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Dehradun: किसान बनकर खेत में उतरे देहरादून के डीएम सविन बंसल, कृषकों संग की धान की फसल कटाई

फसल कटाई प्रयोग का किया निरीक्षण, बोले – "तकनीक और किसान का संगम ही आत्मनिर्भर कृषि की राह है"

देहरादून, 17 अक्टूबर 2025। प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ धरातल पर उतरकर कार्य करने की मिसाल एक बार फिर देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने पेश की है। शुक्रवार की सुबह जब ज्यादातर अधिकारी अपने दफ्तरों की तैयारियों में होते हैं, उसी समय डीएम सविन बंसल किसान के रूप में खेत में पहुंचे। वे तहसील देहरादून के ग्राम आर्केडियाग्रांट में आयोजित धान की फसल कटाई प्रयोग (Crop Cutting Experiment – CCE) के निरीक्षण के लिए पहुंचे और वहां कृषकों के साथ खुद दरांती लेकर धान की फसल की कटाई की।

यह दृश्य देखकर स्थानीय किसान उत्साहित हो उठे। खेत में मिट्टी से सने हाथों के साथ जिलाधिकारी को कृषकों के साथ काम करते देख ग्रामीणों ने प्रशंसा की और कहा कि यह पहली बार है जब कोई अधिकारी इस तरह खेत में उतरकर किसानों के साथ प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है।


धान की फसल कटाई प्रयोग का उद्देश्य और तकनीकी प्रक्रिया

निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने करीब 43.30 वर्ग मीटर के प्लॉट में फसल कटाई का निरीक्षण किया, जिसमें 17 किलो 500 ग्राम धान की उपज प्राप्त हुई। इस प्रयोग का संचालन राजस्व उप निरीक्षक द्वारा किया गया, जिसमें GCES (General Crop Estimation Survey) एवं CCE Agri App जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया।

खेत से प्राप्त उत्पादन के आंकड़े को मौके पर ही भारत सरकार के कृषि पोर्टल पर अपलोड किया गया। यह प्रक्रिया इस बात को सुनिश्चित करती है कि फसलों की औसत उपज के वैज्ञानिक आंकड़े तत्काल प्रणाली में दर्ज हों और आगे चलकर इन आंकड़ों का उपयोग प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में किसानों की वास्तविक उपज और संभावित नुकसान का आकलन करने में किया जा सके।


डीएम सविन बंसल बोले — “कृषि में तकनीकी पारदर्शिता किसानों के हित में सबसे बड़ा कदम”

निरीक्षण के दौरान डीएम बंसल ने कहा कि फसल कटाई प्रयोग सिर्फ एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह कृषि पारदर्शिता और किसान सशक्तिकरण का आधार है। उन्होंने कहा –

“किसान के श्रम और तकनीकी आकलन का सही संगम ही भविष्य की आत्मनिर्भर कृषि का मार्ग प्रशस्त करेगा। ऐसे प्रयोग यह सुनिश्चित करते हैं कि बीमा दावे, मुआवजे और सरकारी योजनाओं के लाभ वास्तविक आंकड़ों के आधार पर किसानों तक पहुंचें।”

उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन की प्राथमिकता है कि जिले के हर ब्लॉक में CCE प्रयोग पूरी पारदर्शिता और तकनीकी सहायता के साथ संपादित किए जाएं, ताकि किसान समुदाय को सरकार की योजनाओं का वास्तविक लाभ बिना विलंब के मिल सके।


किसानों ने की डीएम की पहल की सराहना

ग्राम आर्केडियाग्रांट के किसानों ने डीएम सविन बंसल की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह पहली बार हुआ जब कोई शीर्ष अधिकारी खेत में आकर स्वयं कटाई प्रक्रिया में शामिल हुआ। किसान सुरेंद्र कुमार ने कहा,

“डीएम साहब का खेत में आना हमारे लिए बहुत प्रेरणादायक है। हमें लगता है कि प्रशासन अब सिर्फ दफ्तरों तक सीमित नहीं है, बल्कि हमारी मिट्टी और पसीने की गंध को भी समझ रहा है।”

इसी तरह, महिला कृषक मीना देवी ने कहा कि जब अधिकारी किसानों के साथ खड़े दिखाई देते हैं तो ग्रामीणों में आत्मविश्वास और सम्मान की भावना बढ़ती है।


कृषि डेटा और बीमा योजनाओं में सीसीई की अहम भूमिका

फसल कटाई प्रयोग का महत्व सिर्फ उत्पादन आंकड़ों तक सीमित नहीं है। इन प्रयोगों से एकत्रित डाटा का प्रयोग राज्य और केंद्र सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाओं में किया जाता है। विशेष रूप से, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को फसल क्षति पर मिलने वाले मुआवजे का निर्धारण इन्हीं औसत उपज आंकड़ों के आधार पर होता है।

डीएम ने बताया कि जीसीईएस और सीसीई एप जैसी तकनीकों के प्रयोग से डेटा संग्रहण की प्रक्रिया डिजिटल और रियल-टाइम हो गई है। इससे जहां पारदर्शिता बनी रहती है, वहीं संभावित विवादों की गुंजाइश भी कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि जिले में कृषि उत्पादन के डिजिटल रिकॉर्ड से आने वाले वर्षों में नीति निर्माण और बीमा दावों की प्रक्रिया और भी सुचारु होगी।


प्रशासनिक स्तर पर निगरानी और किसानों की भागीदारी पर जोर

डीएम बंसल ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिले के सभी ब्लॉकों में फसल कटाई प्रयोगों को समय पर और वैज्ञानिक पद्धति से संपन्न कराया जाए। उन्होंने कहा कि हर सीसीई में किसानों की प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि वे इस प्रक्रिया को समझ सकें और इसके लाभों को महसूस कर सकें।

उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में कृषि उत्पादन के साथ-साथ जल संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य और जैविक खेती के क्षेत्र में भी नवाचारों को बढ़ावा दिया जाएगा। किसानों को प्रेरित करने के लिए ब्लॉक स्तर पर “कृषक नवाचार सम्मान” जैसी योजनाएँ भी प्रस्तावित की जा सकती हैं।


ग्रामीण विकास के प्रति प्रशासन की प्रतिबद्धता

जिलाधिकारी सविन बंसल ने अपने निरीक्षण के अंत में कहा कि प्रशासन का उद्देश्य केवल निरीक्षण करना नहीं, बल्कि किसान की जरूरतों को समझना और उनकी समस्याओं का समाधान करना है। उन्होंने उपस्थित कृषकों से संवाद करते हुए उनकी उत्पादन लागत, सिंचाई, बाजार तक पहुंच और सरकारी योजनाओं की उपलब्धता पर विस्तृत जानकारी ली।

उन्होंने कहा कि देहरादून जिला प्रशासन का लक्ष्य है कि हर किसान डिजिटल रूप से सशक्त हो और अपनी उपज, बीमा एवं योजनाओं से संबंधित डेटा तक स्वयं पहुंच सके। इसके लिए आगामी महीनों में कृषक जागरूकता शिविर और तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

देहरादून में डीएम सविन बंसल का यह कदम न केवल प्रशासनिक संवेदनशीलता का उदाहरण है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि कृषि और प्रशासन का सहयोग ही भविष्य की सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था की कुंजी है।
जहां एक ओर किसान का पसीना धरती को उपजाऊ बनाता है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की पारदर्शी नीति उस मेहनत को सुरक्षा और सम्मान देती है।
डीएम का खेत में उतरना इस विश्वास को और मजबूत करता है कि जब नेता जमीन से जुड़े रहते हैं, तो विकास की जड़ें भी गहरी होती हैं।

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