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दिल्ली धमाका मामला: कांग्रेस ने खुफिया विफलता पर उठाए सवाल, सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की

नई दिल्ली, 13 नवंबर। दिल्ली में हुए हालिया धमाके के बाद देशभर में बढ़ी सुरक्षा चिंताओं के बीच कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार से सर्वदलीय बैठक बुलाने और संसद का शीतकालीन सत्र समय से पहले बुलाने की मांग की है। पार्टी ने कहा कि आतंकी हमलों से निपटने में राष्ट्रीय एकजुटता की आवश्यकता है, और इस दिशा में विपक्ष सरकार को पूरा सहयोग देने को तैयार है।


“सरकार स्पष्ट करे — ‘न्यू नॉर्मल’ के तहत क्या यह युद्ध जैसी कार्रवाई मानी जाएगी?”

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दिल्ली धमाके पर प्रेस वार्ता में कहा कि यह घटना केवल सुरक्षा में चूक नहीं, बल्कि एक गंभीर खुफिया विफलता है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि —

“ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र सरकार ने कहा था कि अब नया सिद्धांत यह है कि आतंकी हमला युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी। तो क्या दिल्ली का यह हमला भी उसी श्रेणी में आता है? सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।”

खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस दुखद घटना में मारे गए 13 लोगों के परिवारों और घायलों के प्रति संवेदना व्यक्त करती है और आतंकवाद के खिलाफ हर कदम पर सरकार के साथ खड़ी है, लेकिन जवाबदेही से भागा नहीं जा सकता।


“इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक दिल्ली में आया कैसे?”

कांग्रेस ने सवाल उठाया कि राजधानी जैसे संवेदनशील क्षेत्र में 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री की एंट्री कैसे हुई। खेड़ा ने पूछा —

“क्या गृह मंत्री इसकी जिम्मेदारी लेंगे? जब 26/11 मुंबई हमले के बाद तत्कालीन गृह मंत्री ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था, तो क्या बार-बार की खुफिया विफलताओं के बाद गृह मंत्री अमित शाह को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए?”

उन्होंने कहा कि इस घटना ने केंद्र सरकार की सुरक्षा प्रणाली और खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


“ब्लास्ट को आतंकी हमला मानने में सरकार को 48 घंटे क्यों लगे?”

कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि घटना के बाद शुरुआती 48 घंटे तक सरकार ने भ्रम की स्थिति बनाए रखी।

“पहले यह कहा गया कि यह तकनीकी विस्फोट है, फिर क्रिमिनल एंगल की बात हुई, और अंततः इसे आतंकी हमला माना गया। सवाल यह है कि सरकार को इतने महत्वपूर्ण निर्णय तक पहुंचने में दो दिन क्यों लगे?”

खेड़ा ने कहा कि ऐसे हालात में अफवाहें और अटकलें बढ़ती हैं, जिससे आम नागरिकों में भय और अविश्वास फैलता है।


“पहलगाम से दिल्ली तक — क्या सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा?”

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हाल के वर्षों में लगातार आतंकी हमलों की पुनरावृत्ति इस बात का प्रमाण है कि सरकार केवल बयानबाज़ी में सख्त है, लेकिन जमीनी तैयारी कमजोर है।

खेड़ा ने कहा —

“पहलगाम हमले के बाद सरकार ने कहा था कि खुफिया समन्वय मजबूत किया जाएगा। लेकिन सात महीने में ही फिर इतना बड़ा हमला हो गया। यह बताता है कि केंद्र की सुरक्षा नीति में गंभीर खामियां हैं।”


सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग

कांग्रेस ने कहा कि यह केवल किसी एक राजनीतिक दल या सरकार का नहीं, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा का मामला है। इसलिए सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों को भरोसे में लिया जाना चाहिए।

इसके साथ ही पार्टी ने संसद का शीतकालीन सत्र पहले बुलाने की मांग की है ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा, खुफिया तंत्र, सीमा सुरक्षा और आतंकी फंडिंग जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हो सके।


“हम सरकार के साथ हैं, लेकिन जवाबदेही जरूरी है”

पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस आतंकवाद के खिलाफ सरकार को पूर्ण सहयोग देने को तैयार है, लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि जिम्मेदार लोग अपनी जवाबदेही स्वीकार करें।

“आतंकी घटनाओं के समय विपक्ष पर आरोप लगाने से देश की सुरक्षा नहीं बढ़ेगी। ज़रूरत है एकजुट होकर कार्रवाई की और यह सुनिश्चित करने की कि ऐसी विफलताएं दोहराई न जाएं।”

दिल्ली धमाके को लेकर कांग्रेस की यह प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि विपक्ष अब आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सरकार से नीतिगत जवाबदेही की मांग कर रहा है। जहां एक ओर कांग्रेस ने सरकार को “पूर्ण समर्थन” देने का भरोसा दिलाया, वहीं दूसरी ओर उसने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा और “जवाबदेही की राजनीति” ही लोकतंत्र का सही मार्ग है।

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