
नई दिल्ली/बेंगलुरु: लोकसभा चुनाव की राजनीतिक गर्माहट के बीच नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। राहुल गांधी द्वारा लगाए गए डबल वोटिंग और फर्जी मतदान के आरोपों पर कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) ने औपचारिक प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें नोटिस भेजा है। नोटिस में स्पष्ट कहा गया है कि राहुल गांधी के आरोप में जिस महिला ‘शकुन रानी’ का उदाहरण दिया गया, उन्होंने केवल एक बार ही मतदान किया है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, राहुल गांधी द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाया गया दस्तावेज चुनाव आयोग के आधिकारिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है, और उस पर किया गया ‘टिक मार्क’ पोलिंग ऑफिसर की ओर से जारी किया गया निशान भी नहीं है।
राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग का पलटवार
हाल ही में राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि आयोग के रिकॉर्ड में डबल वोटिंग के कई उदाहरण हैं। उन्होंने अपने प्रजेंटेशन में ‘शकुन रानी’ नाम की मतदाता का उल्लेख करते हुए दावा किया था कि उनके आईडी कार्ड पर दो बार मतदान का निशान लगा हुआ है।
राहुल गांधी का कहना था— “यह चुनाव आयोग का डेटा है। पोलिंग ऑफिसर के रिकॉर्ड के मुताबिक, शकुन रानी ने दो बार वोट किया है। यह जो टिक है, वह पोलिंग बूथ के अधिकारी का है।”
हालांकि, मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इसे पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि उनकी जांच में यह बात सामने आई है कि शकुन रानी ने केवल एक बार ही मतदान किया। वहीं, प्रजेंटेशन में दिखाया गया दस्तावेज चुनाव आयोग का नहीं, बल्कि किसी अन्य स्रोत से लिया गया प्रतीत होता है।
चुनाव आयोग की नोटिस में मुख्य बातें
कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी की ओर से राहुल गांधी को भेजी गई नोटिस में बिंदुवार जवाब दिया गया है—
- मतदान का दावा गलत: शकुन रानी ने केवल एक बार ही वोट डाला है।
- दस्तावेज संदिग्ध: प्रस्तुत किए गए दस्तावेज पर जो ‘टिक मार्क’ है, वह पोलिंग ऑफिसर का आधिकारिक निशान नहीं है।
- डेटा स्रोत पर सवाल: राहुल गांधी ने अपने प्रजेंटेशन में कहा था कि यह चुनाव आयोग का डेटा है, लेकिन जांच में पाया गया कि यह आयोग का रिकॉर्ड नहीं है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और बढ़ती तनातनी
गौरतलब है कि राहुल गांधी चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि मतदाता सूची में गड़बड़ी, फर्जी नाम और डबल वोटिंग के मामलों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने उनसे ठोस सबूत पेश करने और शपथ पत्र दाखिल करने को कहा था, लेकिन राहुल गांधी ने इससे इनकार कर दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विवाद आने वाले समय में और भी गहराएगा, क्योंकि विपक्ष इसे चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों के मुद्दे से जोड़ रहा है, वहीं चुनाव आयोग अपने रुख पर अडिग है कि सभी आरोप तथ्यों से परे हैं।
13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
इस पूरे मामले से जुड़े एक अन्य पहलू में, बिहार SIR मामले पर भी चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है, जिसकी सुनवाई 13 अगस्त को होनी है। ऐसे में राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच यह टकराव न केवल राजनीतिक गलियारों, बल्कि कानूनी मोर्चे पर भी बड़ा मुद्दा बन सकता है।
राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच यह विवाद केवल एक आरोप-प्रत्यारोप का मामला नहीं है, बल्कि यह चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर एक गंभीर बहस को जन्म दे रहा है। आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और राजनीतिक बयानों के बीच यह मुद्दा राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बिंदु बनने की पूरी संभावना है।