
पटना | 12 जुलाई 2025: बिहार में पिछले एक हफ्ते में हत्या की 17 वारदातों ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पटना के चर्चित कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या हो या पूर्णिया में एक ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या—इन घटनाओं ने आम लोगों में भय और शासन व्यवस्था पर अविश्वास को गहरा किया है।
अब तक केवल विपक्ष ही नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के नेता भी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। राज्य के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा, लोजपा (रामविलास) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी पुलिस की कार्यशैली और अपराधियों के बढ़ते हौसले को लेकर चिंता जताई है।
डिप्टी सीएम ने पुलिस को ठहराया जिम्मेदार
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने बिहार पुलिस पर सीधा सवाल खड़ा करते हुए कहा कि “पुलिस प्रशासन की कमजोरी के चलते बालू, दारू और जमीन माफियाओं का मनोबल बढ़ा है।” उन्होंने कहा कि अपराध के बाद कार्रवाई तो हो रही है, लेकिन यह तब होनी चाहिए जब अपराध घटित न हो।
विजय सिन्हा ने पटना के कारोबारी की हत्या को लेकर कहा,
“मामले में कई लोग साझेदार थे, माफियागिरी का नेटवर्क था और पुलिस की सुस्ती से ये लोग मजबूत हो गए। सरकार सतर्क है लेकिन पुलिस को सजगता और जवाबदेही दिखानी होगी।”
चिराग पासवान भी हमलावर, सीएम की चुप्पी पर सवाल
लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने सोशल मीडिया पर तीखा सवाल उठाया –
“बिहारी अब और कितनी हत्याओं की भेंट चढ़ेंगे? समझ से परे है कि बिहार पुलिस की जिम्मेदारी क्या है?”
चिराग पासवान केंद्र में मंत्री हैं और राज्य में एनडीए सरकार की सहयोगी पार्टी के प्रमुख। ऐसे में उनका यह बयान सत्ताधारी गठबंधन के भीतर नाराजगी और असंतोष की तस्वीर पेश करता है।
एनडीए के भीतर ही गूंजने लगी गठबंधन धर्म की पुकार
चिराग की टिप्पणी के जवाब में ‘हम’ पार्टी प्रमुख और एनडीए सहयोगी जीतन राम मांझी ने चुटकी लेते हुए कहा:
“अपराध करवाएँ राजद वाले, तोहमत लगे सरकार पर, वाह रे गठबंधन धर्म।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि अब माफिया राज नहीं, बल्कि ठोक देने की नीति चल रही है। मांझी ने अप्रत्यक्ष रूप से यह कहकर चिराग को गठबंधन की मर्यादा का स्मरण कराया।
बीजेपी सांसद रूडी ने नीतीश का बचाव किया, चिराग को दी सलाह
बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समर्थन करते हुए चिराग को सलाह दी कि वह सोशल मीडिया पर बयानबाजी करने के बजाय बिहार पुलिस के साथ बैठकर समाधान खोजें। उन्होंने कहा,
“कोई संगठित जातीय अपराध नहीं हो रहा है, और नीतीश कुमार का प्रशासन पर अब भी पूरा नियंत्रण है।”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब भी मौन
इन तमाम सियासी हलचलों और अपराध की बढ़ती घटनाओं के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब तक सार्वजनिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने प्रशासन को सख्त कार्रवाई के निर्देश तो दिए हैं, लेकिन जनता को सीधे आश्वस्त करने के लिए अब तक कोई बयान जारी नहीं किया।
प्रश्न वही: सरकार आपकी, पुलिस आपकी, फिर जवाबदेही किसकी?
सवाल यह है कि जब सरकार एनडीए की है, मुख्यमंत्री एनडीए के, पुलिस प्रशासन भी उनके अधीन है, तो फिर केवल पुलिस को दोषी ठहराने से क्या जवाबदेही पूरी हो जाती है? अगर राज्य में संगठित माफिया नेटवर्क फल-फूल रहे हैं, तो उन्हें तोड़ने की जिम्मेदारी कौन लेगा?
क्या सरकार केवल बयानों से काम चला रही है या कोई ठोस नीति और कार्रवाई भी सामने आएगी? फिलहाल, बिहार में भय और अव्यवस्था की स्थिति के बीच जनता जवाब चाहती है — सिर्फ विपक्ष से नहीं, बल्कि सत्ता में बैठे हर जिम्मेदार चेहरे से।