देहरादून, 8 नवंबर:उत्तराखंड अपनी रजत जयंती — यानी स्थापना के 25 वर्ष — मना रहा है। राज्य के लिए यह ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं 9 नवंबर को देहरादून पहुंचकर मुख्य कार्यक्रम में शामिल होंगे। लेकिन इस उत्सव के बीच पुलिस और खुफिया एजेंसियां पूरी तरह चौकन्नी हो गई हैं। राजधानी देहरादून को सुरक्षा कवच में तब्दील कर दिया गया है।
इधर, सोशल मीडिया पर फैली एक फर्जी खबर ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी। एक फर्जी लेटर वायरल हुआ जिसमें दावा किया गया कि प्रधानमंत्री की रैली में शामिल होने वाले छात्रों को कॉलेज की इंटरनल परीक्षा में 50 नंबर बोनस दिए जाएंगे। इस झूठे पत्र में एक निजी विश्वविद्यालय के लेटरहेड और अधिकारियों के हस्ताक्षर का भी दुरुपयोग किया गया।
पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अज्ञात आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और साइबर टीम को जांच सौंपी गई है।
शहर में चौकसी का माहौल: हर चौराहे पर सुरक्षा, हर स्क्रीन पर निगरानी
देहरादून के घंटाघर से लेकर प्रेमनगर, राजपुर रोड, परेड ग्राउंड और एयरपोर्ट रूट तक पुलिस और अर्धसैनिक बलों की त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
पुलिस कंट्रोल रूम से लेकर साइबर सेल तक हर टीम सक्रिय मोड पर है।
एसएसपी अजय सिंह ने बताया —
“प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर पूरे जिले में हाई अलर्ट जारी है। किसी भी तरह की भ्रामक सूचना या सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने की कोशिश करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।”
उन्होंने कहा कि पुलिस सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स — Facebook, X (Twitter), Instagram और Telegram — पर कड़ी निगरानी रख रही है।
किसी भी पोस्ट, मैसेज या वीडियो को जो “राज्य स्थापना दिवस” या “पीएम मोदी की रैली” से जुड़ा होगा, विशेष तौर पर जांचा जा रहा है।
फर्जी लेटर से फैला भ्रम, विश्वविद्यालय ने कहा — “पूरी तरह झूठी सूचना”
वायरल लेटर में देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी के नाम का इस्तेमाल करते हुए दावा किया गया था कि जो छात्र प्रधानमंत्री की रैली में भाग लेंगे, उन्हें इंटरनल परीक्षा में 50 अतिरिक्त अंक दिए जाएंगे।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुभाषित गोस्वामी ने इस लेटर को “पूरी तरह फर्जी और भ्रामक” बताते हुए थाना प्रेमनगर में शिकायत दर्ज कराई।
उन्होंने कहा —
“हमारा संस्थान किसी भी राजनीतिक या सरकारी आयोजन के लिए इस तरह का प्रलोभन या अंक देने की नीति नहीं रखता। यह पत्र न केवल संस्थान की साख को धूमिल करता है, बल्कि छात्रों के बीच भ्रम फैलाने की कोशिश है।”
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर फर्जी पत्र तैयार करने वाले की पहचान की जा रही है।
पुलिस की डिजिटल जांच टीम सक्रिय, IP एड्रेस ट्रैकिंग शुरू
देहरादून पुलिस की साइबर सेल ने अब इस मामले में डिजिटल फोरेंसिक जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि फर्जी लेटर एक एडिटेड डॉक्यूमेंट था, जिसे मोबाइल ग्राफिक ऐप के जरिए तैयार कर WhatsApp और Telegram ग्रुप्स में फैलाया गया।
अधिकारियों के अनुसार,
“हमने कुछ मोबाइल नंबरों की पहचान की है जो इस मैसेज को बड़े पैमाने पर शेयर कर रहे थे। उनके खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 66D और IPC 505 (अफवाह फैलाना) के तहत कार्रवाई होगी।”
साथ ही पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध मैसेज या वीडियो को “#UttarakhandPolice” हैंडल या पुलिस हेल्पलाइन पर रिपोर्ट करें।
रजत जयंती कार्यक्रम का ऐतिहासिक महत्व — प्रधानमंत्री करेंगे देवभूमि से संवाद
9 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देहरादून पहुंचेंगे और राज्य के स्थापना दिवस की रजत जयंती समारोह में शामिल होंगे। कार्यक्रम में राज्य सरकार उत्तराखंड के 25 वर्षों की विकास यात्रा और भविष्य की दृष्टि — “विकसित उत्तराखंड 2047” — पर प्रकाश डालेगी।
इस मौके पर सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे शहर को नो ड्रोन ज़ोन, नो फ्लाई ज़ोन घोषित कर दिया है। मुख्य कार्यक्रम स्थल — परेड ग्राउंड और आसपास के क्षेत्रों — में 2000 से अधिक सुरक्षाकर्मी, बम डिटेक्शन टीमें और एंटी-स्नाइपर यूनिट्स तैनात की गई हैं।
“अफवाहें सबसे बड़ा खतरा हैं” — विशेषज्ञों की चेतावनी
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, चुनावी और राजनीतिक आयोजनों के समय सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैलाने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
पूर्व पुलिस अधीक्षक (Cyber Wing) आलोक शर्मा का कहना है —
“सोशल मीडिया अब सिर्फ संवाद का मंच नहीं रहा, यह अब जनमत प्रभावित करने का माध्यम बन चुका है। इसलिए ऐसी हर फर्जी पोस्ट सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि सामाजिक स्थिरता के लिए खतरा है।”
उन्होंने सुझाव दिया कि जनता को ‘वेरिफाई करें, फिर शेयर करें’ के सिद्धांत पर चलना चाहिए।
जनता के नाम संदेश — “आप भी बनिए जिम्मेदार नागरिक”
देहरादून पुलिस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एक संदेश जारी किया है —
“राज्य स्थापना दिवस हमारा गौरवशाली अवसर है। इसे अफवाहों और फर्जी खबरों से न बिगाड़ें। किसी भी संदिग्ध संदेश या लिंक पर क्लिक न करें। देश और राज्य की छवि बनाए रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।”
कई स्वयंसेवी संगठनों ने भी नागरिकों से अपील की है कि वे “सतर्क डिजिटल नागरिक” बनें और किसी भी भ्रामक सूचना को आगे न बढ़ाएं।
रजत जयंती का पर्व — गौरव और जिम्मेदारी का संगम
उत्तराखंड स्थापना दिवस सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि उस संघर्ष का प्रतीक है जो 9 नवंबर 2000 से पहले लाखों आंदोलनकारियों ने झेला। अब जब राज्य अपनी 25वीं वर्षगांठ मना रहा है, तो प्रशासन और जनता — दोनों — एक नई जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का आगमन इस पर्व को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य देता है, वहीं पुलिस का सतर्क रवैया यह दिखाता है कि उत्तराखंड न सिर्फ अपनी संस्कृति बल्कि सुरक्षा और शांति की परंपरा के प्रति भी उतना ही गंभीर है।
जिम्मेदारी से मनाएं उत्सव
रजत जयंती के मौके पर देवभूमि उत्तराखंड में उल्लास और गर्व की भावना है। लेकिन इस खुशी के बीच सावधानी और जिम्मेदारी सबसे बड़ी जरूरत है। क्योंकि एक फर्जी खबर, एक झूठी पोस्ट — पूरे समाज की एकता पर चोट कर सकती है। देहरादून पुलिस की मुहिम स्पष्ट है —“उत्सव मनाइए, अफवाह नहीं फैलाइए।”



