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देहरादून: वर्षों बाद शहर में खुलीं 17 नई सरकारी सस्ता गल्ला दुकानें, हजारों परिवारों को मिली राहत

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देहरादून, 27 जुलाई — उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में लंबे अंतराल के बाद एक बड़ी प्रशासनिक पहल के तहत 17 नई सरकारी सस्ता गल्ला दुकानें (उचित दर विक्रय केंद्र) खोल दी गई हैं। इस कदम से न केवल हजारों राशन कार्डधारियों को भीषण गर्मी, ठंड और बारिश में लगने वाली भीड़ से राहत मिलेगी, बल्कि कई स्थानीय परिवारों को रोजगार भी मिला है।

वर्षों से लंबित थी फाइल, डीएम की पहल से मिली रफ्तार

सूत्रों के अनुसार, जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर पूर्ति विभाग में वर्षों से लंबित पड़ी फाइलों को फिर से सक्रिय किया गया। प्रशासन ने पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया अपनाते हुए उचित पात्रता वाले आवेदकों को नई दुकानें आवंटित की हैं। यह फैसला मुख्यमंत्री के सुशासन और जनकल्याण के विज़न को धरातल पर उतारने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

भीड़भाड़ और असुविधा से मिलेगा छुटकारा

अब तक शहर के कई क्षेत्रों में उचित दर की दुकानों की संख्या सीमित थी, जिससे राशन वितरण के समय भीषण भीड़ और अव्यवस्था देखी जाती थी। खासकर महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों को भारी परेशानी होती थी। नई दुकानों के खुलने से सुलभता, पारदर्शिता और दक्षता में इज़ाफा होगा।

17 क्षेत्रों में आवंटित की गई नई दुकानें

जिला प्रशासन द्वारा गठित चयन समिति की संस्तुति पर निम्नलिखित स्थानों पर नई राशन दुकानों का आवंटन किया गया:

  • क्लेमेंटाउन परिक्षेत्र – लक्खीबाग: जुबेर अंसारी
  • भारूवाला, इन्द्रपुरी फार्म: अशोक परिहार
  • भंडारीबाग: नूपुर गोयल
  • डालनवाला परिक्षेत्र – बरीघाट, कैनाल रोड: सुशीला
  • मियावाला – नत्थुवाला: सिद्धार्थ अरोड़ा
  • प्रेमनगर – शांति बिहार, गोविंदगढ़: सूर्य ढींगरा
  • विजय पार्क: सतीश
  • रायपुर प्रथम – नेहरूग्राम: अनुपमा यादव
  • जैन प्लॉट, वाणी विहार: शशांक
  • ऋषिकेश परिक्षेत्र – आईडीपीएल कॉलोनी: प्रीति दीक्षित
  • सहसपुर – चंद्रबनी चोयला: मोहित सिंह
  • देहराखास परिक्षेत्र – कारगी: बैजंती माला यादव
  • दीप नगर, वैशाली, ब्रह्मपुरी: जसवीर सिंह
  • बंजारावाला: अलीशा जावेद
  • रायपुर द्वितीय – हरबंशवाला: आशामा खातून
  • महेश्वरी विहार: पुलमा

बढ़ती आबादी और उपभोक्ता दबाव के कारण लिया गया निर्णय

प्रशासन के अनुसार, बीते वर्षों में उचित दर विक्रेताओं की मृत्यु, इस्तीफे और शहरी आबादी में वृद्धि के कारण मौजूदा दुकानों पर राशन कार्डधारियों का दबाव काफी बढ़ गया था। इसको देखते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बेहतर बनाने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया।

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