
देहरादून | विशेष संवाददाता: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में धर्मांतरण के खिलाफ कानून को और कठोर बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सीमांत और धार्मिक रूप से संवेदनशील राज्य है, ऐसे में डेमोग्राफिक परिवर्तन की किसी भी कोशिश को हर हाल में रोका जाएगा।
सोमवार को सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि धर्मांतरण के प्रयास अब केवल अपराध नहीं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक अस्मिता पर सीधा हमला हैं।
🔍 ऑपरेशन कालनेमी की निगरानी के लिए बनेगी एसआईटी
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हाल ही में चलाए गए ‘ऑपरेशन कालनेमी’ ने धर्मांतरण कराने वाले नेटवर्क पर प्रभावी चोट की है। इसे लंबे समय तक चलाने और सुनियोजित निगरानी के लिए अब पुलिस मुख्यालय स्तर पर एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की जाएगी।
उन्होंने कहा,
“उत्तराखंड सिर्फ एक राज्य नहीं, यह सनातन संस्कृति की पुण्यभूमि है। यहां जनसंख्या संतुलन से छेड़छाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।”
⚖️ कानून को और प्रभावशाली बनाने की तैयारी
मुख्यमंत्री ने धर्मांतरण से जुड़ी हालिया घटनाओं का संज्ञान लेते हुए, पुलिस और विधि विभाग को निर्देश दिए हैं कि मौजूदा कानून की समीक्षा कर, उसमें आवश्यक संशोधन किए जाएं ताकि धर्म परिवर्तन कराने वाले तत्वों को कठोरतम दंड दिया जा सके।
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक अदालतों में सुनवाई के भी प्रयास किए जाएं, और पीड़ितों को परामर्श, सुरक्षा और पुनर्वास उपलब्ध कराया जाए।
🛡️ पुलिस को निगरानी और खुफिया संकलन के निर्देश
मुख्यमंत्री ने पुलिस को निर्देशित किया कि वे राज्यभर में ऐसे संदिग्ध नेटवर्क और समूहों की पहचान करें जो लालच, दबाव या छल के ज़रिए धर्म परिवर्तन कराने में संलिप्त हैं।
उन्होंने कहा कि स्थानीय खुफिया तंत्र को सक्रिय किया जाए और जनप्रतिनिधियों व समाजिक संगठनों के साथ समन्वय बनाकर कार्य किया जाए।
🗣️ धर्मांतरण पीड़ितों को मिले मार्गदर्शन और सहयोग
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कई बार लोग भ्रम, भय या मजबूरी में धर्म परिवर्तन करते हैं। ऐसे में पुलिस और प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे लोगों को परामर्श केंद्रों के माध्यम से सही जानकारी व सहयोग दें ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें।
📌 पृष्ठभूमि:
उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में धर्मांतरण के मामलों में तेजी देखी गई है। राज्य सरकार ने 2022 में धर्मांतरण निषेध अधिनियम पारित किया था, जिसमें बलपूर्वक, प्रलोभन या धोखे से धर्म परिवर्तन को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।
🧭 संदेश साफ है – उत्तराखंड सरकार अब इस पर कोई ढिलाई नहीं बरतेगी।धर्मांतरण अब न केवल कानून का उल्लंघन, बल्कि सांस्कृतिक अस्मिता पर खतरा माना जाएगा।