की साझा भूमिका
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रदूषण से लड़ाई केवल सरकारी आदेशों से नहीं जीती जा सकती। इसके लिए जनता की सहभागिता और सहयोग जरूरी है।
उन्होंने कहा कि
- वाहन मालिक समय पर पीयूसी जांच कराएं
- पेट्रोल पंप संचालक नियमों का सख्ती से पालन करें
- और लोग नियमों को बोझ नहीं, बल्कि समाधान का हिस्सा समझें
लागू करने में आएंगी चुनौतियां
विशेषज्ञों का मानना है कि ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम को जमीन पर लागू करने में
- पेट्रोल पंपों पर भीड़
- डिजिटल सत्यापन की व्यवस्था
- और आम जनता में जागरूकता
जैसी चुनौतियां सामने आ सकती हैं। हालांकि सरकार का दावा है कि इन समस्याओं से निपटने के लिए चरणबद्ध और तकनीकी समाधान तैयार किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम को लेकर दिल्ली सरकार का रुख साफ है—असुविधा अस्थायी है, लेकिन स्वच्छ हवा की जरूरत स्थायी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का यह बयान संकेत देता है कि आने वाले दिनों में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सरकार और सख्ती बरत सकती है।



