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दिल्ली धमाके की गुत्थी सुलझी: उमर नबी ही चला रहा था I-20 कार, DNA रिपोर्ट से पुष्टि – तुर्की के हैंडलर UKasa से था संपर्क

नयी दिल्ली: राजधानी दिल्ली में लाल किले के पास हुए धमाके की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, I-20 कार को उसी डॉक्टर उमर नबी ने चलाया था, जो विस्फोट के बाद से फरार था। फॉरेंसिक जांच में मिले DNA सैंपल उसके परिवार से 100 फीसदी मैच हुए हैं, जिससे उसकी पहचान की आधिकारिक पुष्टि हो गई है।

जांच एजेंसियों का दावा है कि उमर नबी तुर्की की राजधानी अंकारा में बैठे अपने विदेशी हैंडलर से लगातार संपर्क में था, जिसका कोडनेम ‘UKasa’ था। माना जा रहा है कि इसी हैंडलर के निर्देश पर उमर ने दिल्ली में यह आतंकी साजिश रची थी।


 DNA रिपोर्ट से खुला राज

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को मौके से कार के स्टीयरिंग, एयरबैग और सीट से कुछ जैविक नमूने (DNA ट्रेसेज़) मिले थे। इन्हें फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) भेजा गया था, जहां से मंगलवार देर रात आई रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि DNA सैंपल उमर नबी के परिवार से 100 प्रतिशत मेल खाते हैं

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह मैचिंग रिपोर्ट हमारे लिए निर्णायक साबित हुई है। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि घटना के वक्त कार वही चला रहा था। विस्फोटक लगाने और ट्रिगर करने की जिम्मेदारी भी उसी की थी।”


छह दिसंबर को धमाका करने की थी योजना

सूत्रों के अनुसार, उमर का मकसद 6 दिसंबर को, यानी बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के दिन, एक बड़ा धमाका करने का था। लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के चलते विस्फोटक समय से पहले ही सक्रिय हो गया। जांच से यह भी सामने आया है कि कार में लगे इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) में रिमोट और टाइमर दोनों लगाए गए थे।

एक अधिकारी के अनुसार, “अगर यह धमाका योजनानुसार 6 दिसंबर को होता, तो नुकसान कहीं अधिक बड़ा हो सकता था। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि उमर ने IED बनाने के लिए केमिकल्स और सर्किट्स ऑनलाइन खरीदे थे।”


तुर्की से मिला डिजिटल सबूत

एनआईए की साइबर टीम ने उमर के ईमेल, एन्क्रिप्टेड चैट और बैंक लेनदेन का डिजिटल ट्रेस निकाल लिया है। जांच में सामने आया है कि वह तुर्की के अंकारा में स्थित अपने हैंडलर ‘UKasa’ के संपर्क में था, जो व्हाट्सएप और टेलीग्राम के गुप्त चैनलों के ज़रिए निर्देश दे रहा था।

सूत्रों के अनुसार, हैंडलर UKasa का संबंध एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी मॉड्यूल से है, जो दक्षिण एशिया में “लो इंटेंसिटी टेरर ऑपरेशन” (Low-Intensity Terror Operations) चला रहा है। सुरक्षा एजेंसियां अब तुर्की सरकार से औपचारिक मदद और जानकारी साझा करने का अनुरोध करने की तैयारी में हैं।


कार और विस्फोटक के नए सुराग

जांच से यह भी स्पष्ट हुआ है कि विस्फोट में प्रयुक्त I-20 कार चोरी की नहीं थी, बल्कि इसे पिछले महीने फर्जी दस्तावेज़ों पर नई दिल्ली से खरीदा गया था। वाहन के VIN नंबर और इंजन सीरियल के आधार पर पुलिस ने कार की असली पहचान की पुष्टि कर ली है।

कार के ट्रंक (डिक्की) से बरामद जले हुए तारों और धातु के टुकड़ों की जांच से यह साफ हुआ है कि धमाका अत्यंत सटीकता से तैयार किए गए IED के कारण हुआ। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि उमर ने यह तकनीक ऑनलाइन टेरर नेटवर्क से सीखी थी।


श्रीनगर में उमर के ठिकानों पर छापेमारी

उमर नबी का मूल निवास श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में है। एनआईए और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने मंगलवार को उसके घर और तीन अन्य संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी की। यहां से लैपटॉप, पेन ड्राइव, ड्रोन पार्ट्स, और विदेशी मुद्रा बरामद की गई है।

परिवार के सदस्यों से पूछताछ में पता चला है कि उमर पिछले छह महीनों से दिल्ली और लखनऊ के बीच लगातार आ-जा रहा था। उसने खुद को डॉक्टर बताकर पहचान छिपाई थी और अपने मोबाइल फोन में “फेक लोकेशन ऐप” इंस्टॉल कर रखी थी।


केंद्र सरकार ने एजेंसियों से सौंपी विशेष रिपोर्ट

गृह मंत्रालय ने इस पूरे मामले को उच्च-जोखिम आतंकी घटना के रूप में वर्गीकृत किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने संबंधित एजेंसियों से 72 घंटे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

खुफिया सूत्रों का कहना है कि यह मामला ‘स्लीपर सेल्स की पुनः सक्रियता’ की ओर संकेत करता है। एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि उमर के संपर्क में भारत के किन-किन शहरों में लोग थे और क्या इस नेटवर्क का कोई विदेशी वित्तपोषण चैनल सक्रिय था।


 पुलिस को मिली CCTV और कॉल रिकॉर्डिंग से मदद

दिल्ली पुलिस ने घटना स्थल के आसपास के 90 से अधिक CCTV फुटेज खंगाले हैं। इनमें से कई क्लिप्स में उमर नबी की शक्ल से मेल खाता व्यक्ति कार में चढ़ते और उतरते हुए दिखाई दिया।

इसके अलावा, विस्फोट से कुछ घंटे पहले और बाद के मोबाइल कॉल रिकॉर्ड भी खंगाले गए, जिनमें तुर्की के वर्चुअल नंबरों पर की गई बातचीत के साक्ष्य मिले हैं।


 जांच के अगले चरण में अंतरराष्ट्रीय सहयोग

एनआईए अब इंटरपोल और तुर्की की इंटेलिजेंस एजेंसियों से समन्वय करने की प्रक्रिया में है। भारत जल्द ही तुर्की को Mutual Legal Assistance Treaty (MLAT) के तहत डिजिटल डेटा साझा करने का अनुरोध भेजेगा, ताकि UKasa की वास्तविक पहचान और लोकेशन का पता लगाया जा सके।


 राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की चेतावनी

एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, “उमर नबी जैसे उच्च शिक्षित युवा अब सॉफ्ट-टारगेट्स को निशाना बनाने की दिशा में प्रशिक्षित किए जा रहे हैं। यह आतंकी मॉड्यूल के स्वरूप में बदलाव का संकेत है — जो अब पारंपरिक हथियारों से अधिक डिजिटल नेटवर्क और साइबर प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर हैं।”


दिल्ली धमाके की जांच जिस तेजी से आगे बढ़ रही है, उससे यह स्पष्ट हो चुका है कि यह कोई आकस्मिक घटना नहीं बल्कि पूर्व नियोजित आतंकी साजिश थी। उमर नबी की पहचान और DNA मैच के बाद अब एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क के तार सुलझाने में जुट गई हैं।

जांच अधिकारियों का मानना है कि अगर इस साजिश को समय रहते विफल नहीं किया गया होता, तो 6 दिसंबर को देश में एक बड़ी त्रासदी हो सकती थी। फिलहाल एनआईए, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की संयुक्त टीम इस केस को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्राथमिकता वाले मामलों में शामिल कर आगे बढ़ा रही है।

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